अफ़सर-ए-आ’ला (हर रविवार को सुशांत की कलम से)
(हर रविवार को सुशांत की कलम से)

अफ़सर-ए-आ’ला
(हर रविवार को सुशांत की कलम से)
मंत्री परिषद के विस्तार का दिल्ली कनेक्शन
छत्तीसगढ़ के मंत्री परिषद का विस्तार एक बार और टल गया । उम्मीदवारों को दुबारा तीसरी बार जैकेट सिलवाना पड़ सकता है । पार्टी परिसर के गलियारों से खबर है कि एक पूर्व मंत्री जी को फिर से मंत्री बनाने के लिए श्री राममंदिर के बगल के बंगले से लेकर दिल्ली तक से फोन आ रहे हैं लेकिन स्थानीय संगठन बिल्कुल तैयार नहीं है । कहना है कि ऐसा करने पर उनका तेजतर्रार रवैया बाकी मंत्रियों पर हॉबी हो जाएगा और सत्ता का एक नया केंद्र बन जाएगा । खैर लालबत्ती किस्मत का भी खेल है । इसलिए कहा जा रहा है सब्र रखिए सब्र का फल मीठा होता है । लेकिन बेचारे इंतजार करने वाले सोच रहे होंगे कि भाईसाहब जिन्हें फल मिल चुका है उन्होंने कितना सब्र किया बताइए तो । सवाल वाजिब और जवाब गायब ।
शक्ति के बिना शक्ति प्रदर्शन
निगम मंडलों की नियुक्तियों की सूची क्या जारी हुई बड़े कार्यक्रमों का दौर शुरू हो गया । नवनियुक्त मान्यवर शपथ लेने की तैयारी करने लगे । निगम मंडल आयोगों को फोन आने लगे कि शपथ ग्रहण भव्य होना चाहिए । अधिकारियों ने समझाया कि इसमें शपथ नहीं होती पदभार ग्रहण होता है । आपको चार्ज लेना है । उधर नवनियुक्त मान्यवर ये समझने में भी चूक कर रहे हैं कि विधायक , सांसद, नगरीय निकायों और जिला पंचायतों से टिकट कटने के बाद उनका ये नंबर लगा है । ऊपर से अधिकांश निगम मंडल जांच की चपेट में हैं । पाठयपुस्तक निगम, नान वगैरह में नियुक्ति तो चुनौती से कम नहीं है । संगठन को चाहिए कि शहीद स्मारक और बीटीआई में होने वाले बड़े बड़े कार्यक्रम रोके और चुपचाप मान्यवरों को काम शुरू करने को कहें वो भी सादगी से । भई,विष्णु के सुशासन में संस्थाओं का शोषण नहीं होना चाहिए ।
हाउस के सूरज
हाउस में एक सूरज है और हाउस पूरी तरह से वातानुकूलित है फिर भी इस सूरज की तपिश से ठेकेदारों और काम करने वाले झुलस रहे हैं । इस तपिश से बचने का एक ही रास्ता है परसेंट ! बताते है कि कोई भी काम हो कैसा भी काम हो पहले इस सूर्य देवता को 20 प्रतिशत का चढ़ावा चढ़ाना पड़ता है । इतना ही नही इसके बाद नीचे के छोटे मोटे और ग्रहों के लिए 10 प्रतिशत की चढ़ोत्तरी चढ़ने के बाद ही तपिश थोड़ा कम होती है । अब 30 प्रतिशत चढ़ावे के बाद ठेकेदार भी सोचता है कुछ मेवा वह भी खा ले मतलब कुल मिलाकर काम का 50 प्रतिशत देने लेने में चला जा रहा है । अब बचा 50 प्रतिशत इसमे होना है काम अब 50 % में काम कैसा होगा उसकी गुणवत्ता कैसी होगी इसपर ज्यादा न सोचिए बस यह सोचिए कि इस भीषण गर्मी में कम से कम हाउस की तपिश तो शांत हो रही है ।
अरुणोदय की आंधी ने पलटा पवन का रुख
