प्रशासन-जनप्रतिनिधियों ने नहीं सुनी तो ग्रामीणों ने चंदा जुटाकर शुरू किया वैकल्पिक रपटा निर्माण

बीजापुर। जिले के भोपालपटनम ब्लाक के धनगोल गांव के ग्रामीणों ने प्रशासन से लेकर जनप्रतिनिधियों तक से पुलिया की मांग करते रहे। लेकिन किसी ने भी इनकी नहीं सुनी, तब गांव के लोगों ने 100-100 रुपये चंदा जोड़कर ताड़ के तनों से ध्वस्त हुए पुलिये पर रपटा बनाना शुरू कर दिया है। ग्रामीणों का दावा है कि यह रपटा तीन दिनों में बनकर तैयार हो जाएगा। हालांकि यह रपटा वैकल्पिक है, इस रपटे से पैदल व दो पहिया वाहन वाले ही पार हो सकेंगे।
नेशनल हाईवे से महत 3 किमी दूर धनगोल गांव को जोड़ती कच्ची सड़क में बनी यह पुलिया करीब पांच साल पहले ढह गई थी। जिसके चलते बारिश के दिनों में उफनते नाले से गांव वालों की मुश्किलें बढ़ जाती थी। 50 परिवारों तक ना तो एंबुलेंस पहुंच पाती थी और ना ही दुपहिया वाहन से नेशनल हाईवे तक पहुंचा जा सकता था। बारिश के मौसम में पुलिया के अभाव में गांव का जिला मुख्यालय से संपर्क लगभग टूट जाता था।
धनगोल गांव के सरपंच नागैया एवं ग्रामीणों का कहना है कि इस परेशानी से निजात पाने के लिए प्रशासन से लेकर जनप्रतिनिधियों से लगातार गुहार लगाते रहें, लेकिन किसी ने उनकी नहीं सुनी। चुनाव के दौरान भी राजनीतिक दलों के प्रत्याशी, कार्यकर्ता पहुंचे, उनसे बारम्बार मिन्नतें की गई, भरोसा मिला कि चुनाव जीतते ही पहली प्राथमिकता पुलिया का निर्माण कराया जाएगा। चुनाव खत्म हो गए, लेकिन आश्वासन के सिवाए उन्हें हासिल कुछ नहीं हुआ। तब गांव वालों ने 100-100 रूपए चंदा जोड़कर वैकल्पिक व्यवस्था में ध्वस्त पुलिया पर रपटे की योजना बनाई गई। इलाके में ताड़ वृक्षों की बहुलता के मद्देनजर वृक्ष के तनों के सहारे रपटे को आकार देना शुरू किया। गांव वालों का दावा है कि तीन दिन के भीतर उनकी जुगाड़ की पुलिया बनकर तैयार हो जाएगी।

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