जिसके नेतृत्व मे कानून व्यवस्था का लिखा गया दो काला अध्याय उन्हें एकबार फिर एक्सटेंशन देने की तैयारी!

जिसके नेतृत्व मे कानून व्यवस्था का लिखा गया दो काला अध्याय उन्हें एकबार फिर एक्सटेंशन देने की तैयारी!
रायपुर : – सुशासन का मूल मंत्र लेकर लगभग 13 माह पूर्व सत्तारूढ़ हुए विष्णुदेव साय की सरकार पर पुलिस महकमा सबसे कमजोर साबित हुआ और भाजपा सरकार की छवि को महज 13 महीने में ही धूमिल कर के रख दिया . इसमे बलौदाबाजार और कबीरधाम कांड एक बदनुमा दाग की तरह पूरे देश मे प्रदेश की छवि को धूमिल किया . इतने बड़े मामले में पुलिस महकमे समेत पुलिस के मुखिया पर कई सवालिया निशान खड़े होते है मगर आश्चर्य की बात है कि इतनी बड़ी घटना के बाद दोनों जिले के एसपी तो निपट गए पर मुखिया से कोई सवाल-जवाब तक नहीं हुआ बल्कि पीठ थपथपाई गई और एक्सटेंशन दे दिया गया .आलम यह है कि लचर कानून व्यवस्था का ठीकरा जिला के पुलिस अफसरों पर फोड़कर मुखिया एक बार और एक्सटेंशन पाने के फिराक में है.
कांग्रेस शासन काल में नौकरशाहों ने भ्रष्टाचार का वो खेल खेला की आज पूर्ववर्ती सरकार कटघरे में खड़ी है . सत्ता तो बदल गई मगर पुलिस विभाग का शीर्ष अमला आज वहीं का वही है . जहाँ उच्च पदों पर बैठे लोग भाजपा सरकार के सुशासन का सत्यानाश करने में लगे हुए हैं . सत्ता में बैठे सीधे और सरल लोग भले इस बात को नहीं समझ रहे मगर आम जनता में इसको लेकर बहुत आक्रोश है . जो जानना चाहती है कि आखिर सुशासन के सरकार की चाबी आखिर किसके हाथ मे है .
सरकार गठन को एक साल से ज्यादा समय हो गया है लेकिन प्रशासन के शीर्ष में बैठे लोग मदमस्त हैं उन्हें इससे कोई मतलब नहीं है कि आखिर राज्य में हो क्या रहा है . एक साल के कार्यकाल को देखकर वो कहावत याद आती है जिंदगी में सफलता तो हर किसी को मिलती है मगर सफलता हर कोई पचा नही पाता है यही हाल कमोबेश सत्तारूढ़ माननीयों की है.
बिगड़ती कानून व्यवस्था : –
प्रदेश में बिगड़ती कानून व्यवस्था की हालत किसी से छुपी हुई नही है आये दिन चाकू बाजी , गोली बाजी , लूट , डकैती , बलात्कार की घटनाएं तो जैसे आम बात हो गई है मसलन छत्तीसगढ़ जैसे शांतिप्रिय प्रदेश में एक साल से गैंगस्टरो की एंट्री से पूरा राज्य सहम गया है . इस बिगड़ती कानून व्यवस्था की जिम्मेदारी पुलिस के मुखिया की होती है जो पूरे प्रदेश में लॉ&ऑर्डर लागू करता है. वही मुखिया अगर मदमस्त जाये तो उम्मीद क्या की जा सकती है . पूर्ववर्ती सरकार ने जिस तरह प्रदेश के युवाओं को सट्टे-जुए और नशाखोरी में ढकेलने का प्रयास किया. महादेव सट्टा का मामला तो ऐसा था की जिसमे सिपाहीं से लेकर कई आईपीएस अधिकारियो का नाम आया. उक्त मामले में छोटी मछलियां तो जाल में फंस गई मगर मगरमच्छ आज भी गंदगी फैला रहे है .
बताते चले कि हजारों करोड़ के महादेव सट्टा एप्प घोटाले में तत्कालीन और वर्तमान पुलिस महानिदेशक की जवाबदेही तय की जानी चाहिए थी मगर उन्हें एक्सटेंशन पर एक्सटेंशन दिया जा रहा है इससे यह साफ परिलक्षित होता है कि पूर्ववर्ती सरकार और वर्तमान सरकार दोनों ही तू डाल-डाल मैं पात-पात का खेल खेलने में लगे है .
