अफ़सर-ए-आ’ला (हर रविवार को सुशांत की कलम से)

अफ़सर-ए-आ’ला
(हर रविवार को सुशांत की कलम से)

रावतपुरा सरकार के व्यापक साम्राज्य का विस्तार –
छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश में रावतपुरा सरकार के व्यापक होते विस्तार पर सीबीआई की दबिश ने एक बार फिर आस्था के नाम पर लूट खसोट का पर्दाफाश किया है। धर्म और अध्यात्म का चोला ओढ़े इस कथित सरकार ने शैक्षणिक और स्वास्थ्य संस्थानों में व्यापक विस्तार नेटवर्क खड़ा किया। 2000 के दशक में इस कथित सरकार ने एक ट्रस्ट बनाया जिसके अंतर्गत कई स्कूल , संस्कृत संस्थान , ब्लड बैंक , नर्सिंग कॉलेज , फार्मेसी कॉलेज और अस्पताल स्थापित किए। अंदाजा लगाइए जिस सरकार के खुद के शैक्षणिक स्तर का पता नही वह देशभर में कई यूनिवर्सिटी संचालित कर खुद ही कथित सरकार बना हुआ है और फर्जी मान्यता के जरिए शिक्षा को व्यापार बनाकर व्यापक पैसा और अपने भ्रष्ट साम्राज्य का विस्तार कर रहा है। इस गफलत में 35 नामजद आरोपियों में एक संवैधानिक पद में बैठे सेवानिवृत्त आईएफएस का नाम भी सुर्खियों में है। हालांकि रावतपुरा सरकार के आगे सुशासन की सरकार ने चुप्पी साध ली है।अब समस्या यह नही है कि बिल्ली ने दूध चट कर लिया बल्कि चिंता इस बात की है कि बिल्ली को दूध की जगह पता चल गई है। अब सवाल यह है कि बिल्ली से दूध बचेगा कैसे ?

नसीहत भ्रष्टाचार और भ्रष्टाचारियो से दूर रहने की –
फाइनली केंदीय नेतृत्व को यह आभास हुआ और 18 महीने बाद ही सही मंत्री , विधायको समेत सांसदों का चिंतन और प्रशिक्षण शिविर लगाया गया। यह चिंतन की पाठशाला छतीसगढ़ में शिमला में आयोजित हुई। जहाँ राज्यसभा के नेता और पूर्व पार्टी अध्यक्ष ने मंत्रियों और विधायकों को जैसे ही भ्रष्टाचार और भ्रष्टाचारियों से दूर रहने की नसीहत दी। मंत्रियों ने भी आत्मसाद कर भ्रष्ट दलालों ठेकेदारों की कुर्सी अपने से कुछ दूर लगवा दी और हिदायत दी गई कि कोई भी काम हो इसके लिए इन्हें सीधे संपर्क न करे। सारा खेल माध्यमो के जरिये होगा। वही रील्स जीवी मंत्रियों विधायको को रील्स के नए पैतरे भी समझाए गए। जिसमे कंटेट क्रिएट , एडिटिंग और वीडियो पर विशेष फोकस को ध्यान में रखा गया। बताया गया कि धरातल पर काम भले न हो लेकिन सरकार का गुणगान सोशल मीडिया में जबरजस्त होना चाहिए। हालांकि इस नसीहत और इस विधा में पूरी सरकार शिद्धस्त है। अब मंत्रियों का परफार्मेंस जमीन पर नही लाइक , शेयर , फॉलोवर , सब्सक्राइबर से तय किया जाएगा। जिसकी मोनिटरिंग खुद डारेक्ट नड्डा जी करने वाले है।

दामाद की जांच ससुर से-
हाल ही में महिलाओं और बच्चों से जुड़े एक विभाग में घटिया सामग्री की आपूर्ति का मामला जोरों शोरो से उछला। फिर आनन फानन में राज्य स्तरीय जांच समिति बनाई गई। समिति ने कथित तौर पर रायपुर , दुर्ग , बिलासपुर , जशपुर , सरगुजा और जांजगीर-चांपा जिलों में जाकर जांच कार्रवाही की। जांच में 6 फर्मो को ब्लैक लिस्ट कर सामान बदलवाने की बात सामने आई। लेकिन इस जांच और कार्रवाही में दो मजेदार बातें सामने आई। एक तो ये कि जांच समिति ने जो जांच रिपोर्ट संचनालाय को सौंपी वह रिपोर्ट संचालनालय में ही पहले से लगभग तैयार रखी गई थी। दूसरा ये की खरीदी देखने वाले विवादित उपसंचालक इस जांच समिति के अध्यक्ष संयुक्त संचालक वित्त के किसी रिश्ते से ससुर लगते हैं। वही इस जांच को लेकर भी कई सवाल और आरोप यह लग रहे है कि यह जांच केवल चुनिंदा जिलों में ही करवाई गई। आखिर दामाद पूज्य होता है इस लिहाज से ससुर जी ने दामाद के पूजनीय रिश्ते की लाज रख ली।

