जोगी विरोधियों ने पहले शराब पी, फिर जोगी प्रतिमा को उखाड़ कर कचरे में फेंक दी – अमित

रायपुर। गौरैला-पेंड्रा-मरवाही में “सुशासन” का क्या हाल है, आप सब को पता है, पिछले महीने यानि 25 मई की रात मानसिक दिवालियापन से ग्रसित, कुछ लोगों ने एक स्थानीय सरकारी अधिकारी के संग पटियाला ढाबा में बैठकर पहले खूब शराब पी और फिर आधी रात ज्योतिपुर चौक गौरेला में जाकर छत्तीसगढ़ के प्रथम मुख्यमंत्री अजीत जोगी की प्रतिमा को रात के अंधेरे में, हाइड्रा लाकर, प्रतिमा उखाड़ कर कचरे में फेंक दी। इस अत्यंत दुखद और विद्वंसकारी घटना से केवल जोगी की प्रतिमा को ठेंस नहीं बल्कि उनके चाहने वाले, उनका सम्मान करने वाले, प्रत्येक व्यक्ति की आत्मा को ठेस पहुंची है। आज 2 हफ्ते हो गए, न जोगी की प्रतिमा ज्योतिपुर चौक गौरेला में पुनस्र्थापित हो पायी और न ही दोषी पकड़े गए। वैसे, हम लोगों को कोई उम्मीद नहीं है कि, पुलिस-प्रशासन दोषियों को पकड़ पाएगा, क्योंकि ये अपराधी निडर होकर खुल्ले घूम रहे हैं, पुलिस-प्रशासन को छोड़कर पूरी दुनिया को दिख रहे हैं और तो और पिछले हफ़्ते स्वास्थ्य मंत्री के साथ पेंड्रा गेस्ट हाउस में बैठकर ये अपराधी चाय पी रहे थे। उक्त बातें जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जे) के प्रदेश अध्यक्ष अमित जोगी ने पत्रकारों को संबोधित करते हुए कही।
अमित जोगी ने कहा कि इस पूरे मामले के तीन मुख्य बिंदु हैं। पहला अगर आपको जोगी जी की प्रतिमा से परेशानी थी तो आप लोकतांत्रिक तरीके से विरोध करते, क़ानून का सहारा लेते, हमसे संपर्क करते, लेकिन रात के अंधेरे में चोरी छिपे प्रतिमा को क्यों उखाड़ा ? दूसरा यह है कि, जोगी की प्रतिमा ज्योतिपुर चौक में जोगी परिवार की आधिपत्य की निजी भूमि पर स्थापित हुई थी न की किसी सरकारी या सार्वजनिक ज़मीन पर तो आपने प्रतिमा को किस आधार पर हटाया और तीसरा आपका यह तर्क कि नगर पालिका गौरेला ने ज्योतीपुर चौक में श्यामा प्रसाद मुखर्जी की प्रतिमा लगाने का प्रस्ताव पारित किया था, यह तर्क पूरी तरह झूठा, निराधार, भ्रामक और अवैधानिक है। सच तो यह है कि ज्योतिपुर चौक की ज़मीन सरकारी नहीं है, यह निजी भूमि है और जोगी परिवार के आधिपत्य की भूमि है। नगर पालिका गौरेला ने श्याम प्रसाद मुखर्जी की प्रतिमा टीकर बाईपास” में स्थित भूमि पर लगाने का प्रस्ताव पारित किया था न की ज्योतिपुर चौक में। ज्योतिपुर चौक की भूमि निजी है। इसे 1932 के पूर्व, स्वर्गीय श्री मेंजेस ने क्रय किया था और आज़ादी के उपरांत रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया के माध्यम से संचालित उसके मालिक, एक संस्था ने 2020 से लेकर उसके प्रतिसंहरण तक श्री अतुल आर्थर के पक्ष में “पॉवर ऑफ अटॉर्नी” प्रदान की, जो कि वर्तमान में क़ानूनी रूप से लागू है। 2021 में स्वर्गीय श्री अजीत जोगी के स्वर्गवास के उपरांत उपरोक्त निजी आधिपत्य की भूमि के “पॉवर ऑफ़ अटॉर्नी” के आधार पर श्री अतुल आर्थर एवं सोसाइटी के सभी जीवित प्रमुखों, प्राचीनों एवं पादरियों ने उपरोक्त जमीन में प्रदेश के प्रथम मुख्यमंत्री अजीत जोगी की प्रतिमा एवं उद्यान स्थापित करने हेतु अनापत्ति पत्र जारी किया था। ज्योतिपुर चौक की इसी जमीन पर चबूतरा एवं उद्यान निर्माण कार्य हेतु तत्कालीन विधायक डॉ श्रीमति रेणु जोगी ने उपरोक्त निजी भूस्वामी को इस शर्त पर 3.5 लाख अपनी विधायक निधि से प्रदान किए थे की चबूतरे में उनके द्वारा निर्मित स्वर्गीय अजीत जोगी की आदम कद प्रतिमा स्थापित की जाएगी और निर्माण कार्य की एजेंसी नगर पालिका गौरेला को नामांकित किया गया था। विधायक निधि से उपरोक्त अनुबंध में निजी आधिपत्य की भूमि में केवल चबूतरा एवं उद्यान का निर्माण कार्य नगर पालिका गौरेला द्वारा कराया जाना था तथा चबूतरा के ऊपर उनके परिवार के क्रय से निर्मित स्वर्गीय श्री अजीत जोगी की आदम कद मूर्ति स्थापना की जानी थी। इस संबंध में माननीय डॉ रेणु जोगी जी का जिलाधीश को लिखा 20 सितंबर 2023 का पत्र भी आपके समक्ष प्रस्तुत है।