अफ़सर-ए-आ’ला (हर रविवार को सुशांत की कलम से)

अफ़सर-ए-आ’ला
(हर रविवार को सुशांत की कलम से)

दिल है कि मानता नहीं
कहते हैं पहला प्यार और पहली तनख्वाह इंसान कभी नहीं भूलता। फिर जिसने आईएएस रहकर कलेक्टरी की हो, धाक जमाई हो और अमन चैन में शामिल होकर चौधराहट दिखाई हो फिर उसके बाद इस्तीफा देकर राजनीति में जुगत जमाई हो वो भला आईएएस का मोह कैसे छोड़ सकता है। सूबे में एक मंत्री जी का यही हाल है। वे भारत की सबसे बड़ी परीक्षा पास करके मंत्री भले ही बन गए हों मगर उनका उठना बैठना खाना पीना सब पुराने ढर्रे पर ही चल रहा है। अब दूसरी किस्म का पावर आने पर वो क्या सामान्य प्रशासन , क्या वित्त , कौन डीजीपी और कौन चीफ सेक्रेटरी बने इन चक्करों में पड़े हैं। अपने बैचमेट्स को बेहतरीन पोस्टिंग्स देकर बैठकों में दोस्तो की तरह बात करते हैं। उनको अगर राजनीति में ही पैर जमाना है तो फिर भाईसाहब लोगों के साथ उठना बैठना चाहिए ,पार्टी को मजबूत करने के लिए अपने प्रशासनिक अनुभव का इस्तेमाल करना चाहिए। मगर ये सब तो तब होगा जब ब्यूरोक्रेसी दिमाग से निकले। मंत्री जी समझ नहीं पा रहे हैं कि प्रशासनिक पावर और राजनैतिक पावर में बहुत अंतर होता है। कितने पावरफुल राजनीतिज्ञ आज हाशिए पर हैं। मंत्री जी को दिल लगाना चाहिए पॉलिटिक्स में मगर पड़े रहते हैं नौकरशाही के चक्कर में। लाजमी है याद आना एक गाना

“दिल है कि मानता नहीं ।”

जहां चार यार मिल जाएं वहां रात हो गुलज़ार
इन्हीं मंत्री साहेब का एक और किस्सा सुनिए। जनाब रबर स्टेंप चीफ सेक्रेटरी बनाने का पूरा जुगाड कर चुके थे। कैबिनेट की बीच बैठक में एक फोन आया तो जमीन खिसक गई। कोई चारा बचा नहीं और समय भी नहीं था। समय मिल जाए इसलिए निगाहों में इशारा करके अपने बैचमेट्स के साथ बाहर निकले। आनन फानन में आसंदी से फोन करवाकर वर्तमान चीफ को ही एक्सटेंशन दिलवाया। पसीना पोंछकर रात को सोने की जगह स्वर्ण की जमीन पर बने एक शानदार बंगले में चारों ने मिलने का प्लान बनाया। प्लान सफल हुआ कि नहीं ये तो नहीं मालूम मगर हां बात लीक हो गई। सपना था कि “जहां चार यार मिल जाएं वहां रात को गुलज़ार” कर रास्ता निकाल देंगे। मगर न रात गुलज़ार हो पा रही है ना ही चार यार प्लान बना पा रहे हैं। अब वक़्त की दरकार कहती है कि नौकरशाही का पीछा छोड़िए मंत्री जी और भाईसाहब बनने की कोशिश करिए।

