लोधेश्वरधाम लोधी क्षत्रिय समाज के सावन उत्सव में ओंकेश्वरी वर्मा बनी सावन क्वीन

00 पेड़ बगैर न हरियाली न उत्सव,इसलिए हर सदस्य ने दिया पेड़ लगाने का वचन
रायपुर। लोधेशवरधाम लोधी क्षत्रिय समाज के सावन उत्सव में जुटे समाज के लोगों ने खुले मन से स्वीकारा कि पेड़ बगैर न तो हरियाली और न ही उत्सव इसलिए आज ही हम सब प्रण लें कि हर सदस्य कहीं न कहीं एक पेड़ रोपित करेगा और उसकी देखभाल भी करेगा। सावन उत्सव में एक पेड़ मां के नाम अभियान के तहत बुजुर्गो को पौधे भेंटकर सम्मानित किया गया। उत्सव में हरियाली के प्रसंग पर गीत-संगीत के बीच महिलाओं की टोली ने विविध आयोजन किए। ओंकेश्वरी वर्मा सावन क्वीन चुनी गई।
रिएवेरा रिसोर्ट में लोधेश्वरधाम लोधी क्षत्रिय समाज की ओर से आयोजित सावन महोत्सव में काफी बड़ी संख्या में सामाजिकजन पहुंचे हुए थे। भारत कृषि कर्मण पुरस्कार से सम्मानित कवर्धा की श्रीमती अदिती कश्यप ने अतिथि के आसंदी से समाज के लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि हर महिला को कुछ न कुछ अच्छा कार्य करना चाहिए। महिला घर परिवार की धूरी होती है। जिसमें भी रूचि रखते हो, कला, खेल या और भी कोई। मुझे तो कृषि के क्षेत्र में रूचि थी, मैने आधुनिक फार्मिंग को बढावा दिया और कम से कम समय में अचछी फसलों का पैदावार किया है। महिलाओं को उद्यमशील बनना चाहिए। ताकि परिवार की आर्थिक स्थिति भी सुदृढ होगी और किसी पर निर्भरता भी नहीं रहेगी। समाज के लोगों को प्रोत्साहित करने के लिए आगे आना चाहिए।
इस अवसर पर महाकाल की नगरी उज्जैन से प्रसिद्ध मूर्तिकार श्री रघुनंदन सिंह नरवरिया, महाराष्ट्र गोंदिया से श्री छाया शंकर लाल नागपुरे, संयोजक उत्तम, वरिष्ठ समाजसेवी जीवराखन वर्मा, लोधी सुरेश कुमार सुलाखे, डोंगरगढ श्री रमेश वर्मा, बी एल वर्मा, होमलाल जंघेल, राजेश्वर नागपुरे ,रामदास गिरिया एडवोकेट कचनबाला लोधी,लोधेशवरधाम के संयोजक श्री उत्तम वर्मा एवम के रिएवेरा रिसोर्ट एवं लोधेशवरधाम के संरक्षक मूलचंद वर्मा के सौजन्य से शिवनाथ नदी के तट, बेलोदी में आयोजित सावन उत्सव में गीत, संगीत, सावन क्वीन, क्वीज के अलावा म्यूजिकल कुर्सी दौड, रस्सा खींची आदि कार्यक्रम हुआ। विजयी प्रतिभागियों को आकर्षक पुरस्कार भी दिया गया। बच्चों के लिए भी खेल प्रतियोगिता के साथ – साथ उन्हें ज्ञानवर्धक जानकारिया दी गई। लोधी क्षत्रिय समाज, चंगोराभाठा ईकाई रायपुर छत्तीसगढ द्वारा संचालित लोधेशवरधाम के निर्माण कार्य के साथ साथ उत्थान व विकास पर भी चर्चा की गई। उल्लेखनीय है कि एक पेड मां के नाम इस अभियान के तहत सभी स्वजातीय बंधुओ को एक – एक पेड भी वितरित किया गया। समाज के लोग जब एक जगह एकत्रित होकर उत्सव मनाते है तो एक दूसरे को समझने का मौका भी मिलता है।

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