मूसलाधार बारिश के पानी से नहीं बच पाया थाना

राजनांदगांव/छुरिया। छत्तीसगढ़ पिछले दिनों से भारी बारिश के दायरे में है जिसके कारण अनेक गांव बाढ की चपेट में है और उनका जिला मुख्यालयों से संपर्क भी टूट गया है। सरकार और प्रशासन ने बाढ से निपटने के लिए जो माकूल प्रबंध किये हैं उससे प्रभावित जनों को काफी राहत मिल रही है। लेकिन आम जनों की सुरक्षा के लिये दो करोड की लागत से बना थाना वर्षा काल में सुरक्षित नहीं है। लगातार हो रही मूसलाधार बारिश के कारण पूरा पानी थाने के अंदर घूस गया यदि बांध के गेट खोले गये तो हालात क्या होंगे यह समझा जा सकता है। वास्तविकता यह है कि जब नये थाने की नींव रखी जा रही थी उस समय इसका ध्यान क्यों नही रखा गया? जबकि पुराना थाना लगातार बारिश होने पर डूब जाता था।

जिला मुख्यालय से बाघनदी की दूरी लगभग 55 किलोमीटर है। महाराष्ट्र के बॉर्डर से लगा हुआ थाना बागनदी नक्सली क्षेत्र का संवेदनशील थाना माना जाता है। बरसात के इस मूसलाधार बारिश में बाघ नदी का थाना पूरी तरह से डूब गया और चाहूं और जलमग्न नजर आ रहा है। यह थाना ऐसा नहीं की पहली बार डूबा है इसके पहले दो बार और डूब चुका है इस समय पुरानी बिल्डिंग हुआ करती थी उसे समय भी थाना डूब गया था और पुलिस के लोगों द्वारा रखे आम्र्स और अन्य सामग्री को सर पर लादकर निकलना पड़ा था आज भी नई बिल्डिंग बनने के बावजूद में भी समस्या जस की तस हैं।
बांध बना जोखिम का कारण
बाघ नदी थाने से लगा हुआ डैम है इस थाने के जल मग्न होने का मुख्य कारण माना जा सकता है पुराना थाना बिल्डिंग होने के बाद भी डूबने के पश्चात जब इस बात की भनक और जानकारी पुलिस के आल्हा अधिकारियों को थी तो आखिर ऐसी क्या कारण रहे कि आखिर दो करोड़ की लागत की बिल्डिंग को भी पुन: उसी स्थान पर निर्माण कर दिया गया तकनीकी रूप से अगर देखा जाए तो यह कहीं से भी उचित नहीं था।
अतिसंवेदनशील क्षेत्र ,बावजूद समस्या से किया जा रहा है किनारा
खासकर पुलिस थाने का निर्माण किए जाने के पहले इस बात की तस्दीक पुलिस के आला अधिकारियों और पुलिस के तकनीकी विशेषज्ञों को प्रथम दृष्टा ही करनी चाहिए कि आखिर थाना सुरक्षित कैसे रखा जा सके बांध के होने के बावजूद जब थाना का क्षेत्र ही डुबान क्षेत्र के अंतर्गत आता रहा है हो तो उसे स्थल का चयन 2 करोड़ के थाना का भवन बनाने के लिए किया क्यों गया यह सबसे बड़ा ज्वलंत सवाल है। कहते हैं कि अगर बांध के सभी गेट को खोल दिया जाएगा तो थाने को बचा पाना किसी भी सूरत में संभव नहीं होगा जब परिस्थितियों ऐसी हो फिर भी अगर 2 करोड़ की राशि का भवन थाना के लिए तैयार किया गया होगा तो उसके तकनीकी विशेषज्ञ और पुलिस के आला अधिकारीयो की सोच आखिर कितनी विकसित रही होगी इसका अंदाजा लबालब भरे थाने में पानी को देखकर लगाया जा सकता है।

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