महिला बाल विकास संचनालय ICDS शाखा के अधिकारियों की कमाई का नायाब तरीका , पुताई लिपाई के नाम पर करोड़ो का बंदरबांट ,
33 जिलों के लिए 11 करोड़ से ज्यादा की राशि का खेल ,
रायपुर : – अपने विवादित कारनामो और घृणित कृत्यों में सुर्खियां बटोरने वाला महिला बाल विकास विभाग के संचालनालय में अभी तालाबंदी वाला मामला ठंडा भी नही हुआ था कि महिला बाल विकास संचनालय ने मई 2023 में जारी एक तुगलकी फरमान ने एक नए विवाद को जन्म दे दिया है जबकिं महिला बाल विकास जनकल्याणकारी सेवाप्रदाता विभाग है , जहाँ से जन जन को सुविधाएं पहुँचाने की जवाबदेही में इस विभाग की अहम भूमिका होती है मगर वर्षों से संचनालय में अंगद की तरह जमे कमीशन के प्रति परम आस्था रखने वाले अधिकारियों और कर्मचारियों की वजह से आज पूरे संचनालय की किरकिरी हो रही है, मगर जिम्मेदार कुम्भकर्णीय नींद में है .
33 जिलों में पुताई के लिए करोड़ों की राशि आबंटित : –
राज्य के 33 जिलों में 39815 आंगनबाडी केंद्र स्वीकृत है जिसमे 24 लाख से अधिक हितग्राही एकिकृत बाल विकास परियोजनाओ की सेवाओं से लाभान्वित हो रहे है इन 39815 आंगनबाड़ी केंद्रों की पुताई के लिए केंद्र सरकार ने एक भवन के लिए 3 हजार की राशि की स्वीकृति प्रदान की है जहाँ हर एक जिले में कार्यक्रम अधिकारियों को 39815 केंद्रों के हिसाब से 11 करोड़ चौरानवे लाख पैंतालीस हजार रुपये का आबंटन प्रदाय किया गया है . यह आदेश 24/5/2023 को जारी किया गया था जिसको जारी हुए आठ माह से ज्यादा समय बीत चुका है ।
द्विभाषी भ्रामक आदेश : –
संचनालय द्वारा जारी आदेश पत्र क्रमांक 1671 दिनांक 24/5/2023 प्रथम दृष्टया विरोधाभाषी भ्रामक आदेश अधिकारियों की कमीशनखोरी की मंशा को स्पष्ट करता है इस आदेश में अलग अलग तरीके से विरोधाभाषी नियम एवं शर्ते उल्लेखित है आदेश के पहले बिंदु में लिखा है कि आगनबाड़ी केंद्रों के संधारण / पुताई हेतु जिला कार्यक्रम अधिकारियो को कुल 11,94,45000 का आबंटन प्रदाय किया जाता है वही इसी आदेश के 7 वे बिंदु में बताया गया कि इस राशि का उपयोग 90 दिवस के भीतर पूर्ण करना अनिवार्य है जबकिं आदेश जारी हुए 9 माह बीत चुके है मगर कार्य अब तक पूर्ण नही कराया गया साथ ही आदेश में लिखा है पीएफएमएस पोर्टल पर राशि पार्क नही की जा रही है कार्य पूर्ण होने के उपरांत प्रमाण पत्र प्रेषित करने की दशा में राशि का आबंटन डीपीओ अथवा सीपीडीओ को दिया जाएगा स्पष्ट है कि मई 2023 मैं आवंटन जारी ही नहीं किया गया किंतु बिना आवंटन के काम कराने के निर्देश दिए गए जो भंडार क्रय नियमो एवं वित्त नियमो के पालन का उलंघन हैं कार्य के लिए अग्रिम राशि प्रदाय नही किया जाएगा . इस तरह आईसीडीएस के अपने ही आदेश इनको मुँहबाये चिढ़ाता हुआ प्रतीत हो रहा है एक तरफ तो आदेश कहता है कि आबंटन प्रदाय किया जाता है वही दूसरी ओर कहता है कि कार्य पूर्ण होने के बाद प्रमाण पत्र प्रेषित करना होगा इस तरह द्विभाषी कूटरचित आदेश यही बतलाता है कि आईसीडीएस करोड़ो की राशि का बंदरबांट करने के फिराक में है .
पढ़िए इस आदेश को : –
आदेश के 9 माह बाद भी कार्य की समीक्षा नही : –
आदेश में 90 दिनों में कार्य पूर्ण किये जाने की अनिवार्यता थी मगर आज 9 माह बाद भी उक्त कार्यो की समीक्षा नही की गई कि किन जिलों के कितना कार्य कराया जा चुका है सूत्र बताते उक्त राशि कुछ ही जिलों के कार्यक्रम अधिकारियों जो को जारी की गई है अन्य जिलों की अगर बात करे तो कही पर भी कार्य की शुरुआत भी नही की गई बिना कार्य कराए ही ऊपर ही ऊपर राशि का बंदरबांट का खेल शुरू हो गया है आज से 10 दिन बाद पिछला वित्तीय वर्ष समाप्त हो जाएगा और राशि लैप्स हो जाएगी इसी को देखते हुए आईसीडीएस द्वारा बिना कार्यो की समीक्षा किये ही कुछ कुछ जिलों में राशि देकर अन्य जिलों की फ़ोटो मंगाकर करोड़ो की राशि का बंदरबांट करने में लगे है .
देखे किस जिले को मिली कितनी राशि : –
मामले में उच्चाधिकारी भी चुप्पी साधे हुए है और गुपचुप तरीके से केंद्र सरकार द्वारा जारी राशि की हेराफेरी में लगे है जबकि प्रदेश में भाजपा की सुशासन वाली सरकार बन चुकी है मगर दशकों से एक ही जगह जमे अधिकारी सरकार की छवि धूमिल करने के घृणित प्रयास में लगे है जबकि महिला एवं बाल विकास विभाग जनहित और जनकल्याणकारी विभाग है उसके बाद भी इस विभाग के अधिकारी खुद का कल्याण करने में लगे हुए है भटगांव से निर्वाचित विधायक जो पहली बार इस विभाग की मंत्री बनी है उनको भी दिग्भ्रमित किया गया है .
उक्त गंभीर और केंद्र सरकार की योजनाओं के पलीता लगाने वाला यह विभाग भ्रष्टाचार का केंद्र बन चुका है ऐसे में जरूरी है कि मामले की निष्पक्ष उच्च स्तरीय जांच कराई जाए कि किन किन जिलों के कितने आंगनबाड़ी केंद्रों में पुताई का कार्य कराया गया है या नही उक्त गंभीर मामले में अगर सूक्ष्मता से जांच हुई तो इस विभाग के कई अधिकारी नप जाएंगे अब देखना यह है कि महिला बाल विकास विभाग इस गंभीर मामले में क्या कार्रवाही करता है या इसी तरह अधिकारियों को खुली छूट देता है कि वह केंद्र सरकार की योजनाओं और राशि का दुरुपयोग करते रहे .