आनदंम वर्ड सिटी के बिल्डर को कोर्ट से लगी फटकार , 2026 तक देनी होगी सारी सुविधाएं , सुप्रीम कोर्ट के आदेश की उड़ा रहे बिल्डर धज्जियां

आनदंम वर्ड सिटी के बिल्डर को कोर्ट से लगी फटकार , 2026 तक देनी होगी सारी सुविधाएं , सुप्रीम कोर्ट के आदेश की उड़ा रहे बिल्डर धज्जियां
रायपुर – अनेको कानून न्यायालय के आदेश यहाँ तक की सुप्रीम कोर्ट की तल्ख टिप्पणी के बाद भी राजधानी रायपुर में बिल्डरों के हौसले बुलंद है। यह बिल्डर पहले तो लुभावने वादे और तरह तरह की हवाइयां बताकर मकान तो बेच देते है मगर इसके बाद उन कॉलोनियों की सुध लेने वाला कोई नही रहता है। बिल्डर अपनी मोटी रकम जेब मे डालकर अपनी जिम्मेदारियों से इतिश्री कर लेता है। और जब इनसे इनके ही किये वायदे के बारे में पूछा जाता है तब यह कोर्ट कचहरी की धमकी और डराने धमकाने लगते है। ऐसा ही एक मामला राजधानी रायपुर का है जहाँ माननीय उच्च न्यायालय ने बिल्डर को जमकर फटकार लगाई है और बिल्डर को समयावधि में जो वायदे थे उसे पूरा करने का फैसला सुनाया है ।
क्या है पूरा मामला –
दरअसल राजधानी रायपुर में जीएडी कॉलोनी के पास कचना में गोल्ड ब्रिक्स इंफ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड कंपनी जिसके डारेक्टर राकेश सरावगी इस बिल्डर की आनंदम वर्ड सिटी बनाई गई है। जब यह सिटी निर्माण की जा रही थी तब इस बिल्डर ने मकानों को बेचने के नाम पर तमाम वायदे और आधुनिक सुविधाओं से लेश कॉलोनी बनाने का दावा किया था। मगर आज लंबे समय के बाद जब सुविधाओ की पूर्ति नही की गई तब लोगो ने बिल्डर से सवाल किया कि आखिर उन्हें सुविधाएं कब मिलेगी। उक्त मसले पर जब भी बिल्डर से बात की जाती तो वह लोगो को डराने धमकाने और काम पूरा न करने की बात करता था जिससे छुब्ध होकर आनंदम वर्ड के लोगो ने मामले को लेकर न्यायालय के समक्ष गए। न्यायालय के उक्त मामले में बिल्डर को फटकार लगाते हुए एक टाइम-लिमिट के साथ फ़ैसला सुनाया की जिस भी सुविधाओ का हवाला बिल्डर ने दिया उसे उसको पूरा करना होगा।
न्यायालय का आदेश –
दिनांक 9/4/2025 को न्यायालय ने आदेश जारी करते हुए गोल्ड ब्रिक्स इंफ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड कंपनी जिसके डारेक्टर राकेश सरावगी है उसे वर्ष 2026 तक का समय देते हुए कहा कि जो वायदे थे जैसे क्लब , पोड और जेटस्की का निर्माण कराया जाये। उक्त मामले में जब आनंदम वर्ड के रहवासियों से बात की गई तो उन्होंने न्यायालय के फैसले का स्वागत करते हुए खुशी जाहिर की।सवाल यह उठता है कि एक आम आदमी अपने जीवन भर की पूंजी लगाकर मकान खरीदता है ताकि उसका भविष्य सुरक्षित हो सके मगर ऐसे बिल्डरों की वजह से आम लोग कोर्ट कचहरी थानों को चक्कर लगाने को मजबूर होते दिखालाई पड़ते है।
न्यायालय के आदेशों का भी उलग्घन –
सुप्रीम कोर्ट ने बिल्डरों की मनमानी के खिलाफ सख्त रुख अपनाया है, खासकर जब घर खरीदारों के अधिकारों की बात आती है। कोर्ट ने कई मामलों में बिल्डरों को अनुचित व्यवहार के लिए जिम्मेदार ठहराया है और उन्हें दंडित किया है।कोर्ट ने देखा कि अक्सर बिल्डर खरीददारों को लंबे समय तक झूठे आश्वासनों के सहारे इंतजार करने के लिए मजबूर करते हैं, जिससे उनकी वित्तीय और भावनात्मक स्थिति पर बुरा असर पड़ता है। इस फैसले के जरिए सुप्रीम कोर्ट ने खरीददारों को एक मजबूत कानूनी हथियार दिया है, मगर यह बिल्डर खुद को न्यायालय से भी ऊपर समझते है इसलिए तो इनकी मनमानी अपने चरम पर है।