जंगल विभाग के एक जादुई अधिकारी के किस्से , चार वेदों के ज्ञाता को मिल गया कमल का फूल ,

जंगल विभाग के एक जादुई अधिकारी के किस्से , चार वेदों के ज्ञाता को मिल गया कमल का फूल ,
रायपुर : – जंगल विभाग के अपने अजब गजब कारनामे है और उससे भी गजब है इस विभाग के अफसर सरकार तंत्र चाहे किसी की हो यह तांत्रिक अफसर अपनी जगह बना ही लेते है . ऐसे ही एक जादुई करिश्माई अधिकारी है जो चार वेदों के ज्ञाता है इन्होंने पिछली सरकार में जमकर मलाई छानी अब जब सत्ता बदली तो साहेब फिर से मलाई छानने की जुगत में लग गए .अब सत्तादल तो है ही वाशिंग मशीन जो सबके पाप धो देती है तो साहेब भी इसमें डुबकी लगा दिए वो तो अच्छा है समय रहते वाशिंग हो गए नही तो अगर इनके कालो की जांच हो जाती तो साहेब भी कृष्ण जन्म भूमि पहुँच जाते . अब यह जादुई अधिकारी उसपर वेदों के ज्ञाता तो सही समय मे सही निर्णय लेकर पाक साफ हो गए है .
अब जब चर्चाएं छिड़ ही गई तो बता दे इनके किस्से प्रदेश में ही नही राष्ट्रीय स्तर तक चर्चाओं में रही है जंगल विभाग को जानने वाले जानते होंगे प्रदेश की राजधानी में एक बड़ा कांड हुआ था आरा मिल कांड तब यह जादुई अफसर सीएफ रायपुर हुआ करते थे और कहते है इस कांड के मुख्य सरगना भी यही थे . उस समय सभी डीएफओ से आरा मिल के फर्जी इंस्पेक्शन दिखा के सरकारी तंत्र को करोड़ो को चुना लगाया था मामले की जांच हुई दोष सिद्ध हुआ इसी कारण से लगभग 15 साल इस अफसर का प्रमोशन रुका रहा अब यह ठहरे जादुई अधिकारी कांग्रेस सत्ता में थी इन्होंने घुमाई अपनी जादुई छड़ी और मामले से बहाल हो गए जबकिं इस आरा मिल कांड एक पांडेय जी है वो फंस गए उनपर करोड़ो की वसूली का आदेश निकला उस मामले में रेंजर से लेकर तमाम छोटे कर्मचारी बलि का बकरा बने मगर साहेब तो जादूगर थे ऊपर से चार वेदों के ज्ञाता मामला ठंडा होना ही था .
अब साहेब बहाल हुए और लक्ष्मी मैया की कृपा से इनको जंगल विभाग का सर्वोच्च पद मिल गया कहते है साहेब ने भ्रष्टाचार के लिए एक नई तरकीब निकाली चूंकि उस समय केंद्र सरकार ने राज्य के वन अमले को कैम्पा मद से करीब 57 00 करोड़ का तोहफा दिया हालांकि यह तोहफा जंगल के विकास के लिए दिया गया मगर जंगल के विकास से पहले साहेब का विकास जरूरी था तो शुरु हुआ करोड़ो के गोलमाल का खेल पहले रेट तय हुआ साहेब का परसेंट पहुँचाओ और काम पाओ यह परसेंट सिर्फ काम तक ही सीमित नही था उस समय जंगल विभाग में एक नई प्रथा भी लाई गई थी प्रभारी रेंजर , प्रभारी डीएफओ परसेंट दो और प्रभार ले जाओ चना मुर्रा की तरह प्रभार बांटा गया . जो रिटायर होने वाले एसडीओ थे उन्हें डीएफओ के प्रभार पर बैठा दिया गया और जो डारेक्ट आईएफएस थे वह मुंह ताके इंतजार में बैठे रहे बताते है उस टाइम इस प्रभारी वाली प्रथा से विभाग के मंत्री जी की खूब छीछालेदर हुआ था तब जाकर मंत्री जी ने इस प्रथा पर रोक लगाई खैर तब तक सारी मलाई छान ली गई थी .
अब चूंकि साहेब भी सेवानिवृत्त होने वाले थे तो सोचे जाते जाते भी जंगल की मलाई खबोचते चले तो जाते जाते भी इस जादुई अफसर ने मनरेगा में हुए घोटाले में शामिल रेंजरों को बहाल कर दिया था जबकि मामले में विभागीय जाँच चल रही थी खैर साहेब को क्या वो तो वेदों के जानकार है वो भी चार वेदों के । बताते है कि साहेब को सेवानिवृत्त होने के बाद पर्यावरण संरक्षण मंडल का अध्यक्ष बनना था जिसके लिए साहब ने करोड़ो का ऑफर भी किया था एक न्यूज चैनल के हवाले से तो साहेब ने रिटायरमेंट के पहले ही अध्यक्ष का एलान कर दिया था फिर जब बात नही बनी तब साहेब ने रेरा के लिए जोरआजमाइश लगाई अंततः पिछली सरकार ने लक्ष्मी की कृपा से इन्हें जैव विविधता दे दिया गया .
इसके बाद आया विधानसभा का दौर जिस सरकार का नमक खाया उसकी अदायक़ी का समय आ गया तो साहेब ने मोहन भईया के खिलाफ ही मोर्चा खोल दिया और लग गए मोहन भईया को निपटाने में कहते है उस समय इस जादुई अफसर ने एक बैरागी ( संत ) को भी अपने साथ रखा हुआ था . अब वो ठहरे मोहन जो सबका मन मोह लेते है सो मोहा गई जनता और मोहन भईया आ गए . विधानसभा में सिर्फ मोहन ही नही आये विष्णु भी आ गए . मगर यह ठहरे जादुई करिश्माई व्यक्ति ऊपर से चार चार वेदों के ज्ञाता तो साहेब ने लगाई डुबकी और डुबकी में इन्हें मिल गया कमल का फूल .
वैसे अच्छा हुआ कि वाशिंग हो गए साहेब अगर थोड़ी चूक हुई होती तो बाकी नौकरशाहो कि तरह इन्हें भी कृष्ण जन्म भूमि के दर्शन करने पड़ जाते चूंकि केंद्रीय जांच एजेंसियों की तलवार इनके गले पर भी लटकी थी अब जांच एजेंसी को दिखाने के लिए इन्हें कमल का फूल मिल गया है जो इनके सारे कीचड़ को छुपा देता है .
ऐसे जादुई करिश्माई अफसरो के अनेकों किस्से है जिसमे एक और राव है जो समय के पहले ही सर्वोच्चता के शिखर को पा गए है सत्ता समय बदला तो लगा यह सर्वोच्चता का शिखर उतरेगा मगर वो कहावत सही है एक बार ताजपोशी होने के बाद ताजपोशी उतरना कठिन है राव आओ ही है जाओ कब होंगे यह समय तय करेगा .