न्यायिक दृष्टांत साबित होगा जीपी सिंह मामले में हाईकोर्ट का फैसला : –

न्यायिक दृष्टांत साबित होगा जीपी सिंह मामले में हाईकोर्ट का फैसला : –

रायपुर : – न्यायाधीशों के कुछ कुछ फैसले ऐसे होते है जो एक दृष्टांत बन जाते है और उस फैसलो कि मिसाले दी जाती है . ऐसा ही एक फैसला छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने दिया है फैसला है जीपी सिंह मामले में जो छतीसगढ़ कैडर के सीनियर आईपीएस अधिकारी है . जिन पर तत्कालीन सरकार में हुए सभी एफआईआर को निरस्त कर मामलों की प्रोसिडिंग पर रोक लगा दी गई है . हाईकोर्ट चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस रविन्द्र अग्रवाल की बेंच ने उनके खिलाफ दर्ज तीन FIR को रद्द करते हुए कहा कि एक सीनियर आईपीएस को परेशान करने की नियत से झूठे तथ्यहीन मामलों में फंसाया गया उन पर दर्ज किसी भी एफआईआर में कोई ठोस सबूत नही पाया गया. सारे तथ्य झूठे बेबुनियाद और निराधार बताये है . तत्कालीन सरकार जो अपने भ्रष्ट और काले कारनामो के आकंठ तक इस कदर डूबी थी कि जो अफसर इनके इशारर पर काम नही किया उन पर राजद्रोह , एक्सट्रोशन अन्य मामलों में फंसाने के घिनौना खेल खेला गया जिसकी एक बानगी थी जीपी सिंह मामले में झूठी और मनगढंत एफआईआर अंदाजा लगाइए तब की सरकार में सीनियर आईपीएस अधिकारी षड्यंत्र के शिकार तो आम जनता की क्या स्थिति रही होगी .

डेडवुड व्यक्ति को ही VRS देने का प्रावधान : –

छत्तीसगढ़ सरकार के अनुशंसा के बाद जुलाई 2023 को केंद्रीय गृह मंत्रालय ने जीपी सिंह को अनिवार्य सेवानिवृत्त दिया था तब उनका सेवा काल लगभग 8 साल बचा था जिसको लेकर जीपी सिंह CAT गए CAT ने भी अपने फैसले में स्पष्ट आलेखित किया है कि अनिवार्य सेवानिर्वित सजा या पनिशमेंट में रूप में नही दिया जा सकता कम्पलॉसरी रिटायरमेंट के लिए CAT ने एक शब्द डेडवुड का उपयोग किया था जो शब्द से ही स्पष्ट है कि जो व्यक्ति मृत हो चुका है सिर्फ उन्हें ही कम्पलॉसरी रिटायर किये जाने का प्रावधान होता है जिससे यह साफ परिलक्षित है कि इस तरह किसी सजा के तौर पर कम्पलॉसरी रिटायर किया जाना न्याय संगत नही है .

उल्लेखनीय है कि जीपी सिंह का पूरा सर्विस रिकार्ड काफी सराहनीय रहा है. हमेशा उनके उत्कृष्ट कार्यो के लिए सराहा गया है जिसके लिए उन्हें समय समय पर पुरुस्कृत भी किया जाता रहा है जिसमे गैलेंट्री मैडल राज्यपाल द्वारा भी पुरुस्कृत किया जाता रहा है ऐसे स्वच्छ और निर्विवाद छवि के अफसर पर तत्कालीन सरकार ने तरह तरह से लांछन लगाए जो अपने आप मे बेहद ही शर्मनाक है .

चार सप्ताह में देनी थी बहाली : –

CAT ने आईपीएस जीपी सिंह के मामले 43 पन्नो की एक विस्तृत ऑडर सीट तैयार की और हाईकोर्ट ने भी कहा कि जीपी सिंह पर लगे तमाम आरोपो को द्वेषपूर्ण घृणित और सरकार की गलत मंशाहत को स्पष्ट करते हुए जीपी सिंह VRS को खत्म कर दिया है साथ ही CAT ने चार सप्ताह में जीपी सिंह से जुड़े सभी मामलो को निराकृत कर सभी मामलों में बहाल किये जाने का आदेश दिया था .

