अफ़सर-ए-आ’ला (हर रविवार को सुशांत की कलम से)

अफ़सर-ए-आ’ला
(हर रविवार को सुशांत की कलम से)

तत्कालीन सरकार के तारे का रिटायरमेंट से पहले बड़ा खेला –
केंद्र सरकार ने डीजीपी पद के लिए प्रभारी डीजीपी और डीपीसी के लिए यूपीएससी को गलत जानकारी देने वालों अधिकारी हिमांशु गुप्ता को डीजीपी के लिए उपयुक्त उम्मीदवार माना है। जबकिं हिमांशु गुप्ता की 2/7/2024 को डीपीसी हुई थी तब विधिवत तरीके से इन्हें डिमोट होना था और 5/2/2025 को प्रमोट होना था। हिमांशु गुप्ता को डीजी पद के लिए आज पर्यंत तक विधिवत आदेश जारी नही किया गया है। इसके पीछे तत्कालीन सरकार के तारे मौजूदा मुख्य सचिव का बड़ा हाथ है। जिन्होंने दिल्ली स्क्रीनिंग कमेटी की बैठक में हिस्सा लिया और बिना ठोस कारण के पवन देव और जीपी सिंह का पत्ता काट दिया। यह ऐसे जादूगर अधिकारी है जिन्होंने कांग्रेस सरकार को मायाजाल में फंसाकर पहले कांग्रेस की नैय्या डुबाई अब जाते जाते भाजपा के शाख पर प्रश्न चिन्ह खड़ा कर दिया। जबकिं इन दोनों अधिकारियों का नाम पैनल में शुमार था। बताते है कि इसके पीछे तत्कालीन सरकार के मुखिया की अहम भूमिका रही है , जिन्होंने मुख्य सचिव को बाकायदा फोन करके जीपी सिंह के नाम हटाने को लेकर आदेशात्मक अंदाज में कहा था। एक तरफ पुलिस महकमा वैसे विवादों में घिरा है उसके बाद सिर्फ दो ही अधिकारी का नाम पैनल में भेजना यह बताता है कि भाजपा में अफसरशाही किस कदर हावी है , जो आज भी तत्कालीन मुखिया के इशारों में चल रही है। फ़िलहाल, केंद्र से मंजूरी मिलने के बाद प्रभारी डीजीपी अरुण देव गौतम को स्थाई डीजीपी के पद पर आसीन करने की तैयारी परवान चढ़ रही है। मगर जिस तरह जैन ने यह खेला खेला इससे सुशासन की सरकार में बड़ा सवालिया निशान उठ रहा है। बताते है उक्त षणयंत्र को लेकर मुख्य सचिव की शिकायत भी की गई है जिसपर एफआईआर किये जाने की मांग की गई है। अब देखना यह है कि एक सेवानिवृत्त होने वाले कांग्रेस के कार्यकर्ता रूपी इस अधिकारी पर क्या कार्रवाही की जाती है। या इसी तरह भाजपा किसी और पॉवरसेन्टर से ऑपरेट होती रहती है।

नाराज महिला नेत्री की खुशी और हकीकत –
हमने अपने पिछले एक कॉलम में आपको नाराज महिला नेत्री की नाराजगी के बारे में बताया था। उन्हें प्रसन्न करने के लिए सरकार को निगम मंडल की नियुक्तियों में फेरबदल करना पड़ा। सूची देखकर ऐसा लगा मानो सरकारी अफसरों की भांति तबादले हो गए। खैर , अब महिला नेत्री खुश हैं। राजहठ और नारीहठ दोनों की जय हो। इन्हें हाथों से काम करने वाले शिल्पियों के विकास की जिम्मेदारी दी गई है। मोहतरमा वर्तमान में आसमान में हैं । एक और पदभार ग्रहण में उनके तेवर देखकर बाकी अतिथि भी अप्रसन्न थे। आयोजकों से ज्यादा उनके इशारे मंच पर चल रहे थे। मेडम जी को समझना होगा कि अगर एकाध कांड भी हुआ तो फजीहत हो जाएगी क्योंकि जो पद मिला है वो पूरा खरीदी बिक्री का है।

