दशकों से अंगद की तरह पांव टिकाए बैठे है महिला बाल विकास विभाग के अधिकारी , चल रही भर्राशाही ,

दशकों से अंगद की तरह पांव टिकाए बैठे है महिला बाल विकास विभाग के अधिकारी , चल रही भर्राशाही ,
रायपुर : – महिला बाल विकास विभाग भर्राशाही का गढ़ बन चुका है जहाँ राज्य गठन के बाद से लेकर अब तक कुछ चुनिंदा अफसर ही अपनी तूती चला रहे है . इस विभाग में अंगद की तरह अपना पांव जमा कुछ अफसर जिनके इशारों में ही पूरा महिला बाल विकास विभाग संचालित होता है यह अफसर न किसी की सुनते है न ही इनके आगे किसी और कि चलती है . इसकी बानगी देखने को मिली कि संचनालय के स्थापना शाखा प्रभारी खुल्लम खुल्ला दादागिरी करते हुए बिना किसी पूर्व सूचना के संचनालय का गेट बंद कर तालाबंदी करते हुए नजर आए . जबकिं यह सिविल सेवा आचरण का खुला उल्लघंन है . तबादला नीति के तहत 3 साल में अधिकारियों की ट्रांसफर पोस्टिंग किया जाना चाहिए मगर कुछ अधिकारी ऐसे है कि एक बार अपना पांव टिका दिए तो आज तक टस से मस तक नही हुए .
महिला एवं बाल विकास विभाग अंतर्गत संचालित आंगनवाडी केन्द्रो में पोषण आहार तक मे खेल : –
भारत सरकार द्वारा निर्धारित नवीन मापदण्ड अनुसार राज्य सरकार द्वारा आंगनवाडी केन्द्रों में 06 माह से 06 वर्ष तक के बच्चों एवं गर्भवती/स्त्री माताओं अतिकम वजन के बच्चों को प्रति हितग्राही प्रतिदिन पूरक पोषण आहार दिये जाने का प्रावधान है लेकिन राज्य गठन से लेकर आज पर्यन्त तक आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं से लेकर पोषण आहार एवं सप्लाई वितरण में जमकर खेल खेला गया दुधमुँहे बच्चो को मिलने वाले पोषण आहार पर भी इन भ्रष्ट अधिकारियों ने डाका डालते हुए सिर्फ अपनी ही जेबे गर्म की है . कोरोना काल के समय की अगर जांच कराई जाए तो यह स्पष्ट होगा कि पोषण आहार के नाम पर किस कदर शासन को चुना लगाया गया है .
अंगद के पांव की तरह दशकों से एक ही जगह जमे है अधिकारी : –
बीते दो दशक से महिला बाल विकास विभाग के अधिकारियों का तबादला नही किया गया है जिसका खामियाजा अब महिला बाल विकास विभाग में दिखलाई पड़ने लगा है . इन अफसरो ने महिला बाल में इस कदर पैठ जमाई हुई है कि कोई भी काम हो सभी कामो में बराबर सेटिंग की जाती है . बताते चले कि यहाँ उपसंचालक की सहायक संचालक नही सुनता न बड़े बाबुओं की सहायक ग्रेड वाले कर्मचारी सुनते अब अंगद के पांव टिकाए अफसरो की वजह से पूरे महिला बाल विकास विभाग की मिट्टी पलीत न हो तो क्या हो . इन अफसरो की तूती का आलम इस कदर हावी है कि इनकी बातों को न मानने वाले जमकर प्रताड़ित होते है . इस विभाग में आइएएस भी पदस्थ है मगर जो भी आईएएस आता है वह इनका और इनके कारनामो का मुरीद हो जाता है और मिलकर अपनी जेबें भरने में मस्त हो जाते है अब सैया भये कोतवाल तो डर काहे का इसी तर्ज पर ऊपर नीचे सभी अपनी कमाई में लग जाते है .
कौन है वो अफसर जो दशकों से चला रहे महिला बाल विकास : –
देखा जाए तो पूरा महिला बाल विकास ही भर्राशाही का अड्डा बन चुका है जिसका बड़ा कारण है अधिकारियों का लंबे समय से तबादला न होना जो दशकों से एक ही जगह पदस्थ है जिसमे अर्चना राणा सेठ जो संयुक्त संचालक है , क्रिस्टीना लाल सयुंक्त संचालक , सुनील शर्मा उपसंचालक , रामजतन कुशवाहा उपसंचालक यह वही उपसंचालक है जिन्होंने बीते दिनों संचनालय में तालाबंदी का माहौल बना दिया था और इनके द्वारा ही नियमो को ताक में रखते हुए सुपरवाइजरो की पोस्टिंग कर दी गई थी . स्थापना शाखा इनके हाथों की कठपुतली है यह जिसे चाहे उसे लाभान्वित करे या जिसे चाहेगे वही सुपरवाइजर बन जायेगा क्योंकि सुपरवाइजर की किताब भी यही छापते है और सुपरवाइजर परीक्षा पेपर भी यही सेट करते है . सुपरवाइजर की पोस्ट के लिए जो मोटी रकम लेकर इनतक आएगा उसे सुपरवाइजर की पोस्ट मिल जाएगी .
महत्वपूर्ण बात यह है कि महिला बाल विकास की सचिव और संचालक दोनों महिलाएं है जिसको यह अधिकारी अपने हिसाब से ही चलाने का कार्य करते है .
लोकसभा में पड़ेगा इसका असर : –
आगामी लोकसभा चुनाव में इसका खासा असर पड़ने वाला है चूंकि छत्तीसगढ़ की महतारियो ने ही भाजपा को इतना बड़ा जनाधार देकर सत्ता में बैठाया है . मगर इन अधिकारियों की वजह से जिस तरह विभाग बदनाम हो रहा है यह लोकसभा चुनाव में भाजपा के लिए घातक है . मोदी की गारंटी वाली भाजपा सरकार ने महतारी वंदन योजना अन्तर्गत महिलाओं को खाते में हर माह एक हजार रुपये डालने की बात कही थी जिसके फॉर्म भी भरवाए जा रहे है इन अधिकारियों ने प्रदेश की महिलाओं को इस कदर गुमराह किया कि महिलाएं रात के दो – दो बजे से बैंकों के सामने लाइन लगा के बैठी हुई है जबकि इन अधिकारियों को महिलाओं को सरकार का भरोषा दिलाना था ताकि यह महिलाएं KYC के लिए रोजाना चक्कर न काटे मगर सरकार की छवि धूमिल हो इसके लिए इन अधिकारियों ने महिलाओं को ही मोहरा इतना बड़ा खेल खेल दिया .
सरकार को चाहिए कि जिस तरह कल EOW और ACB में थोक के भाव में तबादले और नई पोस्टिंग की गई उसी तर्ज पर महिला एवं बाल विकास विभाग में भी दशकों से जमे इन अफसरो की तबादला सूची जारी करनी चाहिए ताकि महिला बाल विकास जो डारेक्ट महिलाओं और आम जनता से जुड़ता है उनका भरोषा कायम हो सके अगर स्थितियां नही बदली गई तो यह निश्चित है इसका भारी नुकसान भाजपा को लोकसभा में उठाना पड़ेगा .