मच्छरों के अस्तित्व को बचाने की मुहिम में राजधानी ,

मच्छरों के अस्तित्व को बचाने की मुहिम में राजधानी ,

रायपुर : – यह भिन-भिन करते मच्छरों का अस्तित्व डायनासोर से पुराना है । आपको सुनकर आश्चर्य होगा कि आज से करीब 2350 साल पहले दुनिया जीतने चला सिकंदर एक मच्छर से हार गया था । वही दूसरे विश्व युद्ध के जमाने मे जर्मन के तानाशाह एडोल्फ हिटलर दुनिया के सबसे ताकतवर देशों की सेनाओं को पस्त करने के लिए मच्छरों से हमला करवाने की योजना बनाई थी शायद इसी सोच और विचारों के साथ प्रदेश की राजधानी भी मच्छरों का हुजूम तैयार करने की योजना बना रही है ।

आप सोच रहे होंगे कि इस तैयारी का उद्देश्य क्या है ? यही न ! तो बताता चलूँ कि मच्छरों के अस्तित्व और इनके विलुप्त हो जाने का खतरा मंडरा रहा है । इसी खतरे को देखते हुए मच्छरों को बचाने के लिए नगर निगम रायपुर योजनाबद्ध तरीके से मच्छर बचाओ अभियान चला रही है जिसके लिए बिना रेरा में अप्रूवल के बड़ी बड़ी कॉलोनी कट रही है कही 25 – 25 मंजिला अपार्टमेंट बन रहे और इन कॉलोनी और अपार्टमेंट में निकासी की कोई व्यवस्था नही है ऊपर से भव्य दिखने वाली इन कॉलोनियों के पीछे का सच खुली बजबजाती नाली , खुले सिवरेल , शहर में पसरी गंदगी इन जगहों को खुला छोड़ नगर निगम मच्छरों के अस्तित्व को बचाने के लिए जी तोड़ मेहनत कर रहा है । इससे एक फायदा हॉस्पिटल को भी है इन मच्छरों के काटने से लोग डेंगू , मलेरिया से ग्रसित होंगे तो हॉस्पिटल को भी फायदा होगा अब भारत सरकार आयुष्मान कार्ड योजना तो चला ही रही है सरकारी डॉक्टर भी इसमे अपना स्वार्थ साध ही ले रहे है और प्राइवेट हॉस्पिटल की तो बल्ले बल्ले है । अब लोग बीमार ही नही पड़ेंगे तो हॉस्पिटल खुलने का क्या औचित्य रह जायेगा ।

बताते है कि निगम इन मच्छरों को मारने के लिए पहले हर महीने लाखो रुपये और साल में करोड़ो खर्च कर फॉगिंग कराता था । अब जब मच्छरों को बचाना ही है तो फॉगिंग का बजट निकाल लो फॉगिंग की जरूरत ही क्या है वैसे भी मार्च 2024 में नगर निगम के स्वास्थ्य विभाग ने सभी जोन आयुक्तों के पत्र लिखकर फॉगिंग पर रोक लगा दी थी। स्वास्थ्य विभाग ने तब यह तर्क दिया था कि फॉगिंग के लिए इस्तेमाल होने वाले कीटनाशक व डीजल के धुएं से बीमार और कमजोर व्यक्तियों की सेहत पर बुरा प्रभाव पड़ता है । फॉगिंग उनके स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। साथ ही कहा गया था कि डीजल व पेट्रोल की खपत भी बढ़ गई है और अपेक्षित रिजल्ट नही निकल रहा है । निष्कर्ष यह है कि मच्छरों के लिए अब सारे प्रयास बेबुनियाद हो चुके है इस लिए मच्छरों को उनके हाल में छोड़ देना चाहिए ।

हालांकि एक काम और है जो किया जा सकता है जो एशियाई देश फिलीपींस ने किया यह देश मच्छरों के लिए बेहद ही संवेदनशील रहा है । एक बार जब यहाँ डेंगू के मामले बढ़ने लगे तो इस देश ने एक अजीबोगरीब कहिए या तर्कसंगत फरमान जारी कर दिया इसमे कहा गया कि जिंदा या मुर्दा मच्छर लाओ और पैसे ले जाओ लेकिन कम के कम मच्छरों की संख्या पांच होनी चाहिए जिसके लिए 1 फिलीपीन पेसो यानी 1.5 रुपये दिया गया । अब नगर निगम चाहे तो यह जिम्मा भी राजधानी वासियों को दे सकता है ऐसे मच्छरों को मारकर लाने में इनाम दिया जा सकता है शायद जो काम निगम न कर सकी वही राजधानी की जनता कर दिखाए ।

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