अरुणोदय की आँधी इस कदर चली की पवन का रुख ही पलट गया । इन देव ने समय रहते स्थिति सँभाल ली । जबकिं दूसरे देव जो हवाओ में तैरते हुए सोचा कि तालाब के किनारे से लगे कार्यालय में ही गोता लगा लेंगे । मगर हालात ऐसे हो गए है कि तैरना तो दूर इनके तो पर ही काट लिए गए है । दरअसल बीते दिनों वित्तीय डिपार्टमेंट ने एक नोटिफिकेशन जारी किया पवन फिर से हवाओ में लहराना शुरू किए उन्हें लगा यह गजट उनके लिए ही संसोधित किया गया है और अगले पांच साल का हवाओ में उड़ने को जैसे पर लग गए । गजट को जारी हुए घण्टे भर भी नही बीते थे कि खबरे तैरना शुरू हो गई और ब्यूरोक्रेसी में तहलका मच गया । बाद में विभाग ने इसे लिपिकीय त्रुटि बता दिया। अब उनको कौन समझाए की तुम्हारी लिपिकीय त्रुटि ने हवाओ का रुख ही पलट दिया है । खैर अब जो गया सो हो गया अरुणोदय की आँधी में भला पवन कर भी क्या सकता है ।
बगुले की चोंच
दिल्ली से साहेबान बुलाए गए तो लगा था कि अब सिस्टम में कुछ बदलाव आएगा मगर बगुले की चोंच सब कबाड़ा किये हुए है । बगुला अपनी लंबी चोंच से सब चट करने की फिराक में रास्ता खोजता ही रहता है । इस बार तो उसने शराब की बोतल में ही चोंच मार दी है । एक अफसर ने जब पूछा कि यह तो खाली बोतल है इसमे क्यो चोंच मार के अपना समय खराब कर रहे तो बगुले ने कहा कि इसी खाली बोतल से महीने के 80 लाख आएंगे । अब बगुला खुद को पुराना शातिर बताता है , तो उसको लगा यह बात हल्ला नही मचेगी । मगर इस खाली बोतल में कुछ टूटी फूटी बोतल भी थी और कांच की बोतल है तो टूटेगी और टूटी बोतल बिखरेगी तो चुभेगी भी , अब यह चुभने लगी है । साहेब संभालिएगा कही यह चुभन धीरे-धीरे घाव न बन जाएं और घाव के नासूर बनने से पहले इलाज कर दीजिए वरना यह घाव नासूर बना तो अंग ही काटने पड़ेंगे ।
महादेव का प्रसाद
महादेव का हल्ला पूरा देश में मचा हुआ है। बड़ी-बड़ी जांच एजेंसी छत्तीसगढ़ में सक्रिय हैं। पिछली सरकार में महादेव का प्रसाद जिस जिसने खाया हैं जांच एजेंसी उसकी कुंडली तैयार कर रही है। इस बीच यह खबर है कि महादेव की जहां पर स्थापना हुई है उस क्षेत्र के जनप्रतिनिधि को हर माह दो खोखे का प्रसाद मिल रहा है। यह पड़ोस के अपनी ही पार्टी के जनप्रतिनिधि के क्षेत्र में हस्तक्षेप को लेकर सुर्खियों में है। कहने वाले तो यह भी कह रहे हैं कि महादेव का प्रसाद राष्ट्रीय राजधानी तक पहुंच रहा है। साथ ही यह प्रसाद एक खेल संगठन के अंतर्राष्ट्रीय पदाधिकारी तक भी बराबर पहुँचाया जा रहा है। अब यह प्रसाद है पहले भी बंटा जिसने चखा उनका हाल क्या है बताने की जरूरत नही है इन्हें भी खाने दीजिए वक़्त आने के बाद इनसे भी हिसाब किताब होई जाना है ।
यक्ष प्रश्न
1 . प्रदेश के वो कौन माननीय मंत्री है जिन्होंने तेंदू पत्ता बोनस का 3 करोड़ डकार लिए ?और अपना ठीकरा कही और फोड़ दिए !
2 . क्या मंत्रिपरिषद का विस्तार भाजपा के नए राष्ट्रीय अध्यक्ष की नियुक्ति के बाद होगा ?