आ बैल मुझे मार –
भारतीय जनता पार्टी की सरकार की छत्तीसगढ़ में चौथी पारी चल रही है। इस पारी में ये समझ से परे होता जा रहा है कि ऊटपटांग निर्णय कौन ले रहा है ? वक्तव्य किसे देना चाहिए और कौन दे रहा है ? नक्सल पुनर्वास पॉलिसी का गलत बयान चर्चा में आज भी है। एक बंद बोर्ड में महिला नेत्री की नियुक्ति भी विवादित हुई। अब बारी आ गई शनिवार की सरकारी छुट्टी खत्म करने की चर्चा की। ये मामला कहीं कागज में नजर नहीं आया मगर एक न्यूज़ चैनल और एक मंत्री जी के बयान जरूर आए। फिर पुलिस विभाग के मुखिया ने आदेश जारी कर दिया। आदेश पुलिस मुख्यालय के लिए था मगर कर्मचारी संगठन आने वाली आंधी को भांप गए और सीधा विरोध कर दिया। अगर शनिवार को कार्य दिवस फिर से बनाया गया तो ये मान के चलिए कि अगले चुनाव में ये सरकार खुद ही विपक्ष को जबरदस्त हथियार दे देगी। अगले सारे विधानसभा सत्र इसकी भेंट चढ़ जाएंगे। सवाल ये है कि हर तरफ सुशासन का झंडा फहराने वाली सरकार ये कैसे कबूल कर रही है कि शनिवार की छुट्टी के कारण उनका काम काज ठीक नहीं चल रहा है !!! है न मजेदार विरोधाभास। अनावश्यक ऐसे मामले को छेड़ने को कहते हैं आ बैल मुझे मार।

नए भारत मे राजमार्ग का अद्वितीय उपयोग –
हाल ही में मध्यप्रदेश के राष्ट्रीय राजमार्ग पर नीली फिल्म की तर्ज पर एक वीडियो वायरल हो गया। कथित तौर पर कार के नंबर,शक्ल और अन्य दृश्यों से मध्यप्रदेश के एक माननीय भाजपा नेताजी जी का नाम चर्चा में गया। वे गायब हैं और उनका फोन बंद बताया जा रहा है। राष्ट्रीय राजमार्ग का ऐसा भी इस्तेमाल हो सकता है किसी ने भी नहीं सोचा होगा। भई ऐसी क्या जल्दी और जरूरत आन पड़ी कि सर्किट हाउस ,दोस्तो के ठिकाने छोड़कर ये काम सड़क पर कर डाला। पाठकों को यकीन न हो तो यू ट्यूब पर देख लीजिए। कुछ दिन पहले एक मंत्री का सेना पर विवादित बयान देने का मामला तूल पकड़ा था। यह उस राज्य में हो रहा है जो “संघ संगठन” का गढ़ माना जाता है। क्या संघ संगठन ने ऐसे राज्य की कल्पना की थी क्या यही है नया भारत ?

जीएसटी की मनमानी से व्यापारी त्रस्त अधिकारी मस्त –
पैसे वाले विभाग के नौकरशाहों के तौर तरीके से सत्ता को तो नुकसान हो रहा है व्यापार और राजस्व की भी छति पहुँचाई जा रही है। जिसकी शिकायत भाजपा के ही एक नेता ने केंद्रीय नेतृत्व से शिकायत कर कार्रवाही की मांग पर राज्य शासन को कार्रवाही हेतु पत्र लिखा गया है। बताते है कार्रवाही के डर से इस विभाग के नौकरशाह हर तरीके से भाजपा नेता और उनके पुत्र की खुशामदीद में लगे हुए है। इस विभाग में एक ही नाम के दो अधिकारी है जो तत्कालीन सरकार और वर्तमान दोनों सरकार में जमकर मलाई खबोच रहे है। एक अधिकारी ने तो नेता के कोरबा वाले बंगले में बाकायदा वातानुकूलित मशीन लगवा आये है। और विभाग की शनिवार अवकाश के दिन मीटिंग बुलाकर सबको डांट डपट रहे है और पूछ रहे है कि कौन है जो विभाग की गोपनीय बाते मीडिया तक पहुँचा रहा है। यह वही साहेब है जो तत्कालीन सरकार में ईवेबिल का पूरा काम संभालते थे जिसकी वजह से एक आईएएस अधिकारी जेल में है। मगर इन दोनों अधिकारियों पर आंच तक नही आई। इसलिए यह अधिकारी भी मनबढ़ हो गए है। मंत्री जी जरा संभालिएगा इन नौकरशाहो को इनकी कारगुजारियों में कही आपके हाथ भी मैंले न हो जाये।

