विवादों में महिला बाल विकास , सत्ता बदली भीतरखाने वही , फिर आया साड़ी खरीदी का मौसम

विवादों में महिला बाल विकास , सत्ता बदली भीतरखाने वही , फिर आया साड़ी खरीदी का मौसम
रायपुर : – हमेशा अपने विवादित कारनामो में सुर्खियां बटोरने वाला महिला बाल विकास एक बार फिर सुर्खियों में है जैसा कि पिछली सरकार में महिला बाल विकास की मंत्री खरीद फरोख्त करने की नियत से एक लिखित आदेश नोटशीट जारी किया था जिसमे यह लिखा गया कि महिला बाल विकास में सारी खरीदी केवल आईसीडीएस शाखा के प्रभारी करेंगे बताते है उस समय तत्कालीन मंत्री के सबसे करीबी आईसीडीएस के शाखा प्रभारी सहायक संचालक सुनील शर्मा थे . यह करीबियत और आईसीडीएस के प्रभारी ने मिलकर भ्रष्टाचार कर इस कदर लूट मचाई की इसकी गूंज दिल्ली तक सुनाई दी . जो आज भी जांच के लिए लंबित है .
फिर आया साड़ियों का मौसम
वर्ष 2018 में जब कांग्रेस सत्ता में आई थी तब लूट के लिए नई नई योजनाएं लाई जा रही थी इसी की बानगी थी साड़ी घोटाला दरअसल हुआ यह कि आईसीडीएस के शाखा प्रभारी सुनील शर्मा मंत्री सारे नियम कायदों को धता बताते हुए पांच साल की साड़ी एक साथ सीधे संचनालय से खरीदी कर कार्यकर्ताओ सहायिकाओं को देने का तुगलकी फरमान जारी कर दिया जबकि पहले साड़ियों की मिलने वाली राशि कार्यकर्ताओ सहायिकाओं के डारेक्ट खाते में जमा की जाती थी . अब शर्मा जी तो शर्मा जी है जिन्होंने बड़ी ही चालाकी से सारी खरीदी को ही केंद्रीकृत कर दिया और 3 से 5 साल की साड़ियां एक साथ खरीद डाली .
बर्तन व्यापारी का चेम्बर सरकारी आवास में
बताते है कि वो दौर ऐसा था कि पूरा का पूरा विभाग भ्रष्टाचार के आंकठ तक डूबा था . तब महिला बाल विकास मंत्री के करीबी डोंडीलोहारा का एक बर्तन व्यापारी था जो पूरे विभाग की सप्लाई का ठेका लेकर रखा था . इस व्यापारी की विभाग में ऐसी पैठ थी कि इस व्यापारी का एक चेम्बर मंत्री जी के इंद्रावती कॉलोनी के सरकारी आवास में हुआ करता था . मंत्री जी बंगले से ही यह व्यापारी पूरा विभाग संभालता था उनदिनों प्रति मंगलवार की शाम रूटीन की तरह प्रभारी शर्मा जी भी इनके दरबार मे मत्था टेकने पहुँचते थे . जिसका परिणाम स्वरुप इन्हें भी भरपुर प्रसाद रूपी आशीर्वाद मिला करता था .
सत्ता बदली भीतरखाने वही
सत्ता तो बदल गई मगर भीतरखाने जस का तस है कहते है आज भी तत्कालीन मंत्री की पूरी टीम पूरे तंत्र को संभाल रही है . विभाग के सूत्र बताते है कि सरकार बदलने के बाद यही शर्मा जी फिर से पुराने व्यापारियों के संपर्क में है . शर्मा जी शातिराना तरीके से नई नवेली मंत्री को अपने पूरे गिरफ्त में लिया है और चेम्बर वाले व्यापारी अब शर्मा जी आवास पर दरबार लगा रहे है . मंत्री जी भी भला क्या करे उनके पीछे उनके परिवार के लोग को साधने की जो कवायद चल रही है .
विभाग का भाग्य पुराने कांग्रेसियों की झोली में
महिला बाल विकास बेहद ही संवेदनशील विभाग है जो सीधे बच्चो और महिलाओं से जुड़ा हुआ है . इसके बाद भी हालात बत्तर है गोपनीय सूत्र जो विभागों से जुड़े हुए है बताते है कि नए रायपुर में और कचना रायपुर के एक मकान में विभाग की खरीदी और लेनदेन संबधी बैठके चलती है जहाँ सिर्फ कुछ चुनिंदा लोग ही पहुँचते है यहाँ हर किसी की आवाजाही पर रोक है . सूरजपुर के निवासी एक पारिवारिक मित्र और मान्यवर मिलकर शर्मा जी के सानिध्य में अंजाने में ही इस खेल में फंस चुके हैं . सरकार बदली नई मंत्री लक्ष्मी राजवाड़े के आने के बाद भी साड़ियों की खरीदी को लेकर हंगामा हो चुका है लेकिन क्या करे भाग्य को जो मंजूर है इस विभाग का भाग्य फिर पुराने कांग्रेसियों की झोली में जा गिरा है .
तत्कालीन मुखिया के मुंहबोले साढू भाई है शर्मा जी
अब इन बात में कितनी सत्यता है यह तो हम नही जानते मगर शर्मा जी का खुद ही कहते है कि तत्कालीन सरकार के मुखिया इनके साढू भाई है बस पिछले पांच साल इसी धौस में शर्मा जी ने पूरे विभाग की लुटिया डुबोकर रख दी और कोई चु से चा तक नही कर पाया अब करता भी कैसे जब सैया भये कोतवाल तो डर काहे का . बताते है कि अब शर्मा जी वर्तमान मंत्री जी के पारिवारिक सदस्यों और करीबियों से अपने सम्बद्ध प्रगाढ़ करने में लगे हुए है. जिसका डर दिखाकर व्यापारियों और विभाग में अपना वर्चस्व कायम किये हुए है .
महिला बाल विभाग में यह बात है खुलेआम है कि शर्मा जी सेवा 6 माह की ही बची है इसके बाद यह सेवानिवृत्त हो जाएंगे इसी की दुहाई बताते हुए शर्मा जी तबादले से बचने के भरसक प्रयास में लगे हुए है कि जाते जाते जितनी मलाई इस विभाग में बची है उसको भी चट कर ले जाये . जानकारी के लिए बता दे ऐसे संवेदनशील विभाग में 20 – 20 साल से अधिकारियों के तबादले नही हुए है जो संचनालय में अंगद की पैर की तरह टिके हुए है . शिकायत भी इनकी और जांच भी इन्ही की जो कार्रवाही क्यो हो जबकि इन अधिकारियों की सेकड़ो शिकायतें धूल खाती फेंकाई पड़ी है . मगर सुनने देखने वाला कोई नही है .
अब प्रदेश में विष्णु की सुशासन वाली सरकार आई है मगर यह सत्ता का ही बदलाव हुआ है तंत्र जस का तस है सुशासन तो दूर दूर तक दिखलाई नही पड़ता जाने किस सुशासन की दुहाई देकर सरकार सत्ता में आई . अगर सुशासन ऐसा चलता है तो कुशासन में क्या है यह जनता को बताना चाहिए .