देवस्नान चंदन जात्रा पूजा विधान के साथ बस्तर गोंचा पर्व का हुआ शुभारंभ, कल से 25 जून तक नहीं होंगे प्रभु श्रीजगन्नाथ के दर्शन

जगदलपुर। रियासत कालीन बस्तर गोंचा पर्व 2025 में देव स्नान चंदन जात्रा पूजा विधान 11 जून बुधवार ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष पूर्णिमा के शुभ मुहर्त में 360 घर आरण्यक ब्राम्हण समाज के उमाशंकर पाढ़ी एवं राधाकांत पानीग्राही के नेतृत्व में संपन्न करवाया गया । परंपरानुसार ग्राम आसना से महेंद्र जोशी के निवास में स्थापित भगवान शालीग्राम को लाकर श्रीजगन्नाथ मंदिर में स्थापित किया गया, तत्पश्चात 360 घर आरण्यक ब्राह्मण समाज के ब्राह्मणों द्वारा इंद्रावती नदी से पवित्र जल लाकर शताब्दियों पुरानी परंपरानुसार भगवान शालीग्राम का पंचामृत, चंदन एवं इंद्रावती नदी के पवित्र जल से अभिषेक कर विधि-विधान से देव स्नान पूर्णिमा चंदन जात्रा पूजा विधान संपन्न किया गया । तत्पश्चात भगवान श्रीजगन्नाथ स्वामी, माता सुभद्रा एवं बलभद्र के 22 विग्रहों को मुक्ति मंडप में स्थापित किया किया गया । भगवान श्रीजगन्नाथ स्वामी, माता सुभद्रा एवं बलभद्र के विग्रहों को मुक्ति मंडप में स्थापित किये जाने के साथ ही, भगवान श्रीजगन्नाथ स्वामी का अनसर काल आषाढ़ कृष्ण पक्ष प्रथमा 12 जून से प्रारंभ होकर आषाढ़ कृष्ण पक्ष अमावस्या 25 जून तक जारी रहेगा, इस दौरान दर्शन वर्जित होगा।
360 घर आरण्यक ब्राम्हण समाज के अध्यक्ष वेद प्रकाश पांडे ने बताया कि बस्तर गोंचा पर्व रियासतकालीन परम्परानुसार समस्त पूजा विधान संपन्न किये जायेगें, जिसकी पूरी तैयारी कर ली गई है, 26 जून को नेत्रोत्सव पूजा विधान के साथ प्रभु जगन्नाथ के दर्शन होंगे, 27 जून को श्रीगोंचा रथ यात्रा पूजा विधान के साथ ही भगवान श्रीजगन्नाथ स्वामी जनकपुरी सिरहासार भवन में नौ दिनों तक श्रृद्धालुओं के दर्शनार्थ स्थापित होगें, इस दौरान समस्त श्रृद्धालुओं को पुण्य लाभ का पावन अवसर प्राप्त होगा।
बस्तर गोंचा समिति के अध्यक्ष चिंतामणी पांडें ने बताया कि बस्तर गोंचापर्व 2025 में देव स्नान पूर्णिमा चंदन जात्रा पूजा विधान 11 जून ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष पूर्णिमा तिथि से प्रारंभ हो गया है। तय कार्यक्रम के अनुसार भगवान श्रीजगन्नाथ स्वामी का अनसर काल आषाढ़ कृष्ण पक्ष प्रथमा 12 जून से प्रारंभ होकर आषाढ़ कृष्ण पक्ष अमावस्या 25 जून तक जारी रहेगा। आषाढ़ शुक्ल पक्ष प्रतिप्रदा 26 जून गुरूवार को नेत्रोत्सव पूजा विधान के साथ भगवान श्रीजगन्नाथ स्वामी, माता सुभद्रा एवं बलभद्र के दर्शन लाभ श्रृद्धालुओं को श्रीमंदिरके बाहर होगें । को 27 जून शुक्रवार आषाढ़ शुक्ल पक्ष द्वितीया को श्रीगोन्चा रथ यात्रा, 30 जून सोमवार आषाढ़ शुक्ल पक्ष पंचमी को प्रात: 10 बजे से अखण्ड रामायण पाठ प्रारंभ होगा, 1 जुलाई मंगलवार आषाढ़ शुक्ल पक्ष षष्टी को हेरा पंचमी पूजा विधान होगा, 2 जुलाई बुधवार आषाढ़ शुक्ल पक्ष सप्तमी को छप्पन भोग अर्पण, 4 जुलाई शुक्रवार आषाढ़ शुक्ल पक्ष नवमी सामूहिक उपनयन संस्कार, 5 जुलाई शनिवार आषाढ़ शुक्ल पक्ष दशमी बाहुड़ा गोन्या रथ यात्रा एवं कपाट फेड़ा पूजा विधान होगा, 6 जुलाई रविवार आषाढ़ शुक्ल पक्ष एकादशी देवशयनी एकादशी के साथ बस्तर गोंचा पर्व का आगामी वर्ष के लिए परायण के साथ संपन्न होगा
360 घर आरण्यक ब्राह्मण समाज के जगदलपुर क्षेत्रिय अध्यक्ष विवेक पांड़े ने बताया कि पौराणिक मान्यताओं के अनुसार चंदन जात्रा पूजा विधान के पश्चात भगवान श्रीजगन्नाथ का 15 दिवसीय अनसर काल की अवधि होती है । इस दौरान भगवान जगन्नाथ अस्वस्थ होते हैं, भगवान के अस्वथता के हालात में दर्शन वर्जित होते हैं । भगवान जगन्नाथ के स्वास्थ्य लाभ के लिए औषधियुक्त भोग का अर्पण कर भगवान जगन्नाथ की सेवा 15 दिनों के अनसर काल में 360 घर आरण्यक ब्राह्मण समाज के सेवादारों एवं पंडितों के द्वारा किया जायेगा । औषधियुक्त भोग के अर्पण के पश्चात इसे श्रधालुओं में प्रसाद के रूप में वितरित किया जाता है। विशेष औषधियुक्त प्रसाद का पूण्यलाभ श्रद्धालु अनसर काल के दौरान श्रीजगन्नाथ मंदिर में पहुचकर प्राप्त कर सकते हैं, लेकिन दर्शन वर्जित होगा।

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