कोंडागांव। आज पूरी दुनिया बांग्लादेश में हिंदू परिवारों पर हो रहे नरसंहार पर चर्चा कर रही है, लेकिन वर्ष 1971 में बांग्लादेश से 308 हिंदू परिवारों को छत्तीसगढ़ के कोंडागांव में शरण दिया गया था, जो आज भी जिला मुख्यालय से 25 किलोमीटर दूर बोरगांव में बसे हुए हैं। उनके लिए यहां चरखा केंद्र खोला गया था, जिसमें वो काम करते हैं।
शरणार्थियों को एक एकड़ से लेकर 5 एकड़ तक भूमि भी मुहैय्या कराई गई थी, उनके रहने के लिए मकान भी दिया था। बांग्लादेश से 308 परिवारों में से एक 78 वर्षीय धीरेंद्र चंद्र देवनाथ के बांग्लादेश की स्थिति पर बात करते हुए रो पड़े। उन्होंने कहा कि यह दर्द मैंने अपने आंखों से देखा और उसे झेला भी है। उस वक्त भी हिंदुओं को नदी के किनारे आने को कहा गया। नदी के किनारे आते ही सबको एक-एक कर काट-काट कर नदी पर फेंका जा रहा था, नदी का पानी लाल हो चुका था। महिलाओं से दुष्कर्म और लोगों को जिंदा जलाया जा रहा था, घरों में आग लगा रहे थे। गर्भवती महिलाओं के पेट में लात मारकर बच्चे गिरा रहे थे। इन सब घटनाओं को मैंने अपनी आंखों से देखा है। आज फिर बांग्लादेश में हिंदुओं के साथ वैसा ही हो रहा है।
बोरगांव में बसे बांग्लादेश शरणार्थियों ने कहा आज फिर वैसा ही हो रहा है बांग्लादेश में हिंदुओं के साथ
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