किसके सर पर होगी ताजपोशी कौन होगा कोटा का सरताज , टूटेगा 7 दशक का रिकार्ड या कांग्रेस फिर करेगी वापसी , तीसरी पार्टी का क्या है कोटा में वजूद ,
आइये जानते है कोटा का सियासी समीकरण
समीक्षा
कोटा : – कोटा के मतदाताओं ने अपना मत देकर जनादेश EVM में कैद कर दिया है नतीजे के लिए सभी को तीन दिसंबर का बेसब्री से इंतजार है नतीजों के पहले कई कयास लगाए जा रहे है आखिर कौन होगा कोटा का सरताज किसके सर पर इस बार होगी कोटा की ताजपोशी 7 दशक यानि 70 सालों का रिकार्ड टूटेगा या कांग्रेस फिर से अपने इस अभेद किले को वापस ले पाएगी जनता जोगी कांग्रेस अजित जोगी की नामौजूदगी में क्या रंग खिलाएगी यह तो भविष्य की गर्त में है लेकिन नतीजे के पहले हमने कोटा के सियासी समीकरण को समझने की कोशिश की है
यह समीक्षा कोटा क्षेत्र के मतदाताओं की राय और कोटा के इतिहास और आकड़ो पर तैयार की गई है
कोटा का इतिहास : –
कोटा के राजनेतिक इतिहास की अगर बात की जाए तो कोटा 1952 की विधानसभा सीट है आजादी के बाद से लेकर 2013 के चुनाव तक यह सीट कांग्रेस का अभेद गढ़ रही है इस सीट से देश के राजनीति अखाड़े के कई प्रबुद्ध लोगो ने कोटा का प्रतिनिधित्व किया है
2013 तक कोटा में कांग्रेस के अलावा अन्य पार्टी का विधायक निर्वाचित होकर नही आया जिसका दम्भ भरते हुए कांग्रेस यह बताती है कि यह उनका अभेद किला है मगर इस दम्भ को 2018 के चुनाव में स्व. अजित जोगी की पत्नी श्रीमती रेनू जोगी ने कांग्रेस को तीसरे पायदान में पछाड़ते हुए बताया कि सियासत में कोई भी चीज अटल नही होती भाग्य प्रबल हो तो कोई भी चक्रव्यूह भेदा जा सकता है इसी तर्ज पर 2023 का विधानसभा चुनाव के मतदान हो चुके है EVM का ताला 3 दिसंबर खुलेगा और इस ताले की चाभी किसके हाथ आएगी इसका फैसला आज से कुछ दिन बाद तय हो जाएगा .
एक नजर चुनावी आकड़ो पर : –
कोटा विधानसभा में 2018 में कुल मतदाताओं की संख्या 1 लाख 98 हजार थी तब जेसीसीजे ने 48800 मत पाकर विजयी हुई वही 2023 में मतदाताओं की संख्या बढ़कर 2 लाख 18 हजार हो गई वही कुल मतदान 1 लाख 64 हजार 425 हुए
कोटा विधानसभा में कुल 264 बूथ आते है जिसमे 64 बूथ अरपा के इस पार जिला जीपीएम की सीमा में है वही 200 बूथ बिलासपुर जिले की सीमा में आते है बात करे जीपीएम जिले के पेण्ड्रा नगर पालिका में 11 बूथ है तो वही गौरेला में 53 बूथ है जीपीएम जिले में मतदाताओं की संख्या 53,575 है जिसमे कुल मतदान 39,386 हुए पेन्ड्रा के 11 बूथों में कुल मतदान 7300 हुए वही गौरेला से मतदान के आंकड़े 32086 हुए
बिलासपुर जिले के कोटा में 200 बूथों की अगर बात करे तो 200 बूथों में 1 लाख 24 हजार 614 मतदान हुए जहाँ शहरी और ग्रामीण क्षेत्रो के मतदाता शामिल है
2018 के चुनाव में आम आदमी पार्टी , गोंडवाना गड़तंत्र पार्टी समेत अन्य पार्टियों ने और निर्दलीय उम्मीदवार समेत नोटा में लगभग 21 हजार मतदान हुए थे जो 2023 में और भी बढ़त बनाते हुए दिखलाई पड़ते है
कोटा का सियासी मिजाज : –
कोटा के सियासी मिजाज को अगर समझने की कोशिश करे तो भले ही यहाँ से कांग्रेस जीतती आई लेकिन भाजपा के अपने कैडर वोट जो है वह कम नही हुए . वही 2018 के चुनाव में जब मामला त्रिकोणीय संघर्ष था तब भी भाजपा के कैडर वोट कम नही हुए जबकिं कांग्रेस तीसरे स्थान पर पहुँच कर 30 हजार 803 के आंकड़े में सिमट गई वही भाजपा 45 हजार 774 मत पाकर दूसरे स्थान पर थी जेसीसीजे ने 48800 मत पाकर 2018 के चुनाव में फतह हासिल कर ली ऐसे में कांग्रेस की परंपरागत सीट से इतना कम मतदान यह तो बताता है कि कांग्रेस के लगभग 30 हजार मतदाता है जो कांग्रेस के कैडर वोट है वही लगभग 45 हजार मतदाता भाजपा के है तो जेसीसीजे के मतदाता जो है वही अजित प्रमोद जोगी की व्यक्तिगत कहिए या उनके वर्चस्व के कारण रहे है 2023 के इस चुनाव में अजित जोगी इस दुनिया मे नही है वही रेणु जोगी जो स्वास्थ्य गत कारणों से क्षेत्र से लंबे समय तक दूर थी मतलब मेडम जोगी का वोट स्प्लिट होने की संभावना है वह वोट किस पार्टी में स्प्लिट
होता है यह तो कुछ ही दिनों में क्लीयर हो जाएगा मगर चर्चाओं की अगर बात करे तो मेडम जोगी का वोट कांग्रेस को ही सेंध लगाता हुआ दिखलाई पड़ता है .
