पंचायत चुनाव का नक्सलियों ने नही किया विरोध, नक्सली कमांडर हिड़मा के गांव में पहली बार होगा मतदान

जगदलपुर। बस्तर संभाग के नक्सल प्रभावित सात जिलों में पहले इन जिलों में वोट डालने पर नक्सली अंगुली काटने की धमकी देते थे। अब वहां त्रिरस्तरीय पंचायत चुनाव की सुगबुगाहट दिखने लगी है, वहीं बड़े नक्सली कैडरों के मारे जाने से कमजोर पड़ रहे नक्सली संगठन की ओर से पंचायत चुनाव को लेकर पहली बार अब तक विरोध नही किया गया है। बस्तर संभाग की कुल 1,855 पंचायतों में तीन चरणों में 17, 20 और 23 फरवरी को चुनाव होने हैं। नक्सलियों के कोर इलाके में दो वर्ष के भीतर 40 से अधिक नवीन सुरक्षा कैंप स्थापित किए जाने के बाद इन इलकों में कुछ हद तक नक्सलियों का प्रभाव कम हुआ है। वैसे नक्सलवाद अपने आस्तीत्व को बचाने के लिए पूरा जोर लगा रहा है। वहीं सुकमा जिले में नक्सली कमांडर हिड़मा के गांव पूवर्ती में पहली बार मतदान होगा। पिछले विधानसभा और लोकसभा चुनाव में यहां के लोगों ने विस्थापित मतदान केंद्र सिलगेर में मतदान किया था। सुकमा कलेक्टर देवेश ध्रुव ने बताया कि सुकमा जिले में 60 संवेदनशील और 25 अंति संवेदनशील पंचायतों में भी इस बार त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव होने हैं। नए सुरक्षा कैंपों के खुलने के बाद से नक्सली इन क्षेत्रों से पीछे हटे हैं, जिससे इन पंचायतों में लगभग 40 साल बाद पंचायत चुनाव में मतदान होंगे।
नक्सली अब बड़ी वारदात को अंजाम नही दे पा रहे हैं, लेकिन नक्सलियो द्वारा अपने आस्तीत्व को बचाने के लिए इन जिलों के अतिसंवेदनशील गांवों में धमकी और निर्दाेष ग्रामीणों की हत्या की वारदात को अंजाम देकर अपनी मौजूदगी को बरकरार रखने में कामयाब हुए हैं। बस्तर संभाग के नक्सल प्रभावित इलाकों में सुरक्षा बल निर्णायक लड़ाई लड़ रहा है। लोकतंत्र की स्थापना होते देख नक्सलियों ने राजनेताओं की लक्षित हत्याएं की हैं। सबसे अधिक निशाने पर भाजपा नेता रहे हैं। पिछले विधानसभा चुनाव से लेकर अब तक एक दर्जन भाजपा नेताओं की हत्या की गई है। जिसके परिणामस्वरूप आज भी नक्सलियों के खौफ का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि नक्सल प्रभावित अंदरूनी अतिसंवेदनशील गांवों में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में बीजापुर जिले के 30 सरपंचों सहित 1683 पंच व 1 जनपद सदस्य निर्विरोध चुने गए, वहीं भैरमगढ़ ब्लॉक के 12 पंचायतों में सरपंच व 574 वार्डों के पंच निर्विरोध चुने गये। इसी तरह दंतेवाड़ा जिले के 21 ग्राम पंचायतों में सरपंच निर्विरोध चुने गए हैं। सुकमा जिले का हाल भी कुछ ऐसा ही है, यहां और भी बुरे हालात हैं। जिले में अति नक्सल प्रभावित इलाकों में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के लिए 75 मतदान केंद्रों को स्थानांतरित किया गया है। इनमें से 18 मतदान केंद्रों पर मतदान कर्मियों को हेलीकॉप्टर के माध्यम से पहुंचाया जाएगा। सबसे अधिक मतदान केंद्र कोंटा ब्लॉक से स्थानांतरित किए गए हैं, जबकि सुकमा ब्लॉक के 16 और छिंदगढ़ ब्लॉक के 2 मतदान केंद्रों को भी स्थानांतरित किया गया है। नक्सलियों के दहशत के बावजूद शासन-प्रशासन लोकतंत्र को बहाल करने के अनवरत प्रयास में लगा हुआ है, जिसमें आंशिक सफलता भी मिल रही है। इसके बावजूद पंचायत चुनाव को लेकर ग्रामीणों में उत्साह दिख रहा है। ग्रामीण अब अपने गांव में सड़क, बिजली, पानी की सुविधा चाहते हैं। आस-पास के गांव में नवीन सुरक्षा कैंप आने के बाद हुए बदलाव से लोग प्रभावित हैं और लोगों का लोकतंत्र पर भरोसा मजबूत हुआ है।
बीजापुर कलेक्टर संबित मिश्रा के अनुसार जिले में 50 से अधिक अतिसंवेदनशील मतदान केंद्र हैं, जहां इस बार चुनाव होने हैं। अंदरूनी क्षेत्रों में नवीन सुरक्षा कैंपों की स्थापना के बाद गांव का विकास होने से लोगों में लोकतंत्र पर भरोसा बढ़ा है।

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