साय सरकार के सुशासन का सत्यानाश कर रही महिला एवं बाल विकास विभाग
रायपुर जिला के अधिकारी भी अपने कारनामों के लिए हो रहे कुख्यात
रायपुर : – विष्णुदेव साय सरकार के सुशासन की सत्यानाश कर रही है महिला एवं बाल विकास विभाग । छत्तीसगढ़ में अपने कारनामों के लिए महिला एवं बाल विकास विभाग के अधिकारीगण तो वैसे भी कुख्यात हैं। सुदूर अंचल क्षेत्रों में अफसरों की मनमानी और भर्राशाही की खबरें तो आए दिन मिलते रहती किंतु रायपुर जिला में अगर अफसर नियम कानून को ताक पर रखकर कार्य करने लगेगे जहां मंत्री से लेकर विभाग के सारे प्रमुख अफसर बैठे हैं तो सुशासन का भट्टा बैठना तो तय ही है ।
बता दे कि रायपुर जिले का महिला एवं बाल विकास का कार्यालय भ्रष्टाचार का अड्डा बन गया है जबकि इस विभाग का मूल कार्य बच्चों एवं महिलाओं के सर्वांगीण विकास से सम्बंधित है। जिले में एकीकृत बाल विकास परियोजना के अतिरिक्त एकीकृत बाल संरक्षण योजना भी चल रही है, इस योजना के अंतर्गत जिले में बाल गृह, बालिका गृह, अपचारी बच्चों के लिए संप्रेक्षण गृह तथा गंभीर अपराध से संबंधित बच्चों के लिए प्लेस ऑफ सेफ्टी का संचालन किया जा रहा है। महिलाओं के लिए नारी निकेतन व सखी वन स्टॉप सेंटर भी संचालित है। इसके अतिरिक्त इसी तरह के काम का संचालन कर रही अशासकीय संस्थाओं को विभाग द्वारा अनुदान भी दिया जा रहा है।
यह सभी संस्थाए जिला कार्यक्रम अधिकारी के नियंत्रण में संचालित है, इन सभी संस्थाओं के सभी कर्मचारियो की स्थापना पर जिला कार्यक्रम अधिकारी का पूर्ण नियंत्रण रहता है। गत ढाई वर्षों से जिले की यह सभी संस्थाएं भ्रष्टाचार का अड्डा बन गया है। जिला कार्यक्रम अधिकारी द्वारा अयोग्य, भ्रष्ट व अपराधिक प्रवृत्ति के कर्मचारियों को संविदा में नियुक्त देना और उनकी संविदा नियुक्ति को बढ़ाने हेतु शासन के नियम-निर्देर्शों की धज्जिया उड़ाई जा रही है।
सूत्रो की माने तो संविदा में कार्यरत कुछ कर्मचारी जिनका रिकॉर्ड खराब है उनके संविदा सेवा वृद्धि का नियम विरूद्ध प्रस्ताव तैयार किया गया है।
जिसमे पहला नाम दुष्यंत कुमार निर्मलकर, भंडारी सह लेखापाल शासकीय बाल गृह (बालक) माना कैम्प रायपुर में कार्यरत थे, इनके द्वारा 7 लाख 66 हजार 940 रू शासकीय राशि का गबन किया गया, जब अगस्त 2022 में कार्यालय को इसकी जानकारी हुई तो इनके द्वारा शासकीय राशि वापस की गई। छत्तीसगढ़ संविदा नियुक्ति नियम 2012 की कंडिका-15 अन्य शर्ते की कंडिका-1 में स्पष्ट लेख है कि, संविदा पर नियुक्त व्यक्ति छत्तीसगढ़ सिविल सेवा आचरण नियम 1965 से शासित होंगे अतः ऐसी स्थिति में दुष्यंत निर्मलकर के विरूद्ध इन नियमों के तहत् कार्यवाही करते हुए गबन की गई शासकीय राशि वापस की गयी जो शासकीय राशि गबन करने का पुष्ट प्रमाण है। इनके विरूद्ध पुलिस में एफआईआर कराई जानी थी किंतु ऐसा न कर वर्तमान अधिकारी द्वारा इनकी संविदा अवधि में विस्तार करने की तैयारी की गयी है।
दूसरा नाम एच.एम. नायक जो संविदा पर बाल कल्याण अधिकारी के पद पर कार्यरत है। इनके वर्ष 2021-22 के मूल्यांकन पत्रक पर तात्कालीन जिला कार्यकम अधिकारी द्वारा “अनुपयुक्त अभियुक्ति दी गयी है, किंतु वर्तमान अधिकारी द्वारा इनकी भी संविदा अवधि में विस्तार किया जा रहा है।
तीसरा नाम अखिलेश डहरे जो हाउस फादर के पद पर कार्यरत है तथा इनके वर्ष 2021-22 के मूल्यांकन पत्रक पर तात्कालिन जिला कार्यक्रम अधिकारी द्वारा “अनुपयुक्त” अभियुक्ति दी गयी है इनकी भी संविदा अवधि में विस्तार किया जा रहा है।
चौथा नाम रजनीश रात्रे जो संविदा पर परामर्शदाता के पद पर कार्यरत है तथा इनके वर्ष 2021-22 के
मूल्यांकन पत्रक पर तात्कालिन जिला कार्यकम अधिकारी द्वारा “अनुपयुक्त” अभियुक्ति दी गयी है वर्तमान अधिकारी द्वारा इनकी भी संविदा अवधि में विस्तार किया जा रहा है।
पांचवा नाम महेश्वरी दुबे जो संविदा पर बहुउद्देशीय सहायक सेवा प्रदाता के पद पर नियुक्ति की गयी थी किंतु ये “सखी वन स्टाप सेंटर रायपुर में कार्य कर रही है तथा इनके वर्ष 2021-22 मूल्यांकन
