अफ़सर-ए-आ’ला (हर रविवार को सुशांत की कलम से)

अफ़सर-ए-आ’ला
(हर रविवार को सुशांत की कलम से)

फूल छाप कांग्रेसी और पंजा छाप भाजपाई –
मार्च 2024 की बात है हाउस में एक उच्च स्तरीय बैठक होती है । बैठक में प्रदेश के महाधिवक्ता , सूबे के मुखिया और उनके सचिव समेत एसीबी चीफ मौजूद होते है । यह बैठक भाजपा के आरोप पत्र पर थी जिसमे मोदी-शाह ने दस्तखत के साथ कहा था किसी भी भ्रष्टाचारी को नही बख्सा जाएगा और आरोप पत्र में उन भ्रष्ट अधिकारियों की तस्वीर भी जारी की थी। मामले की गंभीरता और आरोप पत्र के आधार पर महाधिवक्ता ने स्पष्ट मत से कहा था कि आरोप पत्र में नामजद इन अधिकारियों पर रिपोर्ट दर्ज कर जांच कराई जाए।मगर एसीबी ने न तो इन अधिकारियों पर रिपोर्ट कि न पूछताछ के लिए बुलाया गया। इससे सत्ता सरकार की किरकिरी तो हुई ही मोदी शाह के आरोप पत्र को भी दरकिनार कर दिया गया।इसके बाद मामले की जांच सीबीआई को सौंपी गई सीबीआई ने तत्काल इन नामजद अधिकारियों के ठिकानों पर रेड और घण्टो पूछताछ की। सवाल यह भी उठा कि आखिर एसीबी की चार्जसीट मे उक्त अधिकारियों का नाम कैसे गायब किया गया किसके इशारे में यह खेल हुआ ? बताया जाता है कि हाउस के कारिन्दे और एसीबी के मुखिया ने इन अधिकारियों को बचाने की जी तोड़ मेहनत करी।मगर सीबीआई की एंट्री ने सब किये कराए पर पानी फेर दिया।सट्टे जुए की जद में डूबे इन अफसरों के पास अब “फूल छाप कांग्रेसी और पंजा छाप भाजपाई” ही बचे है देखते है कब तक यह इनकी गर्दन बचाते है ।

मुफ्त का चंदन घिस मेरे नंदन –
कांग्रेस का एटीएम कहे जाने वाले काका सीबीआई की रडार में है और मुश्किल दौर से गुजर रहे है मगर दुधारू गाये पर किसी की नजर ही नही जा रही है।यह दुधारू गाय इतनी सीधी और सरल है कि इससे चाहे जितना दुह लो यह न तो लात मारती है न ही पूछ फड़फड़ाती है।इसी का फायदा उठाते हुए एक राज्य विशेष से आने वाले जो इस राज्य में भी बेहद प्रभावशाली है उन्होंने ऊपर के आदेश का हवाला देते कहा कि हर महीने यहाँ से 100 करोड़ का दूध दुहा जाएगा चूंकि इस साल के अंत मे उनके यहाँ चुनाव होने जा रहा है। इतनी बड़ी रकम सुनके मुखिया भी हड़बड़ा गए और मजा तो तब आया जब मुखिया ने ऊपर वाले से ही कॉल करके पूछ लिया कि साहब 100 करोड़ की डिमांड है।संगठन के एक नेता भी अपना हिसाब किताब बताते हुए कहा कि रकम बड़ी है।इसके बाद हुआ मानमुनऊल , मोल-भाव आखिर में 55 करोड़ में डील फिक्स हो गई अब यहाँ से दुधारू गाय 55 करोड़ हर महीने बगल वाले राज्य देने जा रही है। ऐसे में यह कहना गलत नही है “मुफ्त का चंदन घिस मेरे नंदन”

दया कुछ तो गड़बड़ है –
व्हाट्सअप यूनिवर्सिटी का जमाना है सोच समझकर आंकड़े पेश किए जाए तो बेहतर है वरना गणितज्ञ लोग कैलकुलेटर लेकर बैठे ही है ऐसे है एक पोस्ट पार्टी के फेसबुक हैंडल से पोस्ट हुई जिसमें तत्कालीन और वर्तमान सरकार में अंतर बताया गया कि कौन सी सरकार ज्यादा किसान हितेषी है आंकड़े दिए गए कि धान की न्यूनतम समर्थन मूल्य की खरीदी में तत्कालीन कांग्रेस सरकार में 78 लाख किसान लाभान्वित हुए वही वर्तमान भाजपा सरकार में यह आंकड़ा बढ़कर 1 करोड़ 3 लाख 83 हजार 248 तक जा पहुँचा। अधिकृत हैंडल से पोस्ट थी तो लोगो ने हिसाब किताब लगाना शुरू किया आंकड़े के अनुसार एक साल में किसानों की संख्या में 33 % का इजाफा और 26 लाख किसान बढ़ गए।अब दया पता लगाने निकल गया है कि गड़बड़ आंकड़े बताने में हो गई कि सचमुच इतने किसान बढ़ गए।

