ध्वस्त होती कानून व्यवस्था में रबर स्टैम्प बना डीजीपी का पद , सेवा विस्तार की चर्चाएं एक बार फिर सुर्खियों में

ध्वस्त होती कानून व्यवस्था में रबर स्टैम्प बना डीजीपी का पद , सेवा विस्तार की चर्चाएं एक बार फिर सुर्खियों में

रायपुर : – छत्तीसगढ़ में विष्णुदेव साय सरकार को सत्तारूढ़ हुए एक वर्ष से अधिक हो गए . इस दौरान सरकार बाकी मामलों में तो ठीकठाक रही मगर कानून व्यवस्था ने सरकार की पोल खोलकर रख दी . बताते है नौकरशाही इस कदर हावी है कि सीधे , सरल और सज्जन मुख्यमंत्री के समक्ष यह अफसर सैल्यूट मारकर सब कुछ ठीक है जनाब कहकर उन्हें अंधकार में रखने की कोशिश में लगे हुए है .

मंत्रालय, पुलिस मुख्यालय से लेकर जिला प्रशासन में शीर्ष में बैठे अधिकारी निरंकुश हो गए हैं . डीजीपी जैसा पद ही रबर स्टैम्प बनकर रह गया है इसी की बानगी है प्रदेश में हुई दो शर्मनाक घटना बलौदाबाजार और कबीरधाम ।इन दोनों ही घटना के लिए जिले के मुखिया को जिम्मेदार मानकर कार्रवाही तो किया पर इसकी धमक से सेक्रेट्रिएट और पीएचक्यू अछूता रह गया . जबकि इतने बड़े मामले में जवाबदेही तय की जानी थी

अफसरों का घेरा : –

भाजपा का एक साल का कार्यकाल देखें तो गांव के चौपाल से लेकर महानदी भवन तक यह चर्चा आम है कि तत्कालीन सरकार में पदस्थ रहे अफसर अब भी सिंडिकेट बनाकर सरकार को गुमराह करने में लगे हुए है . अफसरों का ऐसा घेरा पहली बार बने मंत्रियों पर भारी पड़ने लगा है पूरा मंत्रिमंडल या यूं कहें सूबे के मुखिया भी जमीनी हकीकत से कोसो दूर है . राजनीतिक दृष्टि से देखा जाए तो यह पार्टी के लिए घातक है . इसपे सत्तारूढ़ दल को चिंतन करने की शख्त आवश्यकता है .

लगाम किसी और के हाथ : –

सरकार को एक वर्ष में सामाजिक सौहार्द्र को चूर-चूर करने वाली कुछ ऐसी आपराधिक घटनाएं घटीं जिसकी कल्पना नहीं की जा सकती थी. इनमे बलौदाबाजार में कलेक्टोरेट भवन में आग लगा देना, कबीरधाम में एक ही समुदाय के लोगों की आपसी हिंसा, हत्याएं, सूरजपुर में एक पुलिस वाले के परिवार के सदस्यों की नृशंस हत्या, पुलिस हिरासत में मौतें तथा प्रतिदिन हो रहे कत्ल की वारदातें प्रदेश के कानून व्यव्स्था की हकीकत बयां करती है.आरंग की माब लीचिंग की घटना ने सरकार कटघरे में खड़ा कर दिया . इससे यह संदेश गया कि सरकार व नौकरशाही बेपरवाह है . सरकार में भले ही भाजपा बैठी है मगर लगाम आज भी किसी और के हाथ में है .

रबर स्टैम्प डीजीपी : –

पूर्ववर्ती सरकार के समय नियुक्त डीजीपी अशोक जुनेजा एक बार फिर सुर्खियों में है . यह चर्चा इसलिए भी हो रही है कि कानून व्यवस्था के इतिहास में जो काला अध्याय इनके कार्यकाल में लिखा वह पूरे प्रदेश की छवि को दागदार किया है . सिर्फ कानून व्यवस्था ही नही इनके कार्यकाल में अनेक स्कैम घोटाले हुए जिसका उदाहरण है कि आज तत्कालीन सरकार के समय नौकरशाह समेत कई कारोबारी , नेता जेल की सलाखों के पीछे है .

ऐसे विवादित और पुलिस ट्रांसफर पोस्टिंग को उद्योग बनाने वाले जुनेजा को सरकार एक बार और सेवा विस्तार देने जा रही है . इस सेवा विस्तार से पुलिस महकमे में जहाँ मायूसी है वही कई सवाल भी है आखिर डीजीपी जैसे पद के लिए सेवानिवृत्त हो चुके अधिकारी को बार – बार सेवा विस्तार क्यो दिया जा रहा है . बताते है कि अशोक जुनेजा तत्कालीन सरकार के लिए रबर स्टैम्प की तरह कार्य कर रहे थे यह आरोप भाजपा ने ही अपने आरोप पत्र में चुनाव के दौरान शिकायतें दर्ज कराई थी और आज सत्ता में आते ही भाजपा इन्हें सेवा विस्तार दे रही है .

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