पेंड्रा। उसने तबीतय से पत्थर उछाला और सचमुच में आसमान में सुराख हो गया। जी हाँ नि:स्वार्थ जनसेवा के लिए समर्पित इस जिद्दी, जुनुनी व लगनशील शख्स का नाम है हर्ष छाबरिया पेंड्रा वासी हर्ष को स्नेहवश हर्रु के नाम से संबोधित करते हैं। हर्ष का एक ही सपना है कि मेरे शहर में सदा हर्षोल्लास व्याप्त रहे। साफ-सफाई में पेंड्रा को पहले स्थान पर स्थापित करने हर्ष ने सफाई अभियान का झंडा उठाए हुए है। वे एक नया इतिहास रच रहे हैं। वे सेवा कार्य अपने खून-पसीने की कमाई से करते हैं। चंदा-चकारी उन्हें जरा भी नहीं भाता है। विधायक व अन्य जनप्रतिनिधि तथा सीएमओ सहित अन्य सभी अधिकारियों का पेंड्रा के विकास की ओर ध्यान ही नहीं है। सरकारी मशीनरी जब फेल हो गई तब हर्ष छाबरिया झंडावरदार बने। आज इस सामाजिक कार्यकर्ता ने पेंड्रा की तस्वीर बदल दी है। सफाई अभियान का श्रीगणेश नौ वर्ष पूर्व तलाब की सफाई से किया गया। फिर छाबरिया के नेतृत्व में उनकी टीम पिछले नौ वर्षों में शहर के कोने-कोने की सफाई की है। हर्ष ने शहर को साफ रखने जिम्मेदारी निभाने का संकल्प लिया हुआ है। हर्ष इस तरह का अभियान समय-समय पर चलाते रहते हैं,जबकि यह जिम्मेवारी प्रशासन की है। धार्मिक प्रवृत्ति के हनुमानजी के अनन्य भक्त हर्ष प्रकृति प्रेमी भी है। वे पेंड्रा क्षेत्र में परिचय के मोहताज नहीं है। वे मशहूर शख्सियत हैं।
तालाब,सरोवर की साफ़ सफाई का जिम्मा अगर कोई उठाये तो शायद बड़ी बात न हो लेकिन शहर की साफ़ सफाई का जिम्मा अगर कोई अपने कंधे पर ले और खुद खर्च करके जिम्मेदारी के साथ स्वच्छता अभियान चलाए तो बड़ी बात होती है जिसमे नगर पंचायत के अध्यक्ष, सीएमओ और स्थानीय विधायक भी इसकी चिंता नहीं है की खुद इसकी मदद करके अभियान चलाया जाए। हालांकि यह काम अच्छा है लेकिन एक हद तक ताकि आम लोग भी जागरूक हो सके लेकिन जीपीएम के लोग अब भी जागरूक नहीं हो रहे जिसके कारण साफ सफाई का जिम्मा दिनों दिन बढ़ते जा रहा है।आपको बता दे हम जिसकी बात कर रहे है वह अपने आप में जीपीएम की एक पहचान है जो किसी परिचय का मोहताज नहीं है जिसे हर कोई जानता है और समाज सेवी के नाम से एक नया नाम मिला है हम आपको यह भी बता दे इस व्यक्ति के बारे में हम लिखना नहीं चाहते थे। लेकिन लोगो की तारीफ़ और लोगो के द्वारा बार-बार बोलने पर हम खुद एक दिन पहुंच गए जीपीएम और खुद देख लिया आँखों देखा हाल जिसमे पल भर के लिए तो हमें भी यकीन नहीं हुआ की लोग जिसके बारे में बात कर रहे है वह यही है फिर हमने उनसे बात की तब उन्होंने अपना नाम हर्ष छाबरिया उर्फ हरू बताया की पिछले कई साल से यह काम कर रहे है और उनको सामाजिक कार्य करना अच्छा लगता है। चूँकि बचपन से लेकर अब तक जीपीएम में रहना हुआ है इसलिए साफ सफाई करने का जिम्मा उठाया। हमने जब सामाजिक कार्यकर्ता हर्ष छाबरिया से बात की तो उन्होंने बताया की लोग पान,गुटका,पानी पाउच या बोतल और खाने पीने की चीजे की पैकेट को कही भी फेंक देते थे जिसके कारण गंदगी लगती थी और चलने फिरने में भी अजीबो गरीब लगता था इसलिए माता-पिता के आशीर्वाद और दोस्तों के सहयोग से यह काम करने का बीड़ा उठाया जिसके कारण आज साफ़ सफाई अभियान में सफल हो सका। उन्होंने यह भी बताया की धीरे धीरे इस अभियान में लोग शामिल हुए और कुछ लोग मदद करने आते है तो कई लोग सिर्फ तमाशा देखते है। स्वच्छता अभियान में देखा जाए तो 9 साल होने को है और अब तक इसमें मदद करने के नाम पर सिर्फ दिखावा किया गया है,लेकिन कुछ लोग ऐसे भी है जो गुप्तदान करने में जरा भी देर नहीं कर रहे है,और किसी न किसी तरीके से बहाने से मदद कर रहे है। सबसे बड़ी बात यह है की हर्ष छाबरिया काम करने पहुंचे मजदूरों को अपनी जेब से पैसा देते है और खाना पीना से लेकर पानी तक देते है।
पूरा खर्च वहन करने के बाद भी किसी से नहीं मांगते मदद
सामाजिक कार्यकर्ता हर्ष का कहना है की जब तक साफ़ सफाई का काम न हो जाए तब तक वहा से नहीं जाता और खुद भी काम करने में अच्छा लगता है,उनका कहना है की खुद जिम्मेदारी के साथ काम करो तो ज्यादा मजा आता है और लोग भी काम करने में दिलचस्पी दिखाते है सामाजिक कार्यकर्ता का कहना है की पेंड्रा में अगर अध्यक्ष चाहे तो खुद इसकी जिम्मेदारी उठाकर काम करवा सकते है और इस स्वच्छता अभियान को पुरे जिले में नहीं बल्कि प्रदेश भर में नाम रोशन कर सकते है…लेकिन नहीं करते है कोई मदद। पेंड्रा में वर्षो पुराने तालाब जिसे दुर्गा सरोवर उफऱ् तालाब के नाम से भी जानते है वहा पर एक समय गंदगी और बदबू के नाम से लोग जानते थे लेकिन अब तालाब की हालत बदल गयी है और जिसे आप खुद पहचान नहीं पाओगे..बल्कि तालाब के आसपास साफ सफाई और बिजली की व्यवस्था की जा रही है यहाँ तक रंग रोगन करके तालाब को खूबसूरत बनाया जा रहा है। अपने जेब से पैसा लगाकर साफ सफाई करवाना और स्वच्छ भारत अभियान के तहत काम करना अच्छा लगता है,इसलिए इसमें कभी संकोच नहीं किया जाता,और रोज इस अभियान में जुट जाते है.