20 सालों से बंद पड़े 28 स्कूल खोले गये, शाला त्यागी-अप्रवेशी 4 हजार बच्चों को शिक्षा से जोडऩे में प्रशासन हुई सफल
बीजापुर। जिले में शिक्षा व्यवस्था सुदृढ़ीकरण और बच्चों को शाला से जोडऩे जिला प्रशासन के अभिनव पहल फिर स्कूल चले अभियान को जिले में आशानुकूल सफलता मिली है। स्कूल वेंडे वर्राटू पंडुम अभियान के जरिये जिले के 550 गांवों में डोर टू डोर सर्वे कर 6 से 18 साल के 7 हजार शाला त्यागी और अप्रवेशी बच्चों की पहचान की गई है। जिसमें से 6 से 14 वर्ष के 4 हजार बच्चों को शिक्षा के मुख्य धारा में जोडऩे में जिला प्रशासन सफल हुई है। इस अभियान का सकारात्मक असर यह रहा कि शिक्षा के प्रति ग्रामीणों मे नयी चेतना का संचार हुआ और शिक्षा व्यवस्था को स्थापित करने को लेकर ग्रामीण अब स्वयं स्कूल एवं शिक्षक की मांग करने लगे है। इस अभियान के जरिये नक्सल प्रभावित क्षेत्र के को फिर से खोलने में सफलता मिली है, जिसमें लगभग 1 हजार बच्चों को प्रवेश दिया गया।
जिले की शैक्षणिक दशा राष्ट्रीय स्तर के अनुपात में कमजोर होने से यहां की आर्थिक सामाजिक स्तर पर इसका सीधा असर दिखता है। इसे दूर करने के लिए जिला प्रशासन ने शत प्रतिशत बच्चों को स्कूल से जोडऩे का महाअभियान प्रारंभ किया गया। जिसे स्कूल वेंडे वर्राटू पंडुम यानि फिर स्कूल चले अभियान नाम दिया गया है। इस अभियान के तहत जिला, ब्लॉक और ग्राम स्तर पर समिति का गठन कर लगभग 600 दल के माध्यम से 2400 कर्मचारियों के जरिये 579 गांवों का सर्वे किया गया। सर्वे में 7 हजार से ज्यादा अप्रवेशी एवं शाला त्यागी बच्चों की पहचान की गई। जिन्हें विशेष अभियान चलाकर स्कूलों में प्रवेश देने की कार्रवाई की गई। शिक्षकों, आंगनबाड़ी कार्यकताओं, स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं, पंचायत सचिव की टीम बनाकर गांव-गांव में रैली आयोजित कर जागरुकता अभियान चलाया गया, साथ ही कलेक्टर की पाती और वेलकम किट भेंट कर पालकों और बच्चों को आकर्षित किया गया। इस अभियान के जरिये सामूहिक प्रयास से शिक्षा सत्र 2024-25 से 6 से 14 वर्ष की लगभग 4 हजार बच्चों को कक्षा पहली से कक्षा 8वीं में प्रवेश दिलाने में जिला प्रशासन कामयाब हुआ है।