रायपुर। गत रविवार को बस्तर के चार पत्रकारों के खिलाफ आंध्रप्रदेश में गांजा तस्करी का फर्जी प्रकरण दर्ज करने का आईजेयू से संबद्ध एपीयूडब्ल्यूजे के अध्यक्ष आईवी सुब्बाराव, महासचिव चंदू जनार्दन, आईजेयू सचिव सोमा सुंदर, आईजेयू राष्ट्रीय परिषद के सदस्य नागराजू ने विरोध करते हुए उच्च स्तरीय निष्पक्ष जांच की मांग की है। स्टेट वर्किंग जर्नलिस्ट यूनियन छत्तीसगढ़ (आईजेयू सेसंबद्ध) के अध्यक्ष पीसी रथ, महासचिव विरेन्द्र शर्मा और संगठन सचिव सुधीर तंबोली की पहल पर विजयवाडा में एपीयूडब्ल्यूजे के पदाधिकारियों की बैठक में छत्तीसगढ़ राज्य के 4 पत्रकारों के खिलाफ अल्लूरी सीतारामाराजू जिले के चिंतूर पुलिस थाना क्षेत्र में दर्ज अवैध गांजा मामले की उच्चस्तरीय जांच कर खात्मा करने की मांग की गई। आंध्र प्रदेश और छत्तीसगढ़ की सीमा चिंतूर में कोंटा के टीआई ने पत्रकारों के साथ दुर्भावना से प्रेरित पक्षपातपूर्ण कार्य किया गया है। रेत माफिया के संबंध में पत्रकारों द्वारा लगाए गए धमकी के आरोप की जांच कराई जाए। एपीयूडब्ल्यूजे ने कहा कि रेत माफिया के दबाव में आकर पत्रकारों के खिलाफ मामला दर्ज करने वाली पुलिस ने सबरी नदी से अवैध रूप से रेत परिवहन करने वाले माफिया के खिलाफ मामला क्यों दर्ज नहीं किया। अगर मामले में पत्रकारों पर अवैध वसूली का आरोप लगाया जा रहा है, तो रेत माफियाओं ने यदि शिकायत की है तो उसी संबंध में केस दर्ज होना चाहिए और जाँच की जानी चाहिए।
छत्तीसगढ़ सरकार को को इस आरोप की भी जांच करानी चाहिए कि पत्रकारों की गाड़ी में 40 किलो गांजा किसने रखा और होटल के सभी सीसीटीवी फुटेज जारी किए जाने चाहिए। पुलिस की अनियमितताओं पर सवाल उठाते हैं तो गांजा का केस दर्ज करा दिया जाता है. स्थानीय लोगों का दावा है कि यह केस इस आधार पर दर्ज किया गया है कि एक पत्रकार ने उच्च स्तर के पुलिस अधिकारियों को एक दिन पूर्व टीआई की शिकायत की थी। कार में 40 किलोग्राम गांजा रखे जाने का मतलब है कि पुलिस के गांजा डीलरों के साथ उनके संबंधों के बारे में नए संदेह सामने आए हैं। अगर यह सच है कि पुलिस ने गाड़ी में गांजा रखवा डाला, तो हम कानून की रक्षा करने वाली पुलिस की कानून में बाधा डालकर और गैरकानूनी मामले बनाने की कोशिश की कड़ी निंदा करते हैं। हमारी मांग है कि छत्तीसगढ़ राज्य के पत्रकारों पर आंध्रप्रदेश में दर्ज किये गये झूठे गांजा मामले को तुरंत वापस लिया जाये और पत्रकारों को रिहा किया जाये तथा अवैध कार्य करने वाले पुलिस कर्मियों पर भी मामला दर्ज किया जाये।
आईजेयू से संबद्ध आंध्रप्रदेश के पत्रकार संगठनों ने छग के पत्रकारों के खिलाफ़ फर्जी प्रकरण निरस्त करने की मांग की
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