ध्वनि प्रदूषण: शासन ने कोर्ट को बताया कि समिति गठित की गई है

रायपुर। ध्वनि प्रदूषण को लेकर चल रही स्वत: संज्ञान में ली गई याचिका की सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति रमेश सिन्हा और न्यायमूर्ति रविन्द्र कुमार अग्रवाल की युगल पीठ को शासन की तरफ से बताया गया छत्तीसगढ़ कोलाहल अधिनियम 1985 तथा ध्वनि प्रदूषण (नियमन और नियंत्रण) नियम 2000 के प्रावधानों का तुलनात्मक अध्ययन तथा प्रभावकारिता का अध्ययन कर ध्वनि प्रदूषण के मामलों में अब तक की गई कार्यवाही की समीक्षा तथा उक्त अधिनियम, नियम में संशोधन के संबंध में अनुशंशा करने के लिए छत्तीसगढ़ शासन के सचिव आवास एवं पर्यावरण विभाग की अध्यक्षता में समिति गठित की गई है जिसमें विधि एवं विधाई कार्य विभाग के प्रतिनिधि, नगरी प्रशासन एवं विकास विभाग के प्रतिनिधि, गृह विभाग के प्रतिनिधि सदस्य होंगे और सदस्य सचिव छत्तीसगढ़ पर्यावरण संरक्षण मंडल समिति के सदस्य होंगे। यह समिति दो माह के भीतर रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी तथा छत्तीसगढ़ कोलाहल अधिनियम 1985 में आवश्यक संशोधन हेतु सुझाव, अभिमत प्रस्तुत करेगी।
पूर्व की सुनवाई में हस्तक्षेप याचिकाकर्ता डॉ राकेश गुप्ता की तरफ से कोर्ट को बताया गया था कि ध्वनि प्रदूषण नियम 2000 के उल्लंघन पर डीजे बजाने पर कोलाहल अधिनियम के तहत पेनल्टी लगाकर छोड़ दिया जाता है। गौरतलब है कि कोल्हान अधिनियम में पहली बार प्रकरण दर्ज होने पर 1000 की पेनल्टी या 6 साल की सजा या दोनों का प्रावधान है दूसरी बार कोल्हान अधिनियम के प्रावधानों का उल्लंघन होने पर 2000 की पेनल्टी या एक साल की सजा या दोनों का प्रावधान है अमूनन सभी सभी प्रकरणों में 1000 की पेनल्टी लगाकर छोड़ जा रहा है जबकि ध्वनि प्रदूषण नियम 2000 में सजा के कड़े प्रावधान हैं। इसके जवाब में सुनवाई दिनांक 20.11.2024 को कोर्ट ने याचिकाकर्ता के आवेदन पर विचार करने को कहा था। सुनवाई के दौरान डॉ गुप्ता की तरफ से गणेश त्यौहार और विसर्जन के दौरान ध्वनि प्रदूषण करने वालों पर कार्यवाही करने की हेतु निर्देश दिए जाने के निवेदन पर समिति को निवेदन पर विचार करने हेतु कहा गया है।

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