एक को सजा एक को अभयदान –
इसी के आगे का किस्सा सुनिए खरीदी वाले विवादित उपसंचालक जी इसी माह के अंत मे सेवानिवृत्त हो जाएंगे। सेवानिवृत्त के पहले उपसंचालक जी योजनाबद्ध तरीके से एक बड़े भ्रष्टाचार को अंजाम देने की योजना बनाई। मगर योजना सफल होती इससे पहले हल्ला मच गया और मंत्री मेडम को मजबूरन जांच समिति गठित करना पड़ गया। मगर मंत्री जी भी चतुर चालाक उन्होंने खानापूर्ति के नाम पर फर्मो को तो ब्लैक लिस्टेड कर दिया मगर खरीदी वाले विभाग के उपसंचालक को अभयदान इस तर्क के साथ दे दिया कि उनका यह आखरी माह है। जबकिं कुछ दिन पहले ही उच्च शिक्षा विभाग ने महाविद्यालय में खरीदी मामले में सेवानिवृत्त प्राचार्य के पेशन से 17 लाख वसूले जाने का आदेश जारी किया था। इस दोहरे चरित्र को देखकर लोग भी पूछ रहे हैं कि जब गुनाह एक सा तो एक को सजा और दूसरे को अभयदान क्यो ?

विदेश से आया मंत्री जी का बेटा –
कभी मंत्री के पीए रहे एक शासकीय सेवक अब खुद मंत्री बन गए है और उन्हें एक बड़ी जवाबदेही वाला मंत्रालय मिला हुआ है। जब से यह जरूरी मंत्रालय उन्हें मिला है। वह लक्ष्मी मोहपाश में फंस गए है। इस मोहपाश को संभालने के लिए मंत्री जी ने दूर विदेश में नौकरी कर रहे चिरंजीवी को त्यागपत्र देकर वापस बुलवा लिया। अब मंत्री जी का सारा काला पीला उनके चिरंजीवी ही संभाल रहे है। मंत्री जी जिस विधान सभा से आते है वह उद्योगनगरी कहलाती है। जहाँ कारखानों में सप्लाई और ट्रांसपोर्टेशन के कामो में अपने विश्वासपात्र लोगो को लगवाया ही गया अब मंत्री जी अन्य जिलों और विधानसभा में भी अपना पाँव पसार रहे है। बीते दिनों चिंतन शिविर में माननीय की यह हरकते शिकायती लहजो में उतर आई। लोगो ने बताया कि किसी भी जमीन का लीज नवीनीकरण में मंत्री जी ने फिक्स कमीशन तय कर दिया है। साथ ही बड़े कॉरपोरेट के साथ मिलकर मंत्री जी मजलूम ग्रामीणों की जमीनों का भी गोरखधंधा कर रहे है। अब जिन्होंने वोट किया वह सर पटक रहे है और इधर बाप और विदेश से लौटे बेटे की जुगल जोड़ी नए-नए गुल खिला रही है।

जांच एजेंसियों का बिगड़ा गुमताड़ा –
प्रदेश के सबसे बड़े लिकर स्कैम मामले में जांच एजेंसियों ने ऐसा गुमताड़ा सेट किया था कि गुपचुप तरीके से बिना गिरफ्तारी के चालान पेश कर देंगे और जांच एजेंसियों ने गिरफ्तार नही किया इस तर्ज पर सभी आरोपियों को जमानत दिलवा ले जाएंगे। इस आश्वाशन के बाद आबकारी विभाग में जमकर जश्न के साथ जाम छलकाए गए। वही इस सिंडिकेट के साजिश की खबर जनसंवाद में छपी तो जांच एजेंसी समेत सभी आरोपियों के हाथ पांव फूल गए। आनन फानन में सभी 22 नामजद आरोपियों को निलंबित किया गया ताकि जांच एजेंसियों की निष्पक्षता पर सवाल न उठाएं जाए। एक जांच तो इन जांच एजेंसी की भी की जानी चाहिए कि इस साजिशन खेल में जांच अधिकारियों को जांच को लचीला बनाने के लिए कितने का चढ़ावा मिला। साथ ही यह भी पूछा जाए कि आखिर नामजद आरोपियों की गिरफ्तारी क्यो नही की गई।

यक्ष प्रश्न
1 विधानसभा के ठीक पहले आनन फानन में एक जांच रिपोर्ट किस विभाग ने प्रस्तुत कर प्रेस कॉन्फ्रेंस ली है ?

2 कौन सी पढ़ी लिखी स्मार्ट महिला विधायक मानसून सत्र में बेहद सक्रियता से प्रश्न लगा रही हैं ?

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