सुर्खियों में नान घोटाला : –

9 साल पहले बहु चर्चित नान घोटाला हुआ था जो सत्ता और शासन को झकझोर दिया था. यह घोटाला आज भी सुर्खियों में बना हुआ है. बीते दिनों इस मामले में तत्कालीन आईएएस अनिल टुटेजा, आलोक शुक्ला एवं पूर्व महाधिवक्ता संतीश चंद्र वर्मा के खिलाफ एसीबी ने अपराध पंजीबद्ध किया है . 2018 में जब प्रदेश में सत्ता परिवर्तन हुआ और कांग्रेस सत्तारूढ़ हुई तब मुकेश गुप्ता एडीजीपी-एसीबी / ईओडब्लू थे इसके बाद एसआर कल्लूरी को कमान सौंपी गई मामले की संवेदनशीलता और न्यायालय के आदेश के बाद अनुभवी और कार्यकुशल आईपीएस जीपी सिंह को एडीजीपी-एसीबी/ईओडब्ल्यू की कमान सौंपी गई. जीपी सिंह बहु चर्चित नान घोटाले सहित राज्य के कई हाईप्रोफाइल और संवेदनशील मामलों में जांच कर रहे थे. जांच के दौरान जीपी सिंह पर राजनीतिक दबाव बनाया गया और इस मामले में कांग्रेस सरकार अपने मंशा के अनुरूप जांच कराना चाहती थी और पूर्व मुख्यमंत्री डां. रमन सिंह और उनकी पत्नी को फंसाना चाहती थी. श्री सिंह ने सरकार के दबाव के बाद भी न्यायसंगत कार्यवाही करना उचित समझा चूंकि जीपी सिंह बेहद ईमानदार और न्याय संगत कार्यवाही के लिए पहचाने जाने वाले अफसर रहे है इनकी ईमानदारी और भूपेश सरकार के अनरूप कार्य न करने का खामियाजा जीपी सिंह को उठाना पड़ा जिसके बाद एक महीने से भी कम समय के भीतर उन पर तीन एफआईआर दर्ज करके कार्रवाई की गई . जो तत्कालीन कांग्रेस सरकार की नीति और नियत को साफ परिलक्षित करता है .

ACB के अधिकारी के यहाँ ही ACB की रेड : –

भुपेश सरकार भ्रष्टाचार के आकंठ में कदर डूबी हुई थी कि किसी भी हद तक जाने को तैयार थी एक सीनियर आईपीएस जो खुद एसीबी चीफ रहे है उनके ही घर ACB ने रेड की कार्रवाही की मामले में न ACB की हत्थे कुछ आया . न बेनामी आय से अधिक संपत्ति हासिल हुई इसके बाद योजनाबद्ध तरीके से मामले में मणिभूषण नामक व्यक्ति को लाया गया मणिभूषण जो कि एक बैक अधिकारी है उन्होंने भी अपने स्टेटमेंट में बताया कि जब उनपर तरह-तरह के दबाव बनाये गए उनपर भी झूठे मुकदमे बनाकर जेल में डालने की धमकी दी गई और साथ न देने पर पॉक्सो एक्ट के तहत अरझाने का पूरा प्लान बताया कि जिसके बाद ACB के अफसरो के द्वारा सोने के 1-1 किलो के दो बिस्कुट प्लांट किया गया और स्टेट बैंक के अधिकारी मणिभूषण के टू -व्हीलर गाड़ी में रख दिया गया मणिभूषण को पता था कि उसकी टू-व्हीलर एक सीसीटीवी कैमरे की नज़र में है इसलिए यह सबूत अपने आपको बेगुनाह साबित करने के लिए आगे आने वाले दिनों में काम आ सकता है इससे जाहिर हो जाएगा कि ये सोना खुद ACB ने प्लांट किया था जिसको ACB ने जीपी सिंह का बताया था .

सीनियर आईपीएस पर एक माह में तीन एफआरआई : –

मामले में मणिभूषण ने पूरी घटना का जिक्र करते हुए अपने स्टेटमेंट में बताया कि
सर्च वारंट में मेरे नए घर का पता नहीं बताया गया था जब उन व्यक्तियों को सर्च वारंट के अनुसार मेरे घर में प्रासंगिक दस्तावेज नहीं मिले जो कि जी.पी. से संबंधित थे फिर वे लोग मुझसे पूछताछ करने लगे . सपन चौधरी जो तत्कालीन एसीबी के उपपुलिस अधीक्षक थे उन्होने पूछताछ की थी पूछताछ में सपन चौधरी ने मुझसे कहा था कि ”यह मामला सरकार और जी.पी. सिंह के बीच का है आप हमारा सहयोग करें, यदि आप हमारा सहयोग नहीं करेंगे तो आपसे संबंधित आलेखों को लेकर आपके विरुद्ध भी कार्रवाई की जायेगी.” उन्होंने कहा कि ”सरकार जी.पी. सिंह के खिलाफ है, अगर आप सहयोग नहीं करेंगे तो आप भी इसी तरह के कोप का शिकार होंगे…”

