GPM – आखिरकार ठेकेदार सचिव को जांच उपरांत दोषी पाए जाने पर हटाया गया ,

आखिरकार ठेकेदार सचिव को जांच उपरांत दोषी पाए जाने पर हटाया गया .

गौरेला-पेण्ड्रा-मरवाही : – जिले के गौरेला जनपद में सचिव की ठेकेदारी विगत एक दशक से हावी थी जिसपर लगातार शिकायते की जाती रही है मगर कार्यवाही न होने से ठेकेदार सचिव के हौसले बुलंद थे वही कांग्रेस नेता घनश्याम ठाकुर मीडिया प्रभारी की शिकायत पर सम्बंधित सचिव के विरुद्ध कलेक्टर के निर्देशन पर टीम गठित कर अनुविभागीय अधिकारी पेण्ड्रारोड की अध्यक्षता में जांच दल द्वारा प्राप्त शिकायत की बिंदुवार जाँच किया गया .

मामला गौरेला जनपद पंचायत का है जहाँ एक सचिव अपने पद का दुरुपयोग करते हुए ठेकेदारी का कार्य कर रहा था जिसकी शिकायतों की लंबी फेहरिस्त है बाउजूद इसके अब तक किसी प्रकार की कोई कार्यवाही नही की गई थी चूंकि उक्त सचिव को राजनीतिक संरक्षण प्राप्त रहा है इस राजनीतिक संरक्षण की वजह से ही सचिव खुलेआम ठेकेदारी और राजनीतिक मंचो में भी देखा जाता था उक्त मामले को लेकर कांग्रेस मीडिया प्रभारी घनश्याम ठाकुर ने शिकायत की थी जिसके बिंदु निम्न है

तरइगांव सचिव किशन राठौर द्वारा वर्ष 2017 में मनरेगा योजनांतर्गत कराये गए निर्माण कार्यो की शिकायत की गई थी जिस पर तत्कालीन सीईओ द्वारा जांच टीम गठित कर जांच कराई गई थी जिसपर जांच में यह पाया गया था कि किशन राठौर जो सचिव है वह दूसरे पंचायत में ठेकेदारी का कार्य करते पाए गए लेकिन जांच में दोषी पाए जाने के बाद भी सचिव पर किसी प्रकार की कार्यवाही नही की गई चूंकि उक्त सचिव के रसूख के आगे पूरा शासन प्रशासन नतमस्तक था . इसके साथ ही ग्राम पंचायत सेमरा में बिजली चोरी कर पुराने प्राथमिक शाला भवन गुरुकुल को बिना पंचायत को सूचित किये टीन शेड को निकालकर एवं लडक़ी हटाकर मरम्मत का करवाया जा रहा था . जांच में सचिव किशन राठौर एवं उपसरपंच तूफान सिंह सेमरा के द्वारा बिना स्वीकृति एवं बिना कार्यादेश के कार्य कराया जाना पाया गया एवं किशन राठौर द्वारा अपने प्रभार के पंचायत के अतिरिक्त अन्य पंचायत में ठेकेदारी भी करना पाया गया है .

शासकीय कर्मचारी होने के बाद भी उक्त सचिव ठेकेदारी कर रहा था जो जो नियमविरुद्ध है सम्बंधित सचिव एवं उपसरपंच ग्राम पंचायत सेमरा उक्त कृत्य में दोषी पाए जाने पर सचिव को मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत बिलासपुर के द्वारा जनपद पंचायत मरवाही के ग्राम करसीवा में पदस्थ किया गया है . जो संबधित के विरुद्ध की गई कार्यवाही पर्याप्त नही होना प्रदर्शित करता है जबकि होना यह चाहिए कि उक्त सचिव को आय संपत्ति की जांच हो साथ ही नियमानुसार निलंबन की कार्यवाही सुनिश्चित की जानी चाहिये इसी प्रकार दोषी पाए गए उपसरपंच सेमरा के विरुद्ध भी किसी भी प्रकार की कार्यवाही न होना इनके हौसले बुलंद कर रहा है जबकिं उपसरपंच को दोषी पाए जाने पर पंचायती राज अधिनियम 1993 की धारा के तहत शासकीय संपत्ति को छति पहुचाने तथा बिना अधिकार पूर्वक कार्य कराए जाने के मामले में उपसरपंच पद से पृथक करने की कार्यवाही किया जाना चाहिए .



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