वही आम आदमी पार्टी के वोट बैंक इस बार बढ़ने की संभावना दिखलाई पड़ती है वह भी कांग्रेस या मेडम जोगी के वोट को ही सेंध लगा रहे है ऐसे में मेडम जोगी का वोट ही निर्णायक होगा कि जीत किसकी होती है
मेडम जोगी और आम आदमी पार्टी की बढ़त कही न कही कांग्रेस के लिए चिंता का सबब बनी हुई है .
आकड़ो के हिसाब से भाजपा , कांग्रेस , जेसीसीजे अन्य को कितना मिलेगा मतदान –
यह तो हुई आकड़ो की बात इन आकड़ो की गहराई से मंथन करे तो काफी चीजे स्पष्ट नजर आती है चूंकि इस बार मतदाताओ में पहले से ज्यादा जागरूकता दिखाई दी जहाँ महिलाओं ने बढ़ चढ़कर लोकतंत्र के इस पर्व में हिस्सेदारी ली है . नए युवाओं में जमकर उत्साह था जो पहली बार मतदान करने पहुँचे थे यह युवा और महिलाओं का वोट किस तरफ जा रहा है यह भी समझने की जरूरत है .
बात करे सत्तादल की तो सत्तादल में हुए भीतरघात और क्षेत्रीय बॉडी को लेकर आमजन में खासा नाराजगी रही जो कांग्रेस को खासा नुकसान पहुँचा रही है जिसका परिणाम देखने को मिला कि कांग्रेस के ही पुराने कद्दावर नेताओ ने भी प्रत्यासी चयन और लोकल बॉडी (जेसीसीजे से कांग्रेस में आये लोग) के बाद खुद को कोटा से किनारे कर लिया था और जो मजबूरी में लगे थे वह भी कांग्रेस के लिए बड़ी खाई बनाने में कोई कोर कसर नही छोड़े है जो कांग्रेस पहले इस अभेद किले को बचाने के लिए चुनाव लड़ती थी वही कांग्रेस 2023 के चुनाव में कांग्रेस को ही सेंध लगाई है अब यह नाराजगी सत्ता से थी या प्रत्यासी चयन को लेकर यह तो कांग्रेसी ही जानते होंगे मगर इस बात में कोई अतिसंयोक्ति नही है 2023 के परिणाम में कांग्रेस का यह अभेद किला ध्वस्त होता नजर आता है परंपरागत वोट के बाद कांग्रेस लगभग 48 से 50 हजार तक पहुँचने की संभावना है .
बात करे भारतीय जनता पार्टी की जो पहली बार जनता और लोगो मे भाजपा के लिए खासा उत्साह देखने को मिला जो यह बताने के लिए काफी थी कि जनता इस बार कोटा में परिवर्तन चाहती है यह युवाओं का वोट और महिलाओ का उत्साह कही न कही भाजपा की ओर झुकता हुआ नजर आया
भाजपा एक नई रणनीति की तहत कार्य करते हुए पूरे कोटा विधानसभा में A टीम के आगे अपनी B टीम खड़ी कर दी जहाँ A और B टीम में कही भी भीतरघात जैसी स्थिति निर्मित नही हुई जिसका फायदा भाजपा को होता हुआ दिखलाई पड़ता है भाजपा का कोटा विधानसभा में अपना एक बड़ा कैडर वोट भी रहा है जो पुराने कई विधानसभा के आकड़ो को देखे तो कम नही हुआ इस बार यह कैडर वोट समेत कांग्रेस के भी वोट भाजपा में स्पिलिट होते हुए नजर आ रहे है यह कांग्रेस के वोट स्प्लिट का कारण कांग्रेस की लोकल बॉडी है जिसका खामियाजा अटल श्रीवास्तव को उठाना पड़ सकता है
भाजपा अपने 45 हजार कैडर वोट के आंकड़े से बढ़त बनाती हुई लगभग 60 से 62 हजार तक के आंकड़े को छूती हुई नजर आती है .
जेसीसीजे जो इस चुनाव की निर्णायक भूमिका अदा कर रही है पुरे चुनाव में ऐसा कोई भी मौका नजर नही आया जब जेसीसीजे को कमतर आंका जाए मेडम जोगी लगातार 17 साल से कोटा विधानसभा का प्रतिनिधित्व कर रही है जो अपने स्वस्थगत कारणों से लंबे समय तक कोटा से दूर थी मगर कोटा की जनता उन्हें ममतामयी माँ के रूप में ही जानती है छत्तीसगढ़ के 90 विधानसभा में सबसे साफ , सरल और सौम्य छवि जिनको लेकर क्षेत्र का दौरा न करने के अलावा किसी अन्य तरह का आरोप तो नही लगाया जा सकता है ऐसे में कांग्रेस उन्हें लगभग 10 हजार के नीचे के आंकड़े में देखना चाहती है जो नामुमकिन जैसा दिखलाई पड़ता है किसी भी स्थिति में श्रीमती रेणु जोगी इस चुनाव में कम से कम की स्थिति में 28 से 30 हजार या इससे भी ज्यादा जाने की संभावना है अगर यह आंकड़ा और बढ़ता है तो कांग्रेस का आंकड़ा घटता चला जायेगा .
आकड़ों के हिसाब से देखे तो
कांग्रेस – 48 से 50 हजार तक
भाजपा – 60 से 62 हजार तक
जेसीसीजे – 28 से 30 हजार तक
अन्य दल नोटा समेत – लगभग 25 हजार