गए थे हरि भजन को ओटन लगे कपास-
सूबे के एक सीनियर आईएएस है जो पद के लिए इतने लालायित है कि पहले इन साहेब ने सूचना वाले विभाग का आवेदन दिया। और बाकायदा किसी छात्र की तरह इंटरव्यू भी अटेंट कर आए। इंटरव्यू में फेल होने के बाद सरकार ने भी इन्हें एक पालक की तरह तीन माह का एक्सटेंशन दे दिया। एक्सटेंशन खत्म होने के पहले ही इन साहेब को अपने भविष्य की चिंता सताने लगी थी कि अचानक ही रीयल स्टेट विनिमय वाले विभाग के चेयरमेन पर एफआईआर दर्ज हो गई। अब उनका टेन्योर पूरा होने से पहले स्तीफा देना होगा या स्वमेव हटा दिए जाएंगे। अब सीनियर आईएएस की नजर इस रीयल स्टेट विनिमय वाले विभाग पर पड़ गई और उन्होंने हल्ला मचवा दिया कि वह हमेशा से जमीन रजिस्ट्री और रीयल स्टेट के धंधे में जाना चाहते थे। तीन महीने के एक्सटेंशन के बाद हो सकता है यह पद उन्हें मिल भी जाएं मगर एक सीनियर आईएएस का भविष्य को लेकर चिंता और नौकरी की तलप बताती है कि वह किसी भी स्तर पर चले जाएंगे। इनके हालात को देखकर वो कहावत याद आती है

गए थे हरि भजन को ओटन लगे कपास-

आओ तुमाई पीठ थपथपा दे –
व्यापारियों के चेहरे की मुस्कान छीनकर सरकार रिकार्ड तोड़ जीएसटी वसूली का जश्न शाबाशी दे ही रही थी कि उधर पड़ोसी राज्य का अमला बिलासपुर के रास्ते मरवाही पहुँचा और करोड़ो के कर चोरी मामले के एक आरोपी को गिरफ्तार कर लिया। इस घोटाले का मुख्य सरगना पहले ही झारखंड से गिरफ्तार किया जा चुका है। जहाँ फर्जी बिलिंग और शेल कंपनियों के नाम पर कर 500 करोड़ से ऊपर का स्कैम हुआ है। बताया जाता है यह घोटाला आज से नही कई वर्षों से किया जा रहा था मरवाही के जंगलों के अंदर कई किलोमीटर की सुरंगे बनाकर काला हीरा निकाला जा रहा था। और इस काले हीरे की चमक के आगे पूरा शासन प्रशासन इस कदर नतमस्तक हो गया कि मरवाही पुलिस और जिले के माइनिंग विभाग को इसकी कानो कान खबर तक नही हुई। राज्य का आयकर विभाग छोटे मझौले व्यापारियों से वसूली में डूबा रहा उधर पड़ोसी राज्य ने करोड़ो के स्कैम के रैकेट को ही धर दबोचा। अब वित्त मंत्री खुद मिया मिठ्ठू बने इससे अच्छा है आओ हमई तुमाई पीठ थपथपा देते है।

उस दौर का जादू क्या जाने ये रील बनाने वाले नेता –
पहले विकास धरातल पर होते थे अब विकास रील्स में शिफ्ट हो गया है। हो भी क्यो न अब रिच फॉलोवर लाइक कम्मेंट ही आपके विकास का पैमाना तय करते है। इसलिए तो नेताओ ने बाकायदा सेलरी देकर परमानेंट कैमरामैन एडिटर नियुक्त कर दिया है। जो मंत्री जी लोगो के साथ दिन भर घुमघुमकर हर मूमेंट को कैप्चर करते है। एक मंत्री जी को निकटदृष्टि दोष की प्रॉब्लम है उन्हें अपने आसपास की सड़क नाली दिखलाई नही पड़ती। उन्होंने दूर जंगल मे अपना नया आशियाना खोज लिया है। और इधर लोगो को एक पेड़ माँ के नाम पर लगवाते लगवाते चुप्पे से पूरा जंगल पप्पा को भेंट कर दिया है। अब जंगल कटाई की बात करो तो कहते है घुसपैठी खोजो और सूचना दो। लोगो ने कहा सड़क , शिक्षा , स्वास्थ्य , नौकरी जानने का भी कोई टोल फ्री नंबर है तो वह तत्कालीन मुखिया का नंबर बताते है। कहा जा रहा है 23 सालों का अमन दो सालों में कही खो गया है। इस अमन के अमन के लिए सरकार और जनता ने बड़ी कीमत चुकाई है। कभी यह अमन राज्य में सबसे पॉवरफुल हुआ करते थे। अब यह अमन कॉरपोरेट की शोभा बढ़ा रहा है। जहाँ पैसा ही सबकुछ है। अब कुछ पेड़ कटते है तो कटे कुछ पहाड़ खत्म होते है तो हो नेताजी रील्स में पेड़ और पर्वत के साथ वीडियो बनाकर विकास की नई गाथा लिख देंगे। विकास हर बार नए तरीके से सोपान चढ़ रहा है। इन रील्स जीवी नेताओ को देखकर नीलोत्पल मृणाल की कविता याद आती है। जब काम धरातल पर हुआ करता था। रील्स पर नही।