पत्रक पर तात्कालिन जिला कार्यकम अधिकारी द्वारा “औसत” अभियुक्त दी गयी है. स्पष्ट है कि, इनकी संविदा सेवा में विस्तार नहीं हो सकता है किंतु जिला कार्यक्रम अधिकारी इनकी संविदा अवधि को विस्तारित किया जा रहा है।
छठवा अश्विन जयसवाल जो विधिक सह परिवीक्षा अधिकारी के पद पर संविदा में कार्यरत थे, इनकी लापरवाही पूर्ण कार्यशैली के कारण श्रीमती अपूर्वा दांगी प्रधान मजिस्ट्रेट किशोर न्याय बोर्ड माना कैम्प द्वारा 5 सितंबर 2022 को नोटिस दिया गया था तथा इसके पूर्व बिना सूचना के एक माह तक अनुपस्थित रहने के कारण दिनांक 22 जुलाई 2022 को भी नोटिस दिया गया था किंतु तात्कालिन जिला कार्यक्रम अधिकारी द्वारा इनके वर्ष 2021-22 के मूल्यांकन पत्रक पर “औसत” अभियुक्ति दी गयी है अतः ऐसी स्थिति में इनकी संविदा अवधि में विस्तार नही किया जा सकता किंतु वर्तमान अधिकारी द्वारा इनकी संविदा अवधि में विस्तार किया जा रहा है।
सांतवा श्रीमती ज्योति शर्मा बाल कल्याण अधिकारी के पद पर संविदा में कार्यरत थी, इनकी कार्यशैली असंतोषप्रद होने से इन्हें दिनांक 20 मई 2018 व 3 मई 2021 को नोटिस जारी किये गये थे अतः तात्कालिन जिला कार्यक्रम अधिकारी द्वारा इनके वर्ष 2021-22 के मूल्यांकन पत्रक पर “औसत से कम” की रिमारक दी गयी किंतु वर्तमान अधिकारी द्वारा इनकी संविदा अवधि में विस्तार किया जा रहा है।
आठवा श्रीमती अलकेश्वरी सोनी संरक्षण अधिकारी के पद पर संविदा में कार्यरत थी किंतु इनके द्वारा वरिष्ठ
अधिकारियों की अवहेलना, अनुशासनहीनता एवं शासकीय कार्य को बाधित करने के संबंध में 6 जून 2022 को नोटिस जारी किया गया था किंतु तात्कालिन जिला कार्यक्रम अधिकारी द्वारा इनके
वर्ष 2021-22 के मूल्यांकन पत्रक पर “बहुत अच्छा” की अभ्युक्ति दी गयी थी तथा वर्तमान अधिकारी
द्वारा इनकी भी संविदा अवधि में विस्तार किया जा रहा है।
योजनान्तर्गत शासकीय संस्थाओ में कर्मचारियो का संविदा पर नियुक्त किया जाता है इनकी नियुक्ति का कार्य, शासन निर्देशानुसार जिला स्तरीय समिति द्वारा किया जाता है जिसके अध्यक्ष जिला कलेक्टर होते है तथा सचिव जिला कार्यकम अधिकारी महिला एवं बाल विकास अधिकारी होते है. अतः इन आठो संविदा कर्मचारियो के मूल्यांकन पत्रक संतोषप्रद न होने के फलस्वरूप पूर्व में जिला स्तरीय समिति द्वारा इन सभी संविदा कर्मचारियो की सेवाएं समाप्त कर दी गयी थी, अतः इन कर्मचारियो द्वारा माननीय उच्च न्यायालय बिलासपुर में याचिका प्रस्तुत की गयी थी जिस पर माननीय न्यायालय द्वारा निर्देश दिये गये थे कि, इन सभी कर्मचारियों का गोपनीय प्रतिवेदन उपलब्ध कराया जाए तथा इनके द्वारा प्राप्त अभ्यावेदनों पर निर्णय लिया जाए तद्नुसार वर्तमान अधिकारी द्वारा कार्यवाही करते हुए अभ्यावेदन प्राप्त किये गये तथा पूर्व कार्यक्रम अधिकारी अशोक पाण्डेय को आहत कर इन सभी कर्मचारियो के मूल्यांकन पत्रक संविदा अवधि विस्तारित करने योग्य बनवाए गये, इसी बीच वर्तमान अधिकारी द्वारा मंत्री के बंगले से फोन पर निर्देश प्राप्त होने का हवाला देकर इन सभी कर्मचारियों को बिना काम कराए वेतन दिया गया जबकि इन कर्मचारियो को वेतन भुगतान के संबंध में माननीय उच्च न्यायालय द्वारा कोई निर्देश नही दिए गए थे माननीय उच्च न्यायालय द्वारा मात्र गोपनीय प्रतिवेदन संसूचित कर सक्षम अधिकारी द्वारा निर्णय लेने के निर्देश दिये गये थे। किंतु वर्तमान अधिकारी द्वारा इन कर्मचारियों को वेतन प्रदाय कर शासकीय कोष को लाखो रूपये की हानि पहुँचायी गयी, क्योकि “काम नही वेतन नहीं” एक स्थापित प्रशासकीय सिद्धांत है, इस प्रकार इन कर्मचारियो से हितलाभ की पूर्ति के उपरांत प्रचलित नियम निर्देश की स्वहित में अनदेखी कर इनकी संविदा अवधि विस्तारित करने की मनमानी रायपुर जिला के महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा किया जा रहा है।