अफ़सर-ए-आ’ला (हर रविवार को सुशांत की कलम से)

अफ़सर-ए-आ’ला
(हर रविवार को सुशांत की कलम से)

कोई करोड़पति तो कोई बेघर –
छत्तीसगढ़ के आईएएस , आईपीएस और आईएफएस अधिकारियों ने संपत्ति का ब्योरा केंद्र सरकार को दिया है। इसमें कई अधिकारियों के पास करोड़ों की संपत्ति है , तो कई बेघर है । इसमे चौकाने वाली बात यह है कि डीजीपी चीफ सेकेटरी से ज्यादा संपत्ति डीएम , एसपी और डीएफओ के पास है।जबकिं 19 कलेक्टर , 10 आईपीएस के पास अपना खुद का घर तक नहीं है। यूं तो यह ब्योरा हर साल जारी होता है मगर इस बार यह ब्योरा चर्चाओं में है क्योंकि पूर्ववर्ती सरकार में जिस तरह कोल , महादेव , शराब घोटाले खुलासे हुए जिसमे कई आईएएस अधिकारी जेल में और आईपीएस अधिकारी सीबीआई की रडार में है। जंगल विभाग के बड़े अफसर तो कुबेर के खजाने पर कुण्डली मारकर बैठे हैं ऐसे में यह ब्योरे कितना एक न्बरी है कहना कतई उचित नहीं है। इस प्रक्रिया का उद्देश्य पारदर्शिता सुनिश्चित करना और भ्रष्टाचार पर निगरानी रखना है। क्या यह हो पा रही है अगर नहीं तो ऐसे ब्योरे का क्या औचित्य। खैर सरकार को उन अधिकारियों पर गौर कर उन्हें पोस्टिंग देने पर जोर देना चाहिए जिनके पास खुद का घर नही है बेचारे कम से कम अपना घर तो बना ले।

करोडपति उपसंचालक की कान्हा ट्रिप
महिलाओं से जुड़े एक विभाग के खरीदी विशेषज्ञ एक उपसंचालक जो कम से कम 200 करोड़ के उपसंचालक बताए जाते हैं उनका एक और कारनामा सामने आया। जनाब ने अप्रैल की लंबी छुट्टियों के दौरान अपने पूरे स्टाफ के साथ कान्हा घूमने का प्रोग्राम बनाया। मामला सचिव की जानकारी में आया। सचिव ने भरी टी एल मीटिंग में महोदय की क्लास ले डाली। जुलाई में रिटायर हो रहे श्रीमान जी ने टका सा जवाब दे दिया कि छुट्टियों में ही तो जा रहे हैं। सचिव का कहना भी सही था कि एक एक करके जाओ।पूरे सेक्शन की टीम तो एक साथ पिकनिक मनाती है।मगर अड़ियल उपसंचालक माने नहीं और बाकायदा अपनी टीम के साथ मना करने के बाद भी घूम आए। जुलाई में उनका रिटायरमेंट है। बाद में संचालनालय के गलियारों में पूरी दंबगई से कहते नजर आए कि 33 साल की नौकरी में कई आई ए एस देख लिए। संचालनालय में ही ये 22 साल से जमे हैं। सचिव जी को चाहिए कि ऐसे खटराल अफसरों को बाहर का रास्ता दिखाए और अगर सेवानिवृत्ति निकट है तो कम से कम इन्हें तीन माह बिना काम का सेक्शन दे दें वरना आई ए एस की साख मिट्टी में मिल जाएगी।

लार्ड साहेब मना रहे जश्न –
पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद पूरा देश स्तब्ध है और शोक में डूबा है इसी बीच न्याय की धानी में एक लार्ड साहेब सरकारी खर्चे और चंदे उगाही से जश्न मना रहे थे। बताते है कि इस पूरे जश्न की तैयारी में लगे पुलिस विभाग ने जमकर चन्दा चकारी की और पाँच सितारा होटल बुक किया।बाकायदा इसके लिए इनविटेशन कार्ड भी छापे गए , ऐसा ही एक आमंत्रण शिक्षा विभाग का भी वाइरल हुआ था मगर बाद में जब हो हल्ला मचा तो आदेश निरस्त करना पड़ा।मगर यहाँ तो पुलिस के साहेबान पार्टी की तैयारी कर रहे थे इन्हें कौन रोकता भला ? लार्ड साहेब आप तो उस ओहदे में है आपको तो चिंतन करना था यह समय जश्न का नहीं है।

पूर्व का मोह -दिल है कि मानता नहीं-
निगम ,मंडल ,आयोगों के अध्यक्षों की नियुक्ति हो गई। इनमें पूर्व पदस्थ कई मान्यवर आस लगाए बैठे थे। लगातार परिसर की परिक्रमा कर रहे थे। इन मान्यवरों की आस नीरास भई, जब नाम नया आ गया। अब नए पदस्थ पदाधिकारियों ने कार्यभार भी ग्रहण कर लिया । बेचारे पूर्व पदस्थ उन्हें बधाई भी दे आए। पदभार ग्रहण में सीने पर पत्थर रखकर हाथों में गुलदस्ता लिए गए। लेकिन दिल है कि मानता नहीं। इन भाइयों और बहनों ने अपनी गाड़ियों पर एक लाल तख्ती लगाकर पुराना पदनाम लिख डाला और उसके आगे छोटे छोटे अक्षरों में पूर्व लिख दिया।अब उसे देखकर ये दिमाग में आना लाजमी है कि दिल है कि मानता नहीं।

पानी से ज्यादा जरूरी शराब –
नई आबकारी नीति के तहत सरकार ने सालाना 12 हजार करोड़ रूपए का लक्ष्य रखा है। लोगो को ब्रांडेड शराब और 45 डिग्री के तापमान में घर बैठे ऑनलाइन बुकिंग के साथ ऐसी अनेको सुविधाएं मुहैया करा रही है ताकि यह लक्ष्य पूरा हो , अच्छी पहल है लेकिन इसी 45 डिग्री के तापमान में कई ऐसे जिले है जो पानी की कमी की किल्लत से झूझ रहे है राजधानी से लगे धमतरी, दुर्ग, बेमेतरा, कवर्धा और सूरजपुर जैसे जिले में जल संकट मंडराने लगा है । JJM योजना में कई करोड़ तो बह गए मगर मगर पीने का पानी नसीब नही हो पाया। सरकार को पानी के लिए भी ऐसी ही कोई नीति पर विचार करना चाहिए , आखिर पानी पीने को न सही मिलाने के लिए तो मिल ही जाए। यही सोच कर सरकार को इस ओर कदम बढ़ाना चाहिए।

यक्ष प्रश्न :-
1 मंत्री बनने के लगभग डेढ़ साल बाद एक मंत्री जी का अचानक से जिलों में छापामारी करने के पीछे क्या कोई कारण है ?
2.एक विशेष कौमी एकता वाले अफसरों के वर्ग में क्या कौम के भी कुछ नाम पर भी कुछ काम चलते हैं ?

3. ऐसा कौन का जिला है जिसमे पुलिस विभाग के 10 राजपत्रित अधिकारियों का पद स्वीकृत है उसके खिलाफ केवल एक राजपत्रित अधिकारी पदस्थ है ?

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