“उस दौर का जादू क्या जाने ये रील बनाने वाले नेता “

आईफोन का स्वैग –
सूबे में आईफोन बांटने में सिर्फ पुलिस के साहेबान ही नही ऐसे दलाल हर जगह फैले हुए है। एक दौर था जब किसी के पास मोबाइल हुआ करता था वह बड़ा आदमी जैसा लगा करता था फिर इसकी जगह आईफोन वाले स्वैग ने ले ली। अब तीन कैमरे वाला कटा सेव अलग ही ट्रेड में है। एक महिला मंत्री जी हाथी प्रभावित क्षेत्र में पहुँची थी। मेडम जी जिस अंदाज में एक आईफोन से बात कर रही है और वही दूसरा आईफोन 16 प्रो मैक्स हाथ मे नजर आ रहा है। उससे यह साफ झलक रहा था कि मेडम आईफोन का पूरा स्वैग दिखा रही है। अब नया फोन है तो थोड़ा जलवा काटना तो बनता है। लेकिन लोग पूछ रहे है सरकार को दो साल भी नही हुए है फिर ऐसा कौन सा जादू हुआ कि दो-दो कटा सेव आ गया। हमने जब गूगल सर्च किया तो पता चला कि एक कटे सेव की कीमत लगभग डेढ़ लाख से ऊपर है। मतलब तीन लाख का तो सिर्फ फोन है। हो सकता है मेडम ने क़िस्त मे फाइनेंस करवाया हो। यह मेडम भी रील्स जीवी है मेडम का एक पुश और धकेलिये वाला वीडियो भी बहुते बवाल मचाया। लोगो ने भी मंत्री मेडम की जमकर चुटकी ली। और उनका यह शब्द तकियाकलाम बन गया है।

हो जाएगा नहीं , हो जाना चाहिए

फैसले लेने की ताकत –
जीवन मे फैसले लेने की ताकत ही आपको महान बनाती है। ऐसा ही एक बड़ा फैसला केंद्रीय सिविल सेवा के योग्य नौकरशाह ने लिया और अपनी सेवा के 22 साल पहले ही स्तीफा दे दिया। और नई राह में निकल पड़े है। अब राह कौन सी होगी यह तो भविष्य ही बताएगा मगर कयास तो सियासत के ही नजर आते है। एक व्यवहार कुशल , राजनीति की समझ और सोशल इंजीनियरिंग के गणित को बुझने वाले इस नौकरशाह पर सत्ता सरकार भी नजर बनाएं हुए है हो सकता है इस युवा को सरकार किसी आयोग में जगह भी दे दे। बहरहाल यह तो तय हो ही जाएगा कि इस युवा का भविष्य क्या होगा। मगर वर्तमान और भविष्य के बीच वो फैसला है जो यह बताने के लिए काफी है कि अगर आपको कुछ बदलना है उसके लिए त्याग और बड़े फैसले जरूरी होते है। फैसले सही गलत नही होते फैसला लेना आपके जीवांत होने का उदाहण है।

यक्ष प्रश्न
1 इसमें कहां तक सच्चाई है कि प्रदेश के मुखिया ने एक मंत्री जी को ये कह दिया है कि इतनी ख्वाहिशें हैं तो मेरी कुर्सी पर ही बैठ जाइए !

2.क्या दिल्ली दरबार द्वारा प्रदेश में कुछ गोपनीय सर्वे करवाने की खबर सच है ?

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