जादू- टोना, टोनही के संदेह में 3 महिलाओं सहित 5 व्यक्तियों की निर्मम हत्या की डा. मिश्र ने की निंदा

00 आरोपियों पर कड़ी कार्यवाही की मांग की
रायपुर। सुकमा के ग्राम एटकला में जादू-टोना, टोनही के संदेह में 3 महिलाओं सहित 5 व्यक्तियों की निर्मम हत्या की अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति के अध्यक्ष डॉ दिनेश मिश्र ने कडी निंदा की है और आरोपियों पर कड़ी कार्यवाही की मांग करते हुए कहा कि पिछले कुछ दिनों में टोनही /डायन के सन्देह में हत्या मारपीट ,प्रताडऩा की घटनाएं सामने आयी हैं सिर्फ अंधविश्वास ,जादू टोने जैसी भ्रामक मान्यताओं पर भरोसा कर किसी निर्दोष महिला एवं उसके परिवार पर हमला करने की घटनाएं, अनुचित है, दोषियों पर कड़ी कार्यवाही होनी चाहिए.समिति प्रवास कर प्रताडि़त परिवारों से मिलेगी और ग्रामीणों को जागरूक करेगी।
डॉ. मिश्र ने कहा हर व्यक्ति की बीमारी, समस्या और उसके कारण अलग-अलग होते हैं जिनका समाधान सही चिकिसकीय उपचार,तर्कसंगत उपाय से किया जा सकता है. बीमारियाँ अलग अलग कारणों से होती हैं संक्रमण होने से ,दुर्घटना होने,कुपोषण से व्यक्ति बीमार होता है संक्रमण भी विभिन्न बैक्टीरिया, वायरस, फंगस से होता है तथाकथित जादू टोने से कोई बीमार नही हो सकता ,क्योंकि जादू टोने जैसी काल्पनिक मान्यताओं का कोई अस्तित्व ही नहीं है, इसलिए तथाकथित जादू टोने से ना ही कोई व्यक्ति किसी को भी मार कर सकता है, न ही किसी को परेशानी में डाल सकता हैं और न ही किसी व्यक्ति का किसी प्रकार से फसल आदि का कोई नुकसान कर सकता है। जादू टोने ,टोनही, डायन की मान्यता सिर्फ अंधविश्वास है. जिसका का कोई अस्तित्व नहीं है ,और इस प्रकार के शक या सन्देह में किसी भी महिला को प्रताडि़त करना उसके व उसके परिवार के साथ मारपीट करना ,अग्निपरीक्षा लेना,,उसको जान से मारना अनुचित,क्रूर और अपराधिक है। ग्रामीणों को इस प्रकार के अंधविश्वास में नहीं पडऩा चाहिए।
डॉ मिश्र ने प्रशासन मांग की है कि इस मामले में तुरंत कार्यवाही की जाए तथा आरोपी को कड़ी से कड़ी सजा मिले ताकि भविष्य में कोई भी व्यक्ति इस प्रकार की अनुचित हरकत करने की चेष्टा ना कर सके.समिति इन सभी मामलों में ग्रामीणों से मिलेगी और जागरूक करेगी। डॉ. मिश्र ने कहा देश के अनेक प्रदेशों में डायन/ टोनही के सन्देह में प्रताडऩा की घटनाएँ आम है , जबकि कोई नारी टोनही या डायन नहीं हो सकती, उसमें ऐसी कोई जादुई शक्ति नहीं होती जिससे वह किसी व्यक्ति, बच्चों या गाँव का नुकसान कर सके। जादू-टोने के आरोप में प्रताडऩा रोकना आवश्यक है। अंधविश्वासों के कारण होने वाली टोनही प्रताडऩा/बलि प्रथा जैसी घटनाओं से भी मानव अधिकारों का हनन हो रहा है। जनजागरूकता के कार्यक्रमों से अंधविश्वास का निर्मूलन सम्भव है।

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