पेण्ड्रा तहसील का भ्रष्टाचार , शासकीय दस्तावेजो में कूटरचना कर माफियाओ को उपकृत करने का चलाया जा रहा कुचक्र ,

गौरेला-पेण्ड्रा-मरवाही : – राजस्व विभाग में इन दिनों जमकर भ्रष्टाचार का खेल चल रहा है . जहाँ शासकीय दस्तावेजो में कूटरचना कर भू – माफियाओ को उपकृत करने का कुचक्र चलाया जा रहा है

दरअसल पूरा मामला पेण्ड्रा तहसील के ग्राम कुदरी के प.ह.न. 4 का है जिसका भूमि खसरा नंबर 369/1 बड़े झाड़ कर जंगल मद में दर्ज भूमि है जिसके रिकार्ड मिशल बंदोबस्त में दर्ज है वही अभिलेख वर्ष 1954-55 में उक्त खसरे की भूमि के 8 टुकड़े होकर 369/1 बड़े झाड़ जंगल मद में दर्ज होकर अन्य टुकड़े भूमि स्वामी हक में दर्ज है . बात करे अधिकार अभिलेख वर्ष 1954-55 में भूमि खसरा नम्बर 369/7 जिसका रकबा दो एकड़ है जिसमे से 1 एकड़ की रजिस्ट्री बैनामा तहसील कार्यालय के वाचक धरम मसराम के द्वारा दिनांक 31/12/2019 को विक्रेता रघुनाथ पिता गोपाल से करवाई गई थी .

ग्राम कुदरी में स्थित भूमि खसरा नंबर 369/1/ख जिसका रकबा 1 एकड़  एवम् 369/1/ग  जिसका रकबा 1 एकड़ दोनो अधिकार अभिलेख में बड़े झाड़ के जंगल मद में दर्ज है जिसका अस्थाई पट्टा भूमिहीन व्यक्ति को जीविकोपार्जन के लिए दिया गया था वही ग्राम कुदरी के ग्रामीणों ने आरोप लगाते हुए बताया कि उक्त भूमि राजस्व अधिकारियों की मिलीभगत से मोहम्मद यूसुफ खान एवं बिलासपुर निवासी आशीष राव भोसले के द्वारा आपस मे षड्यंत्रपूर्वक मिलीभगत करके शासकीय दस्तावेजों में कूटरचना करके अभिलिखित भूमिस्वामी को गुमराह करके पहले उससे उसकी भूमि का आम मुख्तयारनामा बनवा कर ग्राम कोटवार और तहसीलदार से मिलीभगत करके अधिकार अभिलेख में कांट छांट कूटरचना  करके दोनो रजिस्ट्री बैनामा में खसरा नंबर 369/7 को 369/1 बनाकर रजिस्ट्री बैनामा का निष्पादन करवाया गया है ।

चूंकि वर्तमान में किसी भी रजिस्ट्री के लिए उस भूमि का मिशल बंदोबस्त या अधिकार अभिलेख आवश्यक होता है जिससे यह पता चलता है की भूमि पहले शासकीय मद जैसे बड़े झाड़ के जंगल छोटे झाड़ के जंगल घांस गौचर अथवा किसी आदिवासी समुदाय के नाम में तो नही थी अगर ऐसा होता है तो उस भूमि की विक्रय पंजीयन नही होती है इसीलिए उक्त दोनों भूमि की रजिस्ट्री के लिए दस्तावेजों की कूटरचना की गई है . दस्तावेजों की कूटरचना करके उक्त शासकीय भूमि को गबन करने के दुराशय से षडयंत्र पूर्वक मिलीभगत करके रजिस्ट्री बैनामा करवाया गया है और अब उस कूटरचित दस्तावेज के आधार पर निस्पादित बैनामा का सही के रूप में इस्तेमाल करके नाजायज लाभ लेने का प्रयास किया जा रहा है ।

वही उक्त मामले में पेण्ड्रा तहसीलदार ने बताया कि लगातार मामले की शिकायत हो रही थी जिसके बाद मामले की गंभीरता को देखते हुए उक्त भूमि का नामांतरण खारिज कर दिया गया है ।

तब सवाल यह खड़ा होता है कि एक तरफ प्रशासन जिला कार्यालयों के लिए भूमि तलाश नही पा रही है दो साल से ज्यादा समय हो गया जिला गठन को मगर उधार के बिल्डिंग में जिले के कई कार्यालय संचालित हो रहे है . ऐसे में इस तरह से शासकीय जमीनों में कूटरचना दस्तावेजो के छेड़-छाड़ कर भू माफियाओ को उपकृत किया जाएगा तो निश्चित ही आने वाले समय मे सरकारी भवनों के लिए इन भू माफियाओ बगले झांकी जाएगी .

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