उच्च दाब स्टील उद्योगों की तर्ज पर व्यवसायिक और घरेलू उपभोक्ताओं को अधिक सस्ती बिजली दें – मोहन एंटी

00 अरबों रूपये की छूट के षडय़ंत्र व हिस्सेदारों का खुलासा हो
रायपुर। छत्तीसगढ़ में उच्चदाब स्टील उद्योगों के लिए बिजली दरों के पुनरीक्षण का निर्णय जून 2024 में छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत विनियामक आयोग द्वारा लिया गया थ। इस निर्णय के खिलाफ स्टील उद्योग संगठन द्वारा आंदोलन किया जा रहा हैं। इस विषय पर छत्तीसगढ़ प्रदेश उपभोक्ता संरक्षण परिषद के अध्यक्ष श्री मोहन एंटी ने कहा है कि स्टील उद्योगपतियों को विद्युत दरों में राहत देने का विचार करने के पहले प्रदेश के लाखों घरेलू उपभोक्ताओं और छोटे व्यापारियों-व्यवसायियों को राहत देने पर विचार करना चाहिए। उन्होंने कहा कि सिर्फ एक वर्ग के उपभोक्ता समूह को इस तरह अचानक और रहस्यमय ढंग से तीन गुना छूट देना इस समूह के प्रति विशेष कृपा को इंगित करता हैं, अत: इससे यह सवाल उठता है कि अरबों रूपये की छूट की राशि का बंटवारा किनके बीच हुआ।
श्री मोहन एंटी ने कहा है कि वैसे भी विद्युत विनियामक आयोग एक संवैधानिक संस्था है। उसकी कार्यप्रणाली न्यायिक प्रक्रिया की तरह संचालित होती है। उपभोक्ताओं के किसी वर्ग को यदि शिकायत होती है तो उनके पास न्यायिक प्रक्रिया के तहत यह अधिकार होता है कि उच्च न्यायिक संस्थाओं में अपील कर सके। उन्होंने कहा कि सामान्यत: गृहस्थ और सामान्य व्यापारी वर्ग नियामक आयोग जैसी संस्था के निर्णय को मानता है और विद्युत उत्पादन, पारेषण और वितरण करने वाली संस्थाओं के साथ ही राज्य शासन से मिलने वाली मदद का सम्मान करता है। विगत वर्षां में बड़ी मंहगाई की तुलना में वैसे भी प्रदेश में बिजली ज्यादा महंगी न हो, इसका ध्यान स्वयं मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय जी ने रखा है और राज्य शासन की ओर से 1000 करोड़ रूपये का विशेष अनुदान देकर मदद की है। उल्लेखनीय है कि स्टील उत्पादकों को विगत चार वर्षों में जो अतिरिक्त सुविधा दी गई है, उसका भार कहीं न कहीं घरेलू तथा छोटे व्यापारी तथा व्यवसायी लोगों पर पड़ता है। इसलिए एक तो स्टील उत्पादकों की दी जा रही छूट का युक्तियुक्तकरण करते हुए उसे 25: से 10: किया जाना स्वागत योग्य है, वहीं यह गौरतलब है कि इस कमी के बावजूद भी उन्हें वर्ष 2021-22 की तुलना में दो प्रतिशत अधिक छूट मिल रही है।
विभिन्न अध्ययनों से पता चला है कि स्टील उत्पादक विगत वर्षों में शासन से तीन गुना से अधिक छूट का लाभ भी लेते रहे और लोहे का दाम भी डेढ़ गुना से अधिक बढ़ा दिया, जिससे पुन: मध्यम वर्ग, सामान्य उपभोक्ता, घरेलू उपभोक्ता, छोटे व्यापारियों को दोहरी हानि हुई हैं। इसलिए यदि उच्च दाब स्टील उद्योंगों की मांगों पर गौर किया जाता हैं तो घरेलू उपभोक्ताओं तथा छोटे व्यापारियों को बिजली दरों में राहत देने पर विचार करना न्यायोचित होगा।