तेलंगाना से बेदखल हुए बस्तर के आदिवासियों को सरकार सुरक्षित और उचित बसाहट की व्यवस्था करें – सीपीआई

बीजापुर। भाकपा जिला सचिव कमलेश झाड़ी ने एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर बताया कि उग्र दमनकारी आंदओलन के दौरान छत्तीसगढ़ छोड़कर तेलंगाना के भूपालपल्ली जिले में रह रहे 27 परिवारों को तेलंगाना वन विभाग ने जमीन और घर से बेदखल कर घरों में तोडफ़ोड़ और पिटाई कर छत्तीसगढ़ बॉर्डर तारलागुडा में लाकर छोड़ा दिया है। तेलंगाना से बेदखल हुए बस्तर के आदिवासियों की, सरकार तत्काल संज्ञान में ले और उनके स्थाई रुप से रहने एवं जीवन निर्वाह के साधनों की भी उचित व्यवस्था करें। सीपीआई जिला सचिव कमलेश झाड़ी ने इस सारे मामले को लेकर भाजपा सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि छत्तीसगढ़ की विष्णुदेव वाली भाजपा सरकार आदिवासी क्षेत्र में आदिवासी हितों को लेकर गंभीर नही है। वे सिफऱ् देश के पूंजीवादियों की दलाली कर रही है और यहां के आदिवासियों को नक्सली के नाम से बेदखल कर इनके ज़मीनों को बड़े कार्पोरेट के हवाले करना चाहती है। यह मौजूदा सरकार कि प्रमुख नीति है जिसका भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी विरोध करती है।
उन्होने बताया कि विगत कई वषों पूर्व बस्तर के अंदर भाजपा-काग्रेस ने मिलकर नक्सली उन्मूलन के नाम से सलवा जुडूम आंदोलन चलाया गया था। इस उग्र दमनकारी आंदओलन से प्रभावित बस्तर के कई आदिवासी परिवार पड़ोसी राज्यों में पलायन कर गए। जिसमें सर्वाधिक आंध्रप्रदेश, तेलंगाना, उड़ीसा में लगभग एक लाख से अधिक लोग पलायन कर जंगलों में बस गये और मजदूरी कर अपना जीवनी यापन कर रहे थे। समय-समय पर इन्हें वापस लाने की मांग राजनैतिक दलों द्वारा सरकार से करते आ रहे थे, लेकिन भाजपा कांग्रेस की किसी भी सरकार ने इस पर ध्यान नही दिया। जिसका खामियाजा आज बस्तर के आदिवासी भुगत रहे हैं, उनकी सुध लेने वाले कोई नही।उन्होने कहा कि छत्तीसगढ़ की पूंजीवादी परास्त सरकारें यहां के आदिवासियों को उनके ज़मीन छीनने के उद्देश्य से वोट की राजनीति कर सिफऱ् उन्हे पलायन करने के लिए मजबूर किया है, जिसका सीपीआई कड़ी निंदा करती है। कल तेलंगाना में बस्तर के आदिवासियों के साथ हुए बर्बरता की सीपीआई कड़ी निंदा करती है ।