विवादित IPS सदानंद को आखिर किसका वरदहस्त , जिस जिले में रहे पदस्थ वहाँ अशांति का माहौल , चरमराई कानून व्यवस्था ,

विवादित IPS सदानंद को आखिर किसका वरदहस्त , जिस जिले में रहे पदस्थ वहाँ अशांति का माहौल , चरमराई कानून व्यवस्था ,

रायपुर : – पुलिस विभाग के उच्च पदस्थ सूत्रों का मानना है कि छत्तीसगढ़ राज्य बनने या उसके पहले कभी बलौदा बाजार जैसी हिंसक घटना नही हुई मगर जिस तरह से बलौदा बाजार में उपद्रवियों द्वारा कलेक्टर एसपी कार्यालय में तांडव मचा यह इतिहास में दर्ज हो गया आखिर इतनी बड़ी चूक कैसे हुई उक्त मामले को लेकर अनेक सवाल है जिसका जवाब जिला से लेकर पुलिस मुख्यालय तक किसी के पास नही है वही इतने बड़े मामले में अब तक कोई कार्रवाही न होना बताता है कि पुलिस मामले को लेकर कितनी गैरजिम्मेदार है  .

20 दिनों से सुलग रही थी आग , पुलिस मदमस्त : –

दरअसल मामला 15 मई का है जहाँ गिरोधपुरी में समाज विशेष के धर्मस्थल में तोड़फोड़ की वारदात हुई थी जिसको लेकर समाज उद्वलित था और पुलिस प्रशासन अपने मे मदमस्त थी . इतने गंभीर मामले में पुलिस को जिस तत्त्परता से कार्रवाही कर समाज के वरिष्ठ लोगो से शांति की पहल करनी चाहिए थी मगर पुलिस की अनदेखी आखिर भारी पड़ गई . घटना दिनांक को बीते 20 दिनों बाद भी आरोपियों के खिलाफ कार्रवाही न होना आग में घी डालने का काम किया नतीजा इतना हिंसक हुआ कि छत्तीसगढ़ के इतिहास में यह काला अध्याय जुड़ गया . अगर समय रहते मामले में तत्त्परता या सार्थक पहल की जाती तो यह राज्य के इतिहास का काला दिन देखने को न मिलता .

सुरक्षा व्यवस्था में भारी चूक : –

पुलिस के उच्च सूत्रों के मुताबित बलौदा बाजार जिला मुख्यालय में घटना दिनांक के एक दिन पहले से प्रदेश के अन्य जिलो से बड़ी संख्या में लोग एकत्रित हो रहे थे . इसकी सूचना पुलिस को थी पर वह लापरवाह बनकर इस मंजर को निहार रही थी . सूत्रों का कहना है कि इतनी बड़ी संख्या में लोगो एकत्रित होने के बाद भी कलेक्ट्रेड की सुरक्षा व्यवस्था नही बढ़ाई गई न ही अतरिक्त बल बुलाया गया . कलेक्टर कार्यालय जो सुरक्षा के इंतजामात होने थे वह कही नजर नही आया . लोग अन्य जिलों जैसे बिलासपुर , जांजगीर , समेत कई और जिलो से आये लेकिन बलौदा बाजार का पुलिस महकमा मूकदर्शक बनकर निहारती रही .

IPS सदानंद का विवादों से पुराना नाता : –

IPS सदानंद जिस जिस जिले में पुलिस कप्तानी किये उस उस जिले में कानुन व्यवस्था चरमरा गई . एसएसपी सदानंद कुमार लॉ एंड ऑर्डर कंट्रोल करने में हर जगह नाकाम रहे है . बलौदा बाजार हिंसक वारदात पहला मामला नही है इसके पहले भी नारायणपुर जिले में इनकी पदस्थ अवधि में मतांतरण को लेकर विवाद हुआ इस दौरान आक्रोशित लोगो ने पथराव किया जिसमें अनेक पुलिस समेत खुद सदानंद भी जख्मी हुए विडंबना देखिए जिस जिले में खुद एसपी सुरक्षित नही है वहाँ आमजनता कैसे सुरक्षित रहेगी .

सरगुजा में सरकारी फंड के गड़बड़झाने में सदानंद की भूमिका : –

सदानंद सिर्फ कानून व्यवस्था में ही कमजोर नही है वरन यह आर्थिक मामले में कई बार संदेह के दायरे में रहे है मामला सरगुजा का है जब सदानंद बलरामपुर में पुलिस अधीक्षक थे तब इनपर डीजल खरीदी के मामले में करोड़ो के आर्थिक अनियमितता का आरोप लगा मामला इतना तुल पकड़ा की इस गड़बड़झाने कि गूंज राजधानी तक पहुँच गई मामलें में तत्कालीन आईजी ने मामले की जांच कर पुलिस मुख्यालय को रिपोर्ट सौपकर एसपी के खिलाफ कार्रवाही की अनुशंसा की गई मगर आज पर्यन्त तक फाइल पुलिस मुख्यालय में धूल खा रही है जबकि करोड़ो रुपये के डीजल घोटाले में एसपी के खिलाफ कठोर कदम उठाया जाना था जिसपर कार्रवाही नही होने से उसके हौसले और बुलंद होते गए नतीजा बलौदा बाजार जिले में इतनी बड़ी हिंसक वारदात हो गई .

बलौदा बाजार की घटना के 24 घण्टे बाद भी सरकार स्तर पर किसी भी अधिकारी को जवाबदार न ठहराना अनेक सवालो को जन्म देता है आखिर सदानंद पर किसकी कृपा है और किसके संरक्षण में इतने फेलवुर अफसर आज भी फील्ड में पदस्थ है . सूत्र बताते है कि आंदोलन की तैयारी पिछले कई दिनों से चल रही थी . जनप्रतिनिधियों द्वारा भी यह अंदेशा जताया है कि हिंसा कि बलौदा बाजार में अप्रिय वारदात हो सकती है इसके बाद भी पुलिस प्रशासन कुम्भकर्णी नींद में रही और मामले को नजरअंदाज करती रही जिसका परिणाम इतना हिंसक हुआ .

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