फार्च्यूनर की खबर से नाराज विधायक –
तीन नाम के जिले वाले विधानसभा के विधायक पिछले कॉलम में छपी खबर से बहुते नाराज हो गए है। नाराजगी इस कदर है कि अब विधायक जी कुछ भी उल जुलूल बातें करने लगे है। इस उल जुलूल बाते बतियाते हुए उनका एक और खेला सामने आ गया। विधायक जी ने वर्ष 2023-24 में मिलने वाली राहत राशि को अपने ही कार्यकर्ताओ और करीबी रिश्तेदारों और सरकारी मुलाजिमों तक को बांट दिया। बांटा वहाँ तक ठीक था लेकिन बताते है कि जिसको राशि दी गई उन सभी लोगो से कुछ राशि छोड़कर सारी राशि मंडल अध्यक्ष के जरिये विधायक जी तक पहुँचा दी गई। ठीक ऐसा ही 2024-25 में भी लगभग 8 लाख की राशि विधायक जी के अनुमोदन से उनके ही करीबी रिश्तेदार और कार्यकर्ताओ में बंटने की लिस्ट आ गई है हालांकि अभी तक चेक का वितरण नही हुआ है। चेक वितरण के बाद विधायक जी के कलेक्शन वाले कार्यकर्ता एक्टिव होंगे। जरूरी भी है फार्च्यूनर जैसी गाड़ी खरीदने के बाद उसका मेंटनेंस भी जरूरी है।

तीन ब्लॉक का जिला –
छत्तीसगढ़ का 28वां जिला, जो कभी अपनी प्राकृतिक सुंदरता और स्वास्थ्य सेवाओं के लिए पहचाना जाता था, आज बदहाल व्यवस्था का शिकार हो चुका है। बीते दिनों मुख्यमंत्री साय समाधान शिविर में इस जिले में पहुंचे, तो उन्हें जमीनी हकीकत देख खुद तल्ख लहजे में कहना पड़ा कि “कलेक्टर से तीन ब्लॉक का जिला तक नहीं संभल रहा है।” मुख्यमंत्री ने इन तीनों ब्लॉकों का विस्तार से दौरा नहीं किया, वरना नाराजगी से आगे बढ़कर सख्त कार्रवाई करनी पड़ जाती। कभी स्वास्थ्य के क्षेत्र में देशभर में मिसाल कायम करने वाला यह जिला अब स्वास्थ्य सुविधाओं के अभाव में कराह रहा है। अस्पताल खुद मरीज बन गया है ,जिले में ऑक्सीजन प्लांट तो है, मगर वह अनुपयोगी साबित हो रहा है। अस्पतालों में अत्याधुनिक मशीनें मौजूद हैं, लेकिन वे धूल फांक रही हैं। जिला अस्पताल की स्थिति इतनी खराब है कि वहां पहुंचते ही लगता है कि खुद अस्पताल को ही इलाज की जरूरत है। गंदगी का आलम यह है कि मरीज इलाज से पहले संक्रमण के खतरे से घिर जाते हैं। शिक्षा के क्षेत्र में कभी अग्रणी रहने वाला यह जिला आज आखिरी पायदान पर आ पहुंचा है। स्कूलों की हालत जर्जर है, शिक्षकों की भारी कमी है और विद्यार्थियों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है। सड़कें बन भी रही हैं और साथ ही उखड़ भी रही हैं। गौरेला-जालेश्वर मार्ग इसका जीता-जागता उदाहरण है, जहां सड़क निर्माण के नाम पर दुर्गति की गई है। आधी सड़कें खुदी पड़ी हैं तो कहीं निर्माण अधूरा छोड़ दिया गया है। बहरहाल सीएम की तल्खी के बाद उम्मीद है कि कही कुछ सुधार हो। बता दे कि यहाँ की कलेक्टर सुप्रीम कोर्ट से स्टे वाली है तो कितना समझती है या कितना सुधार करती है यह तो वक़्त ही बताएगा।

यक्ष प्रश्न
1 . छत्तीसगढ़ के किस जिले की दो सबसे बड़ी महिला अफसर नियम की हद पारकर हठधर्मी मानी जाने लगी हैं ?
2 . पुलिस महकमे को पीछे से प्रकाश दिखाकर चलाने वाले की बात सत्य है क्या ?

3 . ऐसे कौन से मंत्री महोदय हैं जिनसे मिलने पुलिस विभाग के अधिकारी गए फोटो लेने की इच्छा पर मंत्री महोदय ने मोबाइल को नाली में डाल देने की बात कह दी इन साहेब को अभी भी ब्यूरोक्रेट से नेता बनने में देर है ?

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