जिले में पर्याप्त उर्वरकों का भण्डारण- वितरण कार्य प्रगति पर

00 डीएपी के स्थान पर वैकल्पिक खाद की व्यवस्था
00 निगरानी हेतु नियंत्रण कक्ष स्थापित
00 किसान भाई मो.न. 9907109662 पर कर सकते है शिकायत
रायपुर। जिले में मानसून सक्रिय होने के पश्चात् से खरीफ कृषि कार्य में तेजी आई है तथा बुआई हेतु मौसम अनुकुल होने से कृषक भाई खरीफ फसल बुआई कार्य कर रहे हैं। कृषकों की मांग अनुसार उर्वरकों का प्राथमिक सहकारी समितियों एवं निजी प्रतिष्ठानों में भण्डारण एवं वितरण किया जा रहा है।
मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय के निर्देशों के अनुरूप जिला प्रशासन द्वारा कृषकों की मांग अनुसार सहकारी समितियों में खाद व बीज की पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित की गई है। उप संचालक कृषि ने बताया कि जिले में उर्वरक यूरिया-27600 मि.टन, सिंगल सुपर फास्फेट-18310 मि.टन, पोटाश-5700 मि.टन, डी.ए.पी.-5267 मि.टन, 12:32:16-3666 मि.टन व अन्य 17484 मि.टन कुल 78027 मि.टन का लक्ष्य के विरूद्ध यूरिया-20729 मि.टन, सिंगल सुपर फास्फेट-14253 मि.टन, पोटाश-5293 मि.टन, डी.ए.पी.-7085 मि.टन, 12:32:16-1002 मि.टन व अन्य 4877 मि.टन कुल 53238 मि.टन का भण्डारण कर यूरिया-17640 मि.टन, सिंगल सुपर फास्फेट-8646 मि.टन, पोटाश-3985 मि.टन, डी.ए.पी.-6646 मि.टन, 12:32:16-386 मि.टन व अन्य 4649 मि.टन कुल 41950 मि.टन अद्यतन वितरण प्राथमिक सहकारी समितियों एवं निजी प्रतिष्ठानों के माध्यम से कृषकों को किया गया है।
वैश्विक समस्या के कारण गतवर्ष की तुलना में इस वर्ष डी.ए.पी. उर्वरक वितरण का कम लक्ष्य आबंटित किये जाने के फलस्वरूप कृषकों को डी.ए.पी. की जगह अन्य वैकल्पिक उर्वरकों का उपयोग करने हेतु व्यापक समझाईश एवं प्रचार-प्रसार किया जा रहा है। फास्फोरस एवं पोटेशियम उर्वरक का उपयोग मुख्यत: बुआई के समय किया जाता है। लगातार डी.ए.पी. का उपयोग करने पर मृदा की अम्लीयता में वृद्धि होने से लम्बी अवधि में फसल उत्पादन पर विपरीत प्रभाव भी पड़ता है। इसके विपरीत डी.ए.पी.के के स्थान पर सिंगल सुपर फास्फेट के उपयोग से फास्फोरस के साथ सूक्ष्म तत्व सल्फर, कैल्सियम जिंक जैसे पोषक तत्व होते है, जो पौधों के विकास के लिए आवश्यक है। वर्तमान में जिले के प्राथमिक सहकारी समितियों एवं निजी प्रतिष्ठानों में यूरिया-2742 मि.टन, सिंगल सुपर फास्फेट-2210 मि.टन, पोटाश-1079 मि.टन, डी.ए.पी.-432 मि.टन, 12:32:16-616 मि.टन व अन्य 233 मि.टन कुल 7313 मि.टन उर्वरक शेष है। कृषक आवश्यकतानुरूप खाद का उठाव अपने निकटस्थ सहकारी समितियों/निजी प्रतिष्ठानों से कर सकते है। जिले में उर्वरक की कालाबाजारी, मुनाफाखोरी, अधिक दर पर विक्रय इत्यादि की निगरानी हेतु नियंत्रण कक्ष स्थापित किया गया है। कृषकों को इस संबंध में किसी भी प्रकार की शिकायत होने पर निगरानी दल के सदस्य के मोबाईल नंबर-9907109662 पर कर सकते है। विभाग द्वारा समस्त मैदानी अमलों को कृषकों की आवश्यकतानुरूप डी.ए.पी. के स्थान पर अन्य वैकल्पिक उर्वरकों के समूहों को व्यापक रूप से प्रसारित किया जा रहा है। ऐसे में कृषक बधुओं से अपील की गई है कि वे वर्तमान में ज्यादा से ज्यादा यूरिया, सिंगल सुपर फास्फेट, म्यूरेट ऑफ पोटाश का उपयोग इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय की अनुशंसानुसार करें।

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