इतना सन्नाटा क्यों है भाई?
प्रदेश में सीबीआई के कमल रूपी चरण पुलिस के आला अधिकारियों के घर क्या पड़े विभाग में सन्नाटे और सिहरन की लहर दौड़ गई । छापे के दो दिन बाद तक सिवाय कानाफूसी के कुछ नहीं हुआ । अधिकारी मोबाइल लगाने से भी बचते रहे । पुलिस अफसरों की बेचारी पत्नियां तक परेशान हैं । घर के दरवाजे की घंटी बजती है तो एक दूसरे से निगाह मिलाते हैं । कोई ऑफिस की सफाई कर रहा है , तो कोई पिछले रिश्ते टटोल रहा है । बड़े बड़े बंगलो से समझाइश मिल रही है कि सरकारी गवाह बन जाइए ,नमस्ते । छापे के चार दिन पहले तक मीटिंग, वीडियो कांफ्रेंसिंग और मंत्रालय में डांट डपट करने वाले अफसरों को आवाजें ही सुनाई देना बंद हो गई हैं । हालात देखकर मशहूर डायलॉग याद आना लाजमी है कि इतना सन्नाटा क्यों है भाई !

पूर्व सीएम को पत्रकार ने लगाया पांच करोड़ का चूना
सियासी गलियारों में इन दिनों चर्चा है कि विधान सभा चुनाव से पहले प्रदेश के राजनैतिक हालात की सर्वे के नाम पर एक पत्रकार पूर्व सीएम से पांच करोड़ रूपए झटक लिए। चर्चा के मुताबिक विधान सभा चुनाव से कुछ माह पूर्व पड़ोसी राज्य से आकर छत्तीसगढ़ में पत्रकारिता करने वाले ने मुख्यमंत्री को सर्वे कराने के लिए शीशे में उतारा। पांच करोड़ में डील तय होने के बाद पत्रकार ने हैदराबाद की एक कंपनी से संपर्क साथा और उसके माध्यम से हवाई सर्वे कराया और विश्वास दिलाया कि कका के पक्ष में माहौल एकतरफा है। कथित सर्वे रिपोर्ट से खुश कका हवा में उड़ने लगे थे। चर्चा है कि जिस कंपनी ने सर्वे किया था उसने पहले इस तरह का कार्य किया ही नहीं था। सर्वे करने वाली कंपनी के पास 25-30 लोगों की टीम था जिनका काम नए प्रोडक्ट को घर-घर तक पहुंचाना और फीडबैक लेना है। सर्वे रिपोर्ट के बाद जब परिणाम सामने आया तब कका को समझ में आया कि उसे कैसे पांच करोड़ का चूना लगाया गया है।चर्चा यह भी है की पिछली सरकार में मुखिया की दया दृष्टि इस पत्रकार पर होने के कारण लक्ष्मी की कृपा भरपूर बरसी है।

ये कैसा अरुणोदय –
लंबे इंतजार के बाद जब अरुणोदय हुआ तो लगा कि यह एक नया सवेरा है मगर स्थिति वही ढाक के तीन पात वाली ही है।एक तरफ जहां देश के गृहमंत्री दंडकारण्य से लाल आतंक के खात्मे की हुंकार भर रहे है वही मैदानी क्षेत्र में हिंसा अपने चरम पर है। खुलेआम सोशल मीडिया में वीडियो वायरल हो रहा है जिसमे चंद गुंडे किस्म के लोग पुलिस प्रशासन को अपनी जेब मे लेकर घूमने की बात कर रहे है। यह कोई एक जगह की बात नही है मसलन यह हालात आज पूरे प्रदेश में है जहाँ मजलूम लोगो पर खुलेआम लाठी , डंडे , लात , घुसो और बेल्ट से पीटा जा रहा है मगर पुलिस के साहेबान तमाशबीन बनकर देख रहे है।आखिर क्या वजह है कि पुलिस ने अपने हाथ बांध लिए है इसके पीछे क्या लंबे समय से पुलिस के आला अधिकारियों का स्थानांतरण न होना ?अवैध कारोबार में पुलिस का संरक्षण , या बाहरी लोगों धमक वजह चाहे हो मगर प्रदेश की जनता ने ऐसे “अरुणोदय की कल्पना तो नही की रही होगी।”

यक्ष प्रश्न
1 . आखिर किसके दबाव में 100 करोड़ की डील 55 करोड़ में तय हो गई?

2 . वो कौन है जो राजनीतिक सलाहकार बनते बनते निगम के चैयरमेन बन गए?

3 . हाउस का वो कौन सा अधिकारी है जिसको खाली बोतल का महीने में 80 लाख मिल रहा है?

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