मणिभूषण अपने स्टेटमेंट में आगे बताते है कि ए.सी.बी. कार्यालय में शेख आरिफ हुसैन डी.आई.जी. मुझसे कहा था कि आप कहीं से भी जीपी सिंह की संपत्ति लाकर हमें दे दीजिए . ए.सी.बी. में खाली दस्तावेज़ों पर मेरे हस्ताक्षर लिए गए मैंने जब उन कोरे कागजों पर अपने हस्ताक्षर करने से मना किया तो मुझे धमकी दी गई कि यदि मैं कोरे कागजों पर अपने हस्ताक्षर नहीं करूंगा तो झूठी एफ.आई.आर. और मेरे खिलाफ अन्य आपराधिक मामले भी दर्ज किए जाएंगे जिनमें POCSO की धाराएं भी शामिल होंगी. सपन चौधरी एवं अमित नायक ने ए.सी.बी. में मेरे साथ मारपीट भी की थी . ए.सी.बी. में कार्यालय में मुझे कुछ एफ.आई.आर. और शिकायतों के झूठे ड्राफ्ट दिखाए गए और मुझसे कहा गया कि तुम्हें इन झूठे आपराधिक मामलों में फंसा दिया जाएगा और इस डर के कारण मैंने उन कोरे कागजों पर अपने हस्ताक्षर कर दिए थे . इसी तरह कांग्रेस की भुपेश सरकार की घृणित मानसिकता और उनके समय पदस्थ रहे कांग्रेसी मानसिकता के अफसरो ने एक महीने में ही जीपी सिंह पर तीन तीन एफआईआर के मामले दर्ज किए

झूठे मुकदमे में फंसे आईपीएस : –

पहली एफआईआर 29.06.2021 को संख्या 22/2021 को एसीबी द्वारा आवेदक के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 की धारा 13 (2) के साथ पठित धारा 13 (1) (बी) के तहत कथित तौर पर दर्ज की गई थी .
आय से अधिक संपत्ति. उक्त एफआईआर में, श्री मणि भूषण नामक व्यक्ति के पास से 2 किलो सोने की बरामदगी आवेदक की आय से अधिक संपत्ति के आरोप का आधार बनी.

एसीबी ने 01.07.2021 से 03.07.2021 के बीच आवेदक के आवास पर छापेमारी की. जबकि आवेदक के आवास पर कुछ भी अवैध या विवादास्पद नहीं पाया गया, छापा मारने वाले अधिकारियों ने आवास के बाहर कुछ फटे हुए पन्ने लगाए जिनमें कथित तौर पर राज्य सरकार के खिलाफ प्रतिकूल लिखित सामग्री थी . इस सामग्री के आधार पर जीपी सिंह के खिलाफ धारा 124, 153 ए और 502 (2) आईपीसी के तहत 08.07.2021 को दूसरी एफआईआर संख्या 134/2021 दर्ज की गई थी . इसके बाद तीसरी एफआईआर नंबर 590/2021 दर्ज की गई .

सभी स्टेटमेंट और तथ्यो के आधार पर न्यायालय ने माना कि जीपी सिंह पर उल्लेखित दो एफआईआर उन्हें फंसाने के लिए दर्ज की गई थीं . न्यायालय ने कहा हमें आवेदक के इस आरोप में भी दम नजर आता है कि यह राज्य सरकार के उच्च अधिकारियों के आदेश पर किया गया था . क्योंकि उन्होंने दबाव का उल्लंघन नहीं किया था . न्यायलय ने आगे बताया कि जहां तक ​​तीसरी एफआईआर संख्या 590/2021 दिनांक 28.07.2021 का सवाल है यह धारा 384, 388 और 506 के साथ पठित धारा 34 आईपीसी के तहत दर्ज की गई थी . दिलचस्प बात यह है कि उक्त एफआईआर को ‘जीरो एफआईआर’ के रूप में दर्ज किया गया था, जो केवल आपातकालीन स्थिति में दर्ज की जाती है, जिसमें तत्काल कार्रवाई की आवश्यकता होती है जिसपर पर भी CAT और हाईकोर्ट ने टिप्पड़ी करते हुए इसे खारिज कर दिया .

कैट का आदेश : –

इसके साथ ही CAT ने आदेश में लिखा कि जीपी सिंह कर्तव्यनिष्ठ , विनम्र , और टीम वर्क के समर्थन प्रिय और कनिष्ठ अफसरो का हौसलाअफजाई करने वाले ईमानदार अफसर है . जीपी सिंह के पास संवेदनशील मामलों को संभालने के अनुभव और साथ साथ क्षमता भी है जिनके पास नियमो की प्रक्रिया और कानून अच्छा ज्ञान है जीपी सिंह बेहद मेहनती और ईमानदार है जो अतिरिक्त जिम्मेदारियां लेने को तैयार है.

यह पूरा मामला बताता है कि तत्कालीन कांग्रेस और भुपेश सरकार अपने भ्रष्टाचार और काले कारनामो अधिकारियों पर अपनी मंशा अनुरूप कार्य करवाने के लिए तरह तरह के हतकंडे और षडयंत्र किया जिससे यह कहना गलत नही होगा कि छत्तीसगढ़ की पूर्ववर्ती सरकार कितनी गिरी हुई और तुच्छ मानसिकता की थी शायद यही कारण रहा होगा कि जनता ने इनकी करतूतों को जान लिया और सत्ता से उखाड़ फेंका इनके काले कारनामो की गवाही अब युगों युगों तक दी जाएगी और यह बात भी स्पष्ट हो गई कि क्यो कांग्रेस की सत्ता 15 साल छत्तीसगढ़ में नही आई इन पांच सालों के भुपेश की सरकार ने इतना काला पीला किया है कि कांग्रेस का भविष्य भी अब अंधकार की ओर नजर आता है .

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