नान घोटाले मामले में न्याय का साथ देने वाले आईपीएस जीपी सिंह के खिलाफ रचा गया षड्यंत्र , दोषी अफसरों पर एसीबी ने किया अपराध दर्ज

नान घोटाले मामले में न्याय का साथ देने वाले आईपीएस जीपी सिंह के खिलाफ रचा गया षड्यंत्र , दोषी अफसरों पर एसीबी ने किया अपराध दर्ज

रायपुर : – प्रदेश में बहुचर्चित नान घोटाले मामले में पूर्व आईएएस अनिल टुटेजा , आलोक शुक्ला और पूर्व महाधिवक्ता सतीश चंद्र वर्मा के खिलाफ एसीबी की एफआईआर दर्ज होने से एक बार फिर सुर्ख़ियों में है . मामले में उस समय के व्हाट्सअप चैट बताते है कि कैसे गवाहों और साक्ष्यों से छेड़-छाड़ करने वाले दागी अफसर अपनी मनमानी कर रहे थे और न्याय का साथ देने वाला आईपीएस के खिलाफ षडयंत्र रचा गया था .

एसीबी ने उस समय सरकार के शीर्ष अधिकारियों के चैट को आधार बनाकर दो पूर्व आईएएस और पूर्व महाधिवक्ता के खिलाफ मामला दर्ज किया है . तत्कालीन इओडब्ल्यू चीफ आईपीएस जीपी सिंह और अनिल टुटेजा की चैट भी चर्चाओं में बना हुआ है . उक्त मामले में एक चैट जिसमे अनिल टुटेजा ने जीपी सिंह से गवाहों और साक्ष्यों के संबंध में न्याय विपरीत कार्य करने सलाह दी जिस पर जीपी सिंह ने न्यायालयीन मामले हस्तक्षेप को अनुचित बताते हुए अपनी नाराजगी जताई. टुटेजा द्वारा अनैतिक कार्य करने दबाव डाले जाने पर जीपी सिंह के शख्त तेवर अपनाया . व्हाट्सअप चैट से यह भी स्पष्ट है कि तत्कालीन एसीबी चीफ ने उस समय के सबसे पॉवरफुल छाया सीएम को जमकर डांट लगाई जिस पर छाया सीएम (AT) माफी माँग रहे है .

आईपीएस जीपी सिंह का इस तरह न्याय का साथ देना और नान घोटालेबाजो का साथ न देना उस समय सत्ता का संचालन करने वालों को नागवार गुजरा . यही कारण था कि तत्कालीन सुपर मैडम और दागी अधिकारी लामबंद होकर जीपी सिंह के खिलाफ मोर्चा खोल दिए थे . सुपर मैडम और घोटालेबाज अफसर एक आईपीएस के माध्यम से जीपी सिंह के खिलाफ षडयंत्र रचने की भूमिका तैयार करने में लग गए . उस समय यह भी चर्चाएं थी कि सुपर मैडम चाहती थी कि नान घोटाले मामले में पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह को घेरा जाए जिस पर भी जीपी सिंह ने इस तरह कार्य करने से इंकार कर दिया था .

जिसके बाद सबसे पहले आईपीएस जीपी सिंह के खिलाफ दुर्ग में एक बहुत पुराने मामले में झूठी एफआईआर दर्ज कराई गई इसके बाद भी जब आईपीएस नही झुके तो तरह – तरह के हथकण्डे अपनाए गए और अलग-अलग मामले में रिपोर्ट दर्ज कराई गई . जिसमे तत्कालीन सुपर मैडम और दागी अफसर सिंडिकेट बनाकर षड्यंत्र का घिनौना खेल खेल रहे थे .इतना ही नही जीपी सिंह के घर छापामारी की गई जब छापेमारी में कुछ हासिल नही हुआ तब स्टेट बैंक के एक अधिकारी के घर छापामारी की गई जहाँ से दो किलो सोने की बरामदगी दिखाई गई बाद में जब सभी तथ्य उजागर हुए कि किस तरह इन दागी अफसरों ने षड्यंत्र पूर्वक सोना प्लांट किया था . इसी फर्जी दस्तावेज कागजों और प्लांट सोना के आधार पर उनके खिलाफ राजद्रोह का मामला तक दर्ज किया गया . और योजनाबद्ध उन्हें गिरफ्तार तक कर लिया गया .

इस मामले को लेकर जीपी सिंह न्याय पाने के लिए दिल्ली कैट गए जिसमे कैट ने दोनों पक्षों की दलील सुनकर और साक्ष्यों के आधार पर जीपी सिंह को निर्दोष मानते हुए सरकार को 30 दिन के भीतर सेवा में बहाल करने के निर्देश दिए ।

तत्कालीन सरकार में हालात इतना बदतर था की जो जितना बड़ा दागी और भ्रष्टाचारी होगा उन्हें ही सरकार में तरजीह दी गई और ईमानदार और कर्तव्यनिष्ठ अफसरों को किनारे लगा दिया गया वर्तमान में प्रदेश में भाजपा सत्ता में है तब तत्कालीन सत्ताधीशो और नौकरशाहों की करतूतों की परते खुलती जा रही है . जिसका उदाहरण है अनिल टुटेजा , आलोक शुक्ला , सतीश चंद्र वर्मा पर एफआईआर मिली जानकारी अनुसार अपराध पंजीबद्ध होते ही आलोक शुक्ला फरार बताये जा रहे है . जैसे जैसे चैट और अन्य परत मामले में खुलेगी तो और भी कई बड़े सफेदपोश चेहरे बेनकाब होंगे .

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