जिला स्तरीय क्रिकेट प्रतियोगिता में अव्यवस्थाओ का अंबार , बच्चो की कॉपी बनी स्कोर बुक , ईट स्टंप , बॉल भी मंगवाए बच्चो से : – जीपीएम

जिला स्तरीय क्रिकेट प्रतियोगिता में अव्यवस्थाओ का अंबार , बच्चो की कॉपी बनी स्कोर बुक , ईट स्टंप , बॉल भी मंगवाए बच्चो से : – जीपीएम
पेण्ड्रा : – कभी अपने खेल और खिलाड़ियों के लिए अपनी अलग पहचान रखने वाला जिला जीपीएम बदहाली के आंसू बहा रहा है जहाँ खिलाड़ियों को प्रतियोगिता के दौरान मूलभूत सुविधाएं तक मुहैया नहीं कराई जा रही है . यह बदहाली और अवव्यवस्था जिला स्तरीय ड्यूज बॉल क्रिकेट प्रतियोगिता में दिखलाई पड़ी आलम यह था कि खिलाड़ियों के पास न तो स्टंप थे न ही खेलने के लिए बॉल, स्टंप के नाम पर ईट लगाई गई और बॉल खेल में भाग लेने आये खिलाड़ियों से ही ली गई . ज्ञात हो कि उच्च स्तर में ड्यूज बॉल प्रतियोगिता क्रिकेट मैट पर कराई जाती है जबकि यहाँ खिलाड़ी कीचड़ भरे मैदान में अपना ट्रायल देते रहें रहे .
बताते चले कि जिले के तीन विकासखंड से 100 से अधिक खिलाड़ियों ने इस प्रतियोगिता में भाग लिया बदहाली का स्तर यह था कि स्कोर लिखने के लिये बच्चो की ही कॉपी उपयोग में लाई गई ऐसी अवस्था में जिला स्तरीय क्रिकेट ट्रायल का आयोजन आज फिजिकल मैदान में हुआ
सवाल यह कि जब सरकारे खेल और खिलाड़ियों के लिए अनेको योजनाएं चलाकर खिलाड़ियों को आगे बढ़ाने के प्रयास में लगी है तो आखिर कौन है जो सरकार की योजनाओं में पलीता लगा रहा है और खिलाड़ियों को मिलने वाली राशि भी डकार ले रहे है . आज हुए क्रिकेट प्रतियोगिया में भाग लेने वाले खिलाड़ियों ने अपनी समस्याओ को बताया और खिलाड़ी कहते है कि इसी वर्ष विभिन्न खेल परियोगिताओं में जिले में खेल का मानक स्तर खराब हुआ है निश्चित ही खेल अधिकारी इसके लिए जिम्मेदार है, जिनके ऊपर जिले में आयोजित होने वाली समस्त खेल प्रतियोगिताओं के आयोजन एवं संचालन की जिम्मेदारी होती है,जो जिला स्तरीय प्रतियोगिता के दौरान भी मैदान में उपस्थित होना आवश्यक नहीं समझते।
ज्ञातव्य हो कि उपरोक्त खेल प्रतियोगिताओ के लिए जिले में न्यूनतम दो लाख के बजट का प्रावधान है, जिसका उपयोग निश्चित तौर पर व्यक्तिगत स्वार्थ सिद्धि हेतु किया जाता है, इससे पहले भी राष्ट्रीय जिम्नास्टिक प्रतियोगिता के दौरान बिलासपुर संभाग की टीम की टॉयलेट के सामने बैठकर सफर करने की तस्वीर वाइरल हुई थी जिसकी दल प्रबंधक जिला पेंड्रा-गौरेला-मरवाही की सहायक जिला क्रीड़ा अधिकारी ही थे इस अवव्यवस्था पर जिला के साथ साथ सरकार की भी जमकर किरकिरी हुई थी इसके बाद भी जिले का न तो रवैया बदला न ही जिम्मेदारों की आंखे खुली आज भी हालात जस के तस बने हुए है।