न्याय पालिका लोकतंत्र की रीढ़, जिला न्याय पालिका भारतीय न्याय प्रणाली की नींव – बीआर गवई

बिलासपुर। छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय बिलासपुर द्वारा पहली बार भारत में जिला न्याय पालिका की वर्तमान चुनौतियों व भूमिका पर राज्य स्तरीय कान्फ्रेंस का आयोजन रविवार को किया गया। इस कांफ्रेंस के मुख्य अतिथि सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति बी.आर. गवई थे और विशिष्ट अतिथि के रुप में सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति विक्रम नाथ एवं न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार मिश्रा उपस्थित थे। इस कांफ्रेंस की विशेषता यह थी कि पहली बार न्यायिक इतिहास के क्षेत्र में उच्चतम न्यायालय के तीन न्यायमूर्तियों ने एक साथ शिरकत की और अपना विचार रखें।
इस राज्य स्तरीय कांफ्रेंस को संबोधित करते हुए मुख्य अतिथि न्यायमूर्ति बी. आर. गवई ने जिला न्यायपालिका के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि सभी न्यायाधीशगण एक न्यायिक परिवार है और इसमें कोई अधीनस्थ नहीं है। न्यायमूर्ति ने जिला न्यायपालिका की भूमिका पर बल देते हुए कहा कि जिला न्यायपालिका न्यायिक प्रणाली की रीढ़ और आधार है और बिना मजबूत जिला न्यायपालिका के मजबूत न्यायिक प्रणाली की कल्पना नहीं की जा सकती। जिला न्यायपालिका के लिए आधारभूत संरचना, आधुनिक सुविधाओं और तकनीकी ज्ञान पर बल देते हुए किया कि आधुनिक तकनीकी जिला न्यायपालिका के लिए आवश्यक है और धीरे-धीरे न्यायपालिका को वर्चुअल कोर्ट की तरफ जाना है, जिसके लिए आधुनिक तकनीकी ज्ञान व संसाधनों से सुसज्जित होना आवश्यक है।
माननीय न्यायमूर्ति ने एक आदर्श न्यायाधीश द्वारा धारित किए वाले गुणों के बारे में बताया कि न्यायाधीश को शिष्टता के साथ सुनवाई करनी चाहिए, बुद्धिमत्ता के साथ उत्तर देना चाहिए, सौम्यता के साथ विचार करना चाहिए और निष्पक्षता के साथ निर्णय करना चाहिए। न्यायमूर्ति द्वारा बताया गया कि न्यायाधीशगणों को सामाजिक आर्थिक न्याय पर बल देना चाहिए और जेल में निरूद्ध बंदियों की संख्या और माननीय उच्चतम न्यायालय एवं उच्च न्यायालय में लंबित जमानत आवेदनों के संदर्भ में विशेष रूप से व्यक्त किया गया कि बंदियों को जमानत देना एक नियम है जबकि जमानत निरस्त करना एक अपवाद है।
न्यायमूर्ति विक्रम नाथ ने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में व्यक्त किया कि एक न्यायाधीश का आचरण कोर्ट के अंदर बहुत महत्वपूर्ण होता है और एक न्यायाधीश को न्यायालय में बोलते हुए बहुत ही सतर्क रहना चाहिए। माननीय न्यायमूर्ति ने जिला न्यायपालिका के न्यायाधीशों को आधुनिक तकनीकी ज्ञान में कुशल होने पर बल दिया और बताया कि न्यायाधीशगण का कार्य दैवीय कृत्य है और इसका बहुत सतर्कता और सावधानी से न्यायसंगत तरीके से निर्वहन किया जाना चाहिए।
न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार मिश्रा ने विशिष्ट अतिथि के रूप में अपने उद्बोधन में व्यक्त किया कि जिला न्यायपालिका की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है और एक सशक्त व निडर जिला न्यायपालिका ही जमीनी स्तर पर लोगों के अधिकारों की रक्षा करने में और न्याय प्रदान करने में सक्षम होगी। माननीय न्यायमूर्ति ने इस बात पर बल दिया कि न्यायिक प्रणाली में लोगों के विश्वास को संरक्षित व सवंर्धित करने में व लोगों को समय पर न्याय प्रदान करने में जिला न्यायपालिका की भूमिका महत्वपूर्ण है।
छत्तीसगढ उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधिपति न्यायमूर्ति रमेश सिन्हा ने अपने स्वागत भाषण में मुख्य अतिथि तथा विशिष्ट अतिथिगण का छत्तीसगढ उच्च न्यायालय में आयोजित राज्य स्तरीय कान्फ्रेंस में भाग लेने के लिए आभार व्यक्त किया। माननीय न्यायमूर्ति ने अपने स्वागत भाषण में बताया कि सभी के सामूहिक प्रयासों से हम एक सशक्त व प्रभावी जिला न्यायपालिका को सुनिश्चित करने में सक्षम होंगे। माननीय न्यायमूर्ति द्वारा विश्वास व्यक्त किया गया कि आज की यह कान्फ्रेंस अपने उद्देश्यों को प्राप्त करेगा और हम लोग जिला न्यायपालिका के समक्ष चुनौतियों को और बेहतर ढंग से निपटने में सक्षम होंगे तथा और अधिक सशक्त व प्रभावी जिला न्यायपालिका बनाने की दिशा में अग्रसर होंगे। इस राज्य स्तरीय कान्फ्रेंस के उद्घाटन सत्र के समापन पर न्यायमूर्ति गौतम भादुड़ी द्वारा आभार प्रदर्शन किया गया।

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