अफ़सर-ए-आ’ला (हर रविवार को सुशांत की कलम से)

अफ़सर-ए-आ’ला
(हर रविवार को सुशांत की कलम से)

जेम 9.5 का खेल पार्ट 1
जेम पोर्टल मोदी जी ने अमेजॉन की तर्ज पर चालू करवाया था ताकि सरकारी तंत्र की खरीदी पारदर्शिता से हो सके । मगर सप्लायर्स और अधिकारी जब मिल जाएं तो क्या संभव नहीं है । एक हैं तो सेफ हैं कि तर्ज पर दोनों ने हाथ मिलाए और हो गया खेला । दरअसल जेम में खरीदी में दस लाख रुपए से नीचे की खरीदी पर खुली प्रतिस्पर्धा की जरूरत नहीं होती । अब भाइयों ने एक विभाग में करोड़ों की एक ही सामग्री के ऑर्डर तोड़ तोड़ कर दस लाख के अंदर बना बना कर जेम पोर्टल में मिली भगत से ऑर्डर कर दिए । कुछ सप्लायर्स ने जिन्हें काम नहीं मिला मोर्चा खोल दिया । अमेजॉन की तर्ज पर बना जेम पोर्टल भ्रष्टाचार का अड्डा बन गया । इन दिनों इंद्रावती भवन में ठेकेदार घूमते नजर आ रहे हैं कि सर 9.5 लाख के अंदर जेम पर हो जाएगा । मोदी 3.0 में जेम 9.5 पूरे 6.5 अंकों से आगे चल रहा है । है न बढ़िया मेलजोल के झोल का खेल ।

जेम का खेल पार्ट 2
इसे समझने के लिया थोड़ा बैकग्राउंड चाहिए । एक बना सुशासन विभाग । उसमें एक मंत्री जी और एक हाउस के अफसर ने मिलकर सी एस आई डी सी का रेट कॉन्ट्रैक्ट बंद करा दिया और जेम को अधिकृत कर दिया । मंत्रिपरिषद की बैठक में कहा गया कि ठेकेदार रेट कॉन्ट्रैक्ट लेकर घूमते हैं इसलिए बंद कर दिया । मगर इससे बहुत बड़ा नुकसान हो रहा है प्रदेश के व्यापारियों , उद्योगों का । इसके कारण प्रदेश के उद्योगपति प्रदाय नहीं कर पा रहे हैं । उन्हें जेम में रजिस्टर्ड किसी तीसरे का मुंह देखना पड़ रहा है । उसका अलग ,बांटने का अलग और अपनी कमाई अलग । इस चक्कर में बड़े बड़े मामले और घोटाले सामने आ रहे हैं । एक तरफ सरकार प्रदेश में उत्पादित सामग्री को बढ़ावा देने की बात कहती है तो दूसरी ओर प्रदेश का रेट कॉन्ट्रैक्ट बंद कर देती है । सरकार को चाहिए कि पूर्व की भांति सी एस आई डी सी के दर अनुबंध की प्रणाली लागू करे । सामग्री की प्री और पोस्ट डिस्पैच क्वालिटी चेक की व्यवस्था बनाए वरना जेम के 9.5 और बाकी टेंडर में ऐसा खेला होगा कि सारे विभाग केवल जांच में उलझे रहेंगे ।

बड़ा बैल चाहिए
कुछ ही समय पहले हमने नाराज महिला नेत्री की कहानी पर दो बार इसी कॉलम में लिखा था । अब इन मेडम के शपथ ग्रहण कार्यक्रम का एक और वाकया सुनिए । मेडम सी एम साहब के साथ स्टेज पर थीं । खीजकर व्यवस्था के नाम पर तीन बार खड़ी हुईं । बार बार मंच संचालक को निर्देश दिए । अंत में मेडम का धैर्य खत्म हो गया तो जोर से दो आवाज सुनाई दीं । पहली बार चीखीं सबको गुलदस्ता मैं थोड़े ही दूंगी, अफसर देंगे दूसरी बार चीखीं ए मुख्य अतिथि के लिए बड़ा वाला बैल ला न रे। बड़ा बैल मतलब बेल मेटल का स्मृति चिन्ह समझे ना आप ।

वायरल फेसबुक वीडियो
प्रदेश की राजनीति और अफसर शाही में भूचाल लाने वाला एक वीडियो जबरदस्त वायरल हो गया है । इस वीडियो में हाउस के अफसरों की धज्जियां उधेड़ दी हैं । 2005 बैच की कारगुजारियां खुलकर सामने आ गई हैं । जो अफसर पत्रकारों को मैनेज करके सत्ता चला रहे थे वो सकते में आ गए हैं । बताते हैं कि वीडियो की गूंज मध्यप्रदेश से लेकर दिल्ली तक पहुंच गई है । दिलचस्प बात ये है कि चंद को छोड़कर सारे लोग इस खुलासे से बेहद खुश हैं । होना भी चाहिए । निरंकुश सत्ता और भूपे सीजन 2 चालू होने से पहले ऐसे जागरूक और हिम्मतवाले नागरिक होना ही चाहिए । काश ऐसे लोग मुख्यमंत्री सचिवालय में सलाहकार हो जाते तो शायद छत्तीसगढ़ कहीं का कहीं पहुंच जाता ।

यक्ष प्रश्न
1 प्रदेश के कौन से सनातनी बड़े मंत्री जी आजकल हड़बड़ाए हुए हैं और क्यों ?
2 प्रदेश के कौन से मंत्री अपने वित्त को बड़ी बड़ी जमीनों में निवेश कर रहे हैं ?

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