अफ़सर-ए-आ’ला (हर रविवार को सुशांत की कलम से)

अफ़सर-ए-आ’ला
(हर रविवार को सुशांत की कलम से)
जादूगर हुड़नी –
18 वी सदी में एक प्रसिद्ध हंगेरियन जादूगर हुए आज अगर यह जादूगर दुनिया मे होते तो वह भी इस तंत्र की जादूगरी देखकर पनाह मांग लेते। जिस तरह दुनिया भर के जादूगर मंचो में हाथी , कुत्ता , ताजमहल , लोगो का सर गायब करते है वैसे ही इस प्रदेश के रोल मॉडल ने अपनी जादूगरी के करतब से राजधानी के एक बड़ी महंगी और लक्जरी कॉलोनी के बीचो बीच एक सेकड़ो वर्ष पुराने नाले को ही जादू से गायब कर दिया। और इस जादूगर ने करोड़ो का चढ़ावा लेकर उच्च न्यायालय को शपथ पत्र भी दे दिया। बताते है इस विस्टा कॉलोनी में एक एक मकान की कीमत कई करोड़ में है अंदाजा लगाइए इस जादूगर की जादूगरी का नजराना क्या मिला होगा।
फ्लॉप स्काई वॉक –
प्रदेश में पुल , पुलिया , नाली को तरसते लोगो के बीच राजधानी में बना स्काई वॉक लोगो को मुँहबाये चिढ़ाते हुए खड़ा है। सवाल यह है कि ऐसी मूर्खतापूर्ण सोच किसकी रही होगी ? बताते है उस समय के लोक निर्माण विभाग के सेक्रेटरी ने इस योजना को लाने के धरती पाताल एक कर दिया था तब जाके इस योजना को हरी झण्डी मिली थी। इस हरी झण्डी में सेक्रेटरी साहेब भी हरे भरे हो गए। सबको अपना अपना हिस्सा तो बंट गया मगर स्काई वॉक आज भी जंग खाता हुआ नशेड़ी और असामाजिक तत्वों के अय्यासी का अड्डा बना हुआ है। योजना फ्लॉप हो गई और वह सेक्रेटरी साहेब आज प्रदेश के रोल मॉडल है। उन्होंने सेवानिवृत्त के पहले फिर से स्काई वॉक का शिगूफा फिर छोड़ दिया है। सरकार की किरकिरी भी हो रही है मगर साहेब को क्या साहेब को पता है जानकारी वाला विभाग उनको मिलने से रहा कम से कम इस फ्लॉप योजना से राज्य का न सही व्यक्तिगत तो उद्धार हो ही जाना है।
किरदार बदलते है मगर नाटक जस का तस –
सत्ता और सियासत में जो चल रहा है उसको देखकर एक कहावत याद आती है किरदार बदल गए मगर नाटक वही पुराना चल रहा है।तत्कालीन सरकार ने जिस-जिस को उपकृत कर भ्रष्टाचार की गाथाएं लिखी आज वही नाटकीय लोग खुद को पुराना संघी भाजपाई पृष्ठभूमि का बताते हुए मेंन स्ट्रीम में जमे हुए है। वो भिलाई वाले साहेब जैसा चाहते है वैसा ही होता है। यकीन न हो तो खुद ही निहार लीजिए पुलिस महकमा , जंगल विभाग का प्रमुख , प्रशासनिक रोल मॉडल मुख्य सचिव , या किसी भी विभाग के प्रमुख को उठा लीजिए वही पुराने चावल ही नजर आएंगे। जबकिं होता यह है कि सरकार बदलती है तो सबसे पहले ब्यूरोक्रेसी के महत्वपूर्ण पदों में बदलाव होता है। मगर जब तक पुराने साहेब का इशारा न हो तब तक आज भी कोई चु से चा नही करता है। हालात देखकर कहना गलत नही है किरदार बदल गए नाटक वही पुराना चल रहा है।
माहेश्वरी का माहेश –
राज्य में अरुणोदय तो हुआ मगर माहेश्वरी का माहेश और बढ़ता चला गया। इतना कि इस माहेश्वरी को एक साल पहले मुख्यालय से हटाकर धुर नक्सल प्रभावित क्षेत्र सुकमा भेजा गया था। मगर इनके माहेश के आगे अरुणोदय क्या सभी नतमस्तक है। तब तो इस माहेश्वरी ने नक्सली विरोधी अभियान एवं पर्यवेक्षण संबधित तथा फोर्स मूवमेंट की मॉनिटरिंग जैसे संवेदनशील काम को छोड़ राजधानी , बलौदा बाजार में ही कुल्हा टिकाए बैठे रहते है। बताते है कि इस इसके लिए बाकायदा मौखिक आदेश दिया गया है। जिसका खामियाजा यह निकला कि एक नेक ईमानदार को शहीद होना पड़ गया। केंद्र सरकार भले ही नक्सल मुक्त होने का दावा करती रहे मगर हालात आज पहले से ज्यादा बेकाबू है। और यह माहेश्वरी लोगो को आईफोन बांट कर सबका चहेता बना हुआ है। अब तो अरुणोदय भी माहेश्वरी के माहेश के आगे घिघि बांधे खड़ा नजर आता है। तब भी और अब भी माहेश्वरी के माहेश बढ़ता ही जा रहा है।
अधिकारियों का पेट –
तत्कालीन सरकार ने राज्य में छोटे-छोटे जिले बना दिये है। प्रदेश के पहले मुखिया कभी नही चाहते थे उनका गृह क्षेत्र जिला बने शायद उनकी यह दूरदृष्टा थी कि आज जो हो रहा है उससे जिले की जनता भी त्राहिमाम कर रही है। जिला बना विकास तो हुआ नही लेकिन वसूली अपने चरम पर है कल तक जो काम 500 में हो जाता था आज उसी काम के लिए 5 से 10 हजार की वसूली हो रही है। पूछो तो कहते है जिला बन गया है रेट तो बढ़ना ही है। भूमाफियाओं की चांदी है बिना कॉलोनजिंग के बड़ी बड़ी कॉलोनी कट रही है राजस्व विभाग मोटी रकम लेकर शांत बैठा है वही कोई गरीब अपना आशियाना बनाना चाहे तो तहसीलदार साहेब खुद स्टे का आदेश लेकर पहुँच जाते है। एक दौर था जब इस क्षेत्र में ट्रेनी आईएएस को भेजा जाता था। मगर जाने किसकी नजर लग गई कि यह क्षेत्र लूप लाइन बनकर रह गया। सेवानिवृत्त होने वाले या प्रमोटी आईएएस ही जिले को चला रहे है। हालात देखकर सूबे के मुखिया तक को कहना पड़ गया था कि तीन ब्लॉक का जिला कलेक्टर से नही संभल रहा है अब कहा से संभले साहेब पेट ही इतना बड़ा है।
यक्ष प्रश्न –
1 – सीएस और पूर्णकालिक डीजीपी का सेलेक्शन क्या साथ साथ होने जा रहा है ?
2 – रमन के अमन क्या आज भी उतने ही पॉवरफुल है ?
3 – वो कौन से मंत्री जी हैं जिनके चेहरे से आजकल भारी तनाव झलक रहा है ?