एक्सटेंशन का इंतजार : –
उल्लेखनीय है कि पूर्ववर्ती सरकार के समय और वर्तमान में पुलिस महानिदेशक अशोक जुनेजा के कार्यकाल का 60 वर्ष 2023 में ही पूरा हो गया था तत्कालीन सरकार ने अपने स्वार्थ सिद्धि के लिए उन्हें 5 अगस्त 2024 को एक्सटेंशन दिया था जबकि नियमतः डीजीपी जैसे पद में एक्सटेंशन नही दिया जाता प्रदेश के इतिहास में ऐसा पहले कभी हुआ नही था हालांकि तत्कालीन सरकार में इस एक्सटेंशन की वजह थी लूट भ्रष्टाचार जो पांच साल खूब चला जिसका जवाब प्रदेश की जनता ने दिया और उस सरकार को उखाड़ फेंका . प्रदेश में सत्ता बदली तो लगा तस्वीर कुछ बदलेगा मगर तत्कालीन सरकार के नक्शेकदम पर चलते हुए सुशासन की सरकार ने भी अशोक जुनेजा को अगस्त 2024 में एक्सटेंशन दे दिया .
सवाल यह उठता है क्या महादेव सट्टा एप्प घोटाला हुआ ही नही या वर्तमान सरकार भी इस घोटाले में अपना हिस्सा तलाशने में लगी हुई है नही तो ऐसी क्या जरूरत थी कि पूर्ववर्ती सरकार में एक्सटेंशन देने वाले अधिकारी को पुनः एक्सटेंशन दिया गया ? क्या इनसे योग्य अधिकारी प्रदेश में नही थे यह सवाल इसलिए भी उठने लगा है कि वर्तमान सुशासन की सरकार अशोक जुनेजा को 5 फरवरी के बाद फिर से एक्सटेंशन देने की कवायद में लगी हुई है .
विभागों की तरह क्या पुलिस व्यवस्था भी ठेके में : –
राज्य में सुशासन की सरकार बनने के बाद लोगो मे उम्मीद थी कुछ बेहतर होगा मगर बेहतर छोड़िए कुछ मंत्रियों ने तो अपने विभागों को ही थी ठेके में दे दिया है जहाँ लक्ष्मीपुत्रों के चंद पैसों के आगे पूरा विभाग नतमस्तक है . बिगड़ती कानून व्यवस्था का हाल देखकर लगता है कि कानून व्यवस्था भी ठेके में दिया गया है जहाँ चंद पूंजीपति अधिकारी नोटो के बंडलों के दम पर कानून व्यवस्था को ठेंगा दिखाते नजर आ रहे है . यह आरोप हम नही लगा रहे दरअसल भाजपा ने ही अपने आरोप पत्र समेत महादेव सट्टा एप्प मामले की जांच में जिन जिन अधिकारियों को आरोपी बताया आज वह सभी आरोपी अधिकारी सेफ जॉन में पोस्टिंग के इंतजार में बैठे है.
जिन अधिकारियों के खिलाफ जांच होनी चाहिए वही अधिकारी सत्ता और शासन को मुँहबाये चिढ़ा रहे है और बता रहे है कि पैसे के आगे भूत भी नाचता है .
सूत्र बताते है कि डीजीपी अशोक जुनेजा को एक्सटेंशन दिलाने में तत्कालीन सरकार के मुखिया समेत कई लोग लगे हुए है जो चाहते है कि अशोक जुनेजा को फिर से एक्सटेंशन मिल जाए और पहले की तरह पुलिस विभाग तत्कालीन मुखिया के कंट्रोल में रहे जिससे वह भी सुरक्षित रहेंगे और उनके दागी अफसरों पर भी आंच नही आएगी .
अब देखना है कि प्रदेश में सुशासन की सरकार का दावा करने वाली भाजपा सरकार 5 फरवरी को वर्तमान पुलिस महानिदेशक को आगे का एक्सटेंशन देती है या उनकी जगह किसी रेगुलर और योग्य अधिकारी को बैठाया जाता है . जिस तरह कानून व्यवस्था ध्वस्त है तो संभावना है कि पुलिस के मुखिया का बदलाव किया जाएगा अगर नही तो आगामी नगरीय निकाय और पंचायत चुनाव के परिणाम सरकार की आंखे खोल देंगे .