थुलथुली मुठभेड़ में घायल नक्सलियों का पुलिस समुचित इलाज करायेगी, उसे नुकसान नहीं पहुंचायेगी – गौरव रॉय

दंतेवाड़ा। जिले की सीमा पर हुए अब तक के सबसे बड़े थुलथुली मुठभेड़ के बाद भले ही पुलिस ने 31 शवों को बरामद किया है, लेकिन सूत्रों का दावा है, इसमें और भी नक्सली मारे गये हैं। सूत्रों के हवाले से खबर मिली है कि 4 अक्टूबर को थुलथुली मुठभेड़ में पांच और नक्सली मारे गए हैं। इनमें से तीन नक्सलियों के शव का अंतिम संस्कार कर दिया गया है। वहीं दो नक्सलियों का शव अभी तक नहीं मिला है, नक्सली उनकी खोज में लगे हैं। इधर घायल नक्सलियों की संख्या को लेकर भी सूत्रों का दावा है कि यह आंकड़ा 16 का है। इन दावों के अनुसार मुठभेड़ में मारे गए नक्सलियों की संख्या 36 पहुंच चुकी है, वहीं 16 घायल है, जिनमें कुछ घायलों की स्थिति गंभीर है। दंतेवाड़ा पुलिस अधीक्षक गौरव रॉय का कहना है कि हमारे पास भी कुछ ऐसी ही सूचना आ रही है, कि मरने वाले नक्सली और घायल नक्सलियों की संख्या कहीं ज्यादा है। लेकिन अभी इस पर स्पष्ट कुछ नहीं कहा जा सकता है। उन्होने कहा कि यदि कोई नक्सली घायल है और वह पुलिस से सहायता चाहता है तो पुलिस उसका समुचित इलाज करायेगी, पुलिस उसे नुकसान नहीं पहुंचायेगी।
सूत्रों से मिली जानकारी अनुसार थुलथुली की जिस पहाड़ी की घेराबंदी कर जवानों ने नक्सलियों को बड़ा नुकसान पहुंचाया है, इसमें बरामद 31 नक्सलियों से कई अधिक नक्सलियों के मारे जाने का दावा इस लिए भी मजबूत होता है कि अक्सर नक्सली मुठभेड़ के कुछ ही दिनों के भीतर पत्र के माध्यम से मारे गए साथियों की जानकारी सार्वजनिक करते हैं। लेकिन इस बार मुठभेड़ के सप्ताह भर बाद भी नक्सलियों ने कोई पत्र जारी नहीं किया है। वहीं इतने बड़े पैमाने पर नक्सलियों के मारे जाने की सूचना सार्वजनिक करने पर नक्सलियों के संगठन में भगदड़ की स्थिति निर्मित हो सकती है। सूत्रों का यह भी कहना है कि कुछ नक्सली थुलथुली मुठभेड़ से पहली रात कुछ सामान लेने मंगनार गांव आये थे। देर रात ही वे वापस बुलधुली लौट गये। यहां धुलधुली में ही उन नक्सलियों ने रात बिताई। इसके बाद इन्हें उसी पहाड़ी पर जाना था जहां मुठभेड़ हुआ, लेकिन किन्हीं कारणों से ये नक्सली पहाड़ी तक नहीं जा सके और इससे पहले ही फायरिंग शुरू हो गयी। फायरिंग की आवाज सुनकर उन नक्सलियों ने वर्दी और हथियार फेंक दिया। वर्दी और हथियार को खेतों में छिपाकर वे आम ग्रामीणों की तरह लुंगी और बनियान धारण कर लिये, ये नक्सली घरों में तब तक मौजूद रहे जब तक जवान आपरेशन के बाद वापस नहीं लौटे। जवानों के लौटने के बाद नक्सली वहां से चले गये। सूत्र ये भी दावा कर रहे हैं कि इसमें एक बड़ा नक्सली लीडर भी मारा गया है, जिसका नाम मुरली बताया जा रहा है। सूत्रों की माने तो ये डीवीसीएम के पद पर था। हालांकि पुलिस अभी किसी भी दावे की पुष्टि करने से बच रही है।