बगुला भगत की कृपा से मसकामार चला रहा सत्ता संगठन , हो रही किरकिरी
रायपुर : – प्रदेश के पालनकर्ता के यहां के सरोवर में बगुला भगत ने अपनावास बना लिया है और तो और बगुला भगत ने एक मसकामार को भी अपने साथ ले लिया है दोनों मिलकर सरोवर में गंदगी फैला रहे हैं और मौका देखकर पूरा जिम जा रहे है . इस जुगल जोड़ी की वजह से पांच वर्ष के वनवास के दौरान पालनकर्ता के साथ जितने भी गण थे वे सब उपेक्षित होकर एक किनारे पड़े है . जहां बगुला भगत लंबी चोंच लेकर सबको हजम कर रहा है वहीं मसकामार मूषक उपवन के कल्प वृक्षों के जड़ों को काटने में लगा है
सत्ता के निकट के कुछ लोग सन्यासी , साधु , और निर्विकार दिखलाई पड़ते है लेकिन अंदर से कपटी, धूर्त, और छलिया है ऐसा ही धूर्त और छलिया आज सत्ता के इर्द गिर्द बैठकर पूरे सत्ता को खोखला कर रहे हैं।
छत्तीसगढ़ के पालनहार के यहां आंख खोलकर चौकन्ना बैठे बगुला भगत ने एक मसकामार को भी अपना साथी बना लिया है। यह मसकामार मूषक अपनी प्रवृति अनुसार अब पालनहार के यहां के दीवारों को खोखला कर रहा है।
बताया जाता है कि बगुला भगत इस मसकामार पर इस कदर मेहरबान है कि उसने उसके लिए मलाई खाने की परमानेंट व्यवस्था कर दी है। बताया जाता है कि यह मसकामार पहले महज एक सेल में भाग-दौड़ और उछलकूद करता था वह आज पूरे तंत्र में धमा चौकड़ी मचा रखा है। बताने वाले तो यह भी कहतें है कि बगुला भगत बड़ी ही चतुराई से इस मसकामार को पालनकर्ता के उपवन में इंट्री कराई है ताकि कल को कोई आरोप प्रत्यारोप हो तो बगुला भगत चालाकी से निकल जाए और यह मसकामार गिरफ्त में आ जाये . सियासी गलियारो में खबर यह भी है कि यह मसकामार आदमी दक्षिण से अपनी दावेदारी की भी जोर आजमाइश में लगा हुआ है अब बगुला भगत की कृपा दृष्टि इस ओर चली तो यह मसकामार यहाँ भी बाजी मार जाएगा
बगुला भगत का कृपापात्र यह मसकामार इन दिनों काफी चर्चाओं में है हो भी क्यूंकि मातृ संगठन की पृष्ठभूमि से जुड़ा यह जीव पालनहार के नाम का दुरुपयोग करते हुए सत्ता का भट्टा बैठाने की जुगत में लगा हुआ है। ऐसा नही है इसकी करतूते सत्ता में बैठे गणों को नही है
मगर जानकर बताते है कि इस मसकामार के बिना उपवन में कुछ भी काम नहीं होता हर जगह उसका पूरा हस्तक्षेप है . शायद यही कारण है कि नौ महीने की सरकार आज हर मामले में कटघरे में खड़ी हो गई है लेकिन बोले कौन और सुने कौन सारे लोग इस धूर्त बगुला भगत के आगे नतमस्तक है ।
सवाल यह उठता है कि आखिर बगुला भगत और मसकामार किसके इशारे में ये करतूत कर रहे है जिससे सत्ता और संगठन दोनों की किरकिरी हो रही है . अगर यही चलता रहा तो उपचुनाव समेत आगामी चुनाव में सत्ता को बड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा चूंकि सत्ता के गलियारों की बाते अब लोगो के जुबा तक आने लगी है .