अफ़सर-ए-आ’ला (हर रविवार को सुशांत की कलम से)

अफ़सर-ए-आ’ला
(हर रविवार को सुशांत की कलम से)

कीर्तिमान या गबड़झाला –
सरकार ने बताया कि वर्ष 2024-25 में प्रदेशभर के 25 लाख 49 हजार 592 किसानों से कुल 149 लाख टन धान की खरीदी कर एक नया कीर्तिमान रच दिया , मगर गौर करे तो इसी कीर्तिमान में एक बड़ा गड़बड़झाला हो गया। दरअसल जिस 149 लाख टन को सरकार कीर्तिमान बता रही है उसमे नागरिक आपूर्ति निगम और एफसीआई के कोटे में कस्टम मिलिंग के जरिए 123 लाख टन का निराकरण कर दिया। 149 लाख टन में 123 लाख टन जब निराकरण हो गया तो प्रदेशभर के संग्रहण केन्द्रों में 26 लाख टन डंप होना चाहिए था। मगर राज्य शासन ने 35 लाख टन धान की नीलामी के लिए बोलीकर्ताओ से टेंडर मंगाए है। अब लोग पूछ रहे है कि जब धान 26 लाख टन ही है तो 35 लाख टन धान की नीलामी कैसे होगी ? ये 9 लाख टन अतरिक्त धान कहा से आ गया! अब यह सरकारी रिकार्ड है और कीर्तिमान भी है तो सवाल उठना लाजमी है लोग पूछ रहे है कि यह कीर्तिमान है या कागजो में हुआ गड़बड़झाला

नाराज महिला नेत्री पार्ट 1
भाजपा की एक महिला नेत्री इन दिनों बुरी तरह से संगठन ,संघ और सत्ता तीनों से नाराज़ चल रही हैं। ये प्रदेश के संगठन के एक प्रमुख पद पर आसीन हैं। इनकी नाराजगी की पहली वजह तो इन्हें विधानसभा से लेकर निकायों तक टिकट न मिलना बताया जाता है। इंतहा तो तब हो गई जब टिकट तो छोड़िए मोहतरमा को टिकट सिलेक्शन तक से दूर रखा गया। फिर मंडलों का कमंडल खुला तो बहन जी को एक जगह मिली। पदभार लेने के लिए पूछताछी चालू की गई तो पता लगा कि इस मंडल को ताला लगे पांच बरस बीत चुके हैं। बहन का गुस्सा चरम सीमा पर है। जिस जिस मंडल के पदभार में गईं तो वहां चीखना चिल्लाना जारी रहा। लोग पीछे चुपचाप मुस्कुराते रहे और बहन जी कुड़कुड़ाती रहीं।

नाराज महिला नेत्री पार्ट 2
अब सुनिए इन्हीं का आगे का किस्सा। बहन जी धीरे धीरे बदतमीजी पर भी उतर आईं। हाल ही में संगठन की बड़ी बैठक में बार बार अपने तेवर दिखाती रहीं। बैठक में नुक्स निकालती रहीं। चाय के कप और गिलास को बिना धुला बताकर छूने से मना कर दिया। आसपास के माननीयों के सामने बड़बड़ाती रहीं। उनकी नाराजगी अब बदजुबानी का रूप ले चुकी है। बहन जी ,जरा समझिए,भाजपा में बदलाव आ चुका है। ये नया भारत है तो नई भाजपा होना भी लाजमी है। युवाओं को बैखौफ होकर मौका दिया जा रहा है। नेक्स्ट जनरेशन की तैयारी है । ऐसे में ज्यादा तेवर दिखाए तो भाईसाहब लोग आपको दरकिनार करने में एक मिनिट नहीं लगाएंगे।

