अफ़सर-ए-आ’ला (हर रविवार को सुशांत की कलम से)

अफ़सर-ए-आ’ला(हर रविवार को सुशांत की कलम से)
पांच साल पहले लिए गए एक गलत फैसले ने कांग्रेस को शून्य की ओर धकेला-
पांच साल पहले नगरीय निकाय चुनाव के बाद कांग्रेस ने एजाज ढेबर को रायपुर नगर निगम के महापौर बनाया तो उन्हें बिल्कुल भी अंदाजा नहीं था कि यह फैसला आत्मघाती होगा और पांच साल में शून्य में ले जाएगा। जब एजाज ढेबर को रायपुर का महापौर बनाया गया तो पार्टी के लोग ही इसे क्रिटिसाइज करते नजर आए। ढेबर की कार्यशैली राजधानी वासियों को बिल्कुल भी रास नहीं आई और इसका परिणाम यह हुआ कि विधानसभा चुनाव में राजधानी की चारों सीट कांग्रेस गंवा दी और रायपुर जिले में कांग्रेस का खाता शून्य रहा। नगरीय निकाय चुनाव के आते-आते हालत और खस्ता हो गई। कांग्रेस की महापौर प्रत्याशी डेढ़ लाख से भी अधिक वोट से पराजित हुई,पार्षदों की संख्या भी सिंगल डिजिट रहा अब तो नेता प्रतिपक्ष के पद मिलेगा की नहीं इस पर भी सवाल खड़े हो गए हैं।
हार का ठीकरा : –
कांग्रेस हाईकमान ने हरियाणा में कांग्रेस की हार का चार महीने की अनथक मेहनत के बाद आखिरकार कारण ढूंढ ही लिया है और हार की मुख्य वजह प्रभारी दीपक बाबरिया निकले . लिहाजा उनको हटाकर अब बीके हरिप्रसाद को नया प्रभारी नियुक्त कर दिया गया है छत्तीसगढ़ में भी लोकसभा , विधानसभा इसके बाद नगरीय निकाय में मिली कांग्रेस को बड़ी हार का कारण तलाशना चाहिए . यहाँ भी पीसीसी बदलाव के लेकर तमाम अटकलें चल रही है अब देखना यह कि कौन इस कुर्सी में सुपरमैन की भांति आएंगे, सुदर्शन चक्र उठाएंगे, मौत के कुंए में मोटरसाइकिल चलाएंगे और पार्टी की कायाकल्प करदेंगे ? जबकि टिकट वितरण पर किसी ने ध्यान नही दिया जहाँ से मोटी लक्ष्मी बरसी टिकट उनको बांट दी गई न तो ग्रांउड देखा गया न ही उस प्रत्यासी की रिपोर्टकार्ड यह टिकट वितरण ही कांग्रेस को इस अंधकार में ले गया है अब जरूरी यह है कि कांग्रेस मंथन कर सर्वसम्मति से आगामी चुनाव तक पूरा जोर संघठन को मजबूत करने में करे .
मिडिया ट्रायल से भी नहीं घबराई पद्मिनी
सीजीएमएससी में एम डी का पद संभालने के बाद पद्मिनी की नजर 660 करोड़ रुपए के रीएजेंट व मेडिकल इक्विपमेंट खरीदी की फाइल पर पड़ी तो भौंचक रह गई . जब वह एक-एक कर पन्ना पलटाना शुरू की तो उन्हें समझ में आया कि यह तो करोड़ों का घोटाला है . उन्होंने दुर्ग के मोक्षित कॉर्पोरेशन पर शिंकजा कसना शुरू किया तो उन्हें प्रलोभन देकर अपने पक्ष में करने की कोशिश की जब वह नहीं मानी तो सप्लायर्स ने उनके खिलाफ मिडिया ट्रायल शुरू किया . सप्लयारों ने कुछ पत्रकारों को दान-दक्षिणा देकर पद्मिनी के खिलाफ भ्रामक खबरें प्रकाशित कर दबाव बनाना शुरू किया . पद्मिनी बिना घबराए इस रैकेट को तोड़ने में जुटी रही भ्रष्टाचार के खिलाफ पद्मिनी की मेहनत रंग लाई और दुर्ग स्थिति मोक्षित कॉर्पोरेशन के डायरेक्ट शशांक चोपड़ा व उससे जुड़े फर्म पर एसीबी व ईओडब्ल्यू के छापे मारे इस दौरान कुछ संदिग्ध दस्तावेज बरामद किए . शशांक चोपड़ा पूछताछ के बाद हवालात के पीछे जा पहुंचा है .
विवादित आईपीएस (आईजी रैंक) फिर चर्चाओं में
तत्कालीन सरकार में विवादों और आरोपो में घिरे आईपीएस अधिकारी फिर एक बार चर्चाओं में है चूंकि अचार सहिंता के बाद बड़े पैमाने पर ट्रांसफर-पोस्टिंग के आसार है . इस आसार में अपनी संभावनाएं तलाशते हुए इस आईपीएस ने कवायद शुरू कर दी है . बताते है इस विवादित अफसर की पोस्टिंग के लिए एक सेवानिवृत्त आईपीएस भी जी तोड़ मेहनत करते हुए भाजपा और संघ में जाकर तमाम दलीलें पेश किए है मगर बताया यह जा रहा है कि इस सेवानिवृत्त आईपीएस अफसर को मुँह की खानी पड़ गई और उल्टे पांव इन्हें बाहर का रास्ता दिखा दिया गया . करोड़ो का ऑफर लिए यह अधिकारी अब सत्ता संघटन में रोज मत्था टेकने जा रहे है लेकिन सुलह की कोई गुंजाइश नजर नही आ रही है लिहाजा हर जगह मुँह की खाने के बाद इस अफसर ने शांति पकड़ ली है चूंकि इन्हें कहा गया है कि ज्यादा उछल कूद करोगे तो पुराना चिट्ठा खुल जाएगा अगर यह चिट्ठा खुला तो कृष्ण जन्म भूमि का ही टिकट कट जाएगा .
बंगला विवाद –
प्रदेश के एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी और भाजपा सांसद में के बीच सरकारी घर के आधिपत्य को लेकर विवाद गरमा गया है . यह कोई पहला मामला नही है सरकारी संपत्ति पर अधिपत्यता पर पहले भी कई विवाद हो चुके है . यह बंगला पहले सांसद को आवंटित किया गया था, लेकिन बाद में राज्य सरकार ने इसे पुलिस अधिकारी को आवंटित कर दिया . पुलिस अधिकारी ने जब पूरा रंगरोहन और अपने हिसाब से सारी व्यवस्थाएं कर डाली तब सांसद साहब ने बंगले पर अपना नाम लिखवाकर बोर्ड लगवा दिया अब सांसद जी दलील दे रहे है प्रोटोकॉल के एकार्डिंग तो बंगला सांसद जी को मिलना चाहिए . एसएसपी साहब कह रहे है कि बंगला उन्हें सरकारी नियमों के तहत आवंटित किया गया है और यदि कोई त्रुटि हुई है तो इसे सरकारी स्तर पर हल किया जाना चाहिए .
लाख टके का सवाल: –
ऐसे सप्लायर का नाम बताइए जो कमीशन देकर करता था रिकार्डिंग , मंत्री जी भी हो चुके ब्लैकमेलिंग के शिकार
महिला बाल में उस अधिकारी का नाम बताइए जिसने कांग्रेस सरकार जाते जाते 40 % के कमीशन में 5 करोड़ की बोर्ड खरीदी कर डाली , यह बोर्ड आज गोदामो में खा रहे जंग