नाराज महिला नेत्री पार्ट 3
लाख टके का सवाल ये है कि नाराज महिला नेत्री की नाराजगी के लिए जिम्मेदार कौन है ? दरअसल हुआ ये कि बहन जी को जिस बोर्ड का अध्यक्ष बनाया गया वो बोर्ड भारत सरकार का था। बोर्ड की प्रतिष्ठा अच्छी नहीं थी। बहुत अनुदान फर्जी संस्थाओं को जाता था। भारत सरकार ने इसी के चलते ये बोर्ड पांच बरस पहले बंद कर दिया। लेकिन सूची शायद सामान्य प्रशासन विभाग में अद्यतन नहीं थी। इसलिए जब लिस्ट निकली तो मोहतरमा का नाम आ गया। लिस्ट विभाग पहुंची , विभाग की सचिव पहले ही सरकार की टेढ़ी नजरों में थीं। कुछ ही दिन पहले सीबीआई की दस्तक पहुंच चुकी थीं इसलिए वो भी सरकार को नाराज़ नहीं करने के चक्कर में आदेश निकाल बैठी। पूरी जिम्मेदारी उनकी थी। वैसे भी वो कदम कदम पर संचालनालय से अभिमत मांगने में मशहूर हैं। लेकिन इस बार चूक गई। कम से कम मौखिक ही सही जाकर मुख्य सचिव को तो बताना ही था। मगर नहीं अच्छा बनने की कवायद में मुसीबत मोल ले ली। महिला नेत्री अपना गुस्सा संगठन, संघ और सत्ता पर झाड़ रहीं है और उधर विभागीय सचिव भारत सरकार से बात करने की समझाइश देकर पल्ला झाड़ रही हैं। कितना सच और झूठ है ये तो ऊपरवाले ही बता सकते हैं मगर मामला उलझ गया ये सही है। सरकार को चाहिए कि आदेश निकालने से पहले सच सामने क्यों नहीं लाया गया इसकी सूक्ष्मता से जांच करे।

माहिष्मति साम्राज्य का माहेश्वरी –
आज से करीब डेढ़ साल पहले की बात है प्रदेश में जब माहिष्मती का सम्राज्य था उस माहिष्मती के साम्राज्य में एक जो कद और पद दोनों में अदना सा था उसने जमकर आतंक मचाया। समझ लीजिए पूरे सम्राज्य का लॉ&ऑर्डर इसके हाथ की कठपुतली थी। इसके दो सिपाही भी थे एक राजपूत था तो दूसरा वर्मा , माहेश्वरी खुद को जिल्लेलाही समझता था और यह दो सिपाही जिले के कप्तान थे। पांच बरस में इस माहेश्वरी ने अफसर , जुआ , सट्टा , लोहा चोरी , नशा और जिस्म फ़रोशी का कारोबार करने वालों से उगाही और वसूली का लंबा नेटवर्क बना लिया था , तूती इस कदर कि पुलिस महकमे के आला अफसर भी घिग्घी बाँधे माहेश्वरी के सामने खड़े रहते थे। बताते है कि राजधानी के संतोषी नगर में इसके सिपाही वर्मा के बंगले के सामने शासन लिखी गाड़ियों की लंबी लाइन लगी होती थी। इस माहेश्वरी के चलते आज हालात यह है कि पूरा का पूरा साम्राज्य तबाह ध्वस्त हो चुका है और यह अदना सा माहेश्वरी सरकारी मुलाजिम से अरबपति बिल्डर बन चुका है।

हाउस के सूरज और तेलगुभाषी का गठजोड़ –
इन दिनों हाउस के एक चमकते सूरज और तेलगुभाषी अधिकारी के गठजोड़ के किस्से सियासी गलियारों में खूब चर्चे में है। एक अपने विभाग का प्रमुख तो दूसरा हाउस का सर्वेसर्वा है बीते दिनों इन्ही दो गठजोड ने आईएफएस तबादले में बड़ा खेला खेल दिया , इस खेल का पर्दाफाश भी न होता मगर हल्ला तब मचा जब विभाग के मंत्री को भी इस गठजोड़ ने नकार दिया। जहाँ जैसा चढ़ावा मिला उसे वैसी पोस्टिंग दे दी गई। मंत्री जी हैरान परेशान है आखिर वो कर भी क्या सकते है इतने बड़े बड़े घोटाले पर वो चुप थे , उनके इलाके में ही एक बड़ा घोटाला हो गया मंत्री जी तब भी नही बोले
शायद इसलिए अधिकारी भी मनबढ़ हो गए उन्हें लगा मंत्री जी कुछ बोलेंगे ही नही , मगर बताते है मंत्री जी इस लिस्ट से काफी नाराज है। अब ये नाराजगी कितनी है यह तो वहीं जानते होंगे आखिर तेलगुभाषी और हाउस के चमकते सूरज को आंखे दिखाने का साहस भी तो चाहिए।

 

यक्ष प्रश्न
1 . फाइनेस विभाग के कौन अधिकारी है जिससे छानबीन करने वाले विभाग ने 3 करोड़ ले लिया ? वर्तमान में ये अधिकारी घर बनाने वाला विभाग सँभाल रहे है

2 . रजिस्ट्री विभाग में कौन से विभाग ने मुखबिर बिठा रखा जिससे करोडों की कमाई विभाग के मुखिया को हो रही है?

 

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