किस्से सियासत के कुछ कही अनसुनी बातें ,

किस्से सियासत के कुछ कही अनसुनी बातें
रायपुर : – सियासत के किस्से जहाँ कुछ कही अनसुनी और बोली बातें जो सिर्फ सियासी भीतरखाने में तैरती है मगर जब बातें भीतरखाने से बाहर आने लग जाये तो मुश्किलें बढ़ जाती है छुपते छुपाते अफवाहें कब हकीकत की रूप धारण कर लेती है यह समझ से परे हो जाता है वर्तमान सरकार भी इसी कश्मकश में है जहाँ छुप्पन छुपाई की बातें अब बाजारों में आने लगी है हालांकि सत्ता में मदमस्त सियासतदानों को अभी यह बात भले ही समझ न आये मगर आगामी चुनावों के परिणाम सारी वस्तिस्तिथि को बयां जरूर करेगी
रात के दूसरे पहर में आई लिस्ट : –
बीते दिनों रात के दूसरे पहर में गृह मंत्रालय से एक लिस्ट जारी हुई दिन में जो लिस्ट बनी वह रात के अंधेरे में शायद अदला बदली हो गई अब चूंकि रात का वक़्त था लोग गहरी नींद में थे तब किसी का शायद ध्यान नही गया मगर सुबह के सूरज के साथ लिस्ट को लेकर पारा गरमाने लगा जबकिं अभी ठीक से गर्मी का मौसम भी नही आया मगर तपिश ऐसी मानो नवपता आ गया हो . लिस्ट किसने बनाई किसकी सूझबूझ थी यह तो बनाने वाले जानते होंगे मगर सूत्र बताते है एक एक जिले के लिए टिक लगाकर अटैची मंगवाई गई यह अटैची शब्द पुराना है अब तो ब्रीफकेश का जमाना आ गया है .
पांच साल वाले तो बिचारे पर्स में ही अपना गुजारा भत्ता चला रहे थे वह बिचारे ब्रीफकेश कहा से लाते सो हुआ वही जिसके हाथ ब्रीफकेश वही बादशाह बन गया अब भला ब्रीफकेश हाथ मे कौन ले इसके लिए बचपन का वो दोस्त काम आया जो चड्डी से लेकर क्रीज वाली शर्ट पहनने तक का सफर देखा हो वह विश्वशनीय दोस्त ब्रीफकेश रखकर टिक लगाने का जिम्मा लिया अब जो भी काम हो ट्रांसफर पोस्टिंग इसी दोस्त से बात करके ही हो सकता था जिसको दोस्त का पता था वह दोस्त से मिलकर काम करवा लिया मगर जो नही जानता वह हाथ मलता रह गया .
राजधानी के किस्से भी अजीब : –
सूबे की राजधानी आने के लिए करोड़ो रूपये लग गए अब इसकी भरपाई भी करनी है तो हुआ यु कि एक हादसा राजधानी में हो गया गोली चली गोली की गूंज इतनी तेज आई कि लगा इससे ब्रीफकेश का एक छोर तो भर ही जाएगा सो शुरू हुआ खेल पैदल अपराधी को घुमाया गया आमजन को लगा अब अब प्रशासन दुरुस्त हो गया है कार्रवाही हो रही है मगर कार्रवाही की आड़ में एक बड़ा लेनदेन हो गया हालांकि लेनदेन इतना भी बड़ा नही था जो चर्चाओं में आये सत्ता नई नई है तो चर्चाओं में ऐसी बात आनी भी नही चाहिए थी .
वास्तु के अनुसार चीजे बदली गई : –
वास्तु दोष एक ऐसा दोष है जो इंसान की दशा और दिशा दोनों बदल देता है पुराने अधिकारी इसी वास्तु दोष का शिकार हो गए अब जब नए अफसर आये तो कहा पुराने सारी चीजें बदल दो इसके लिए आरआई को बुलाया और कहा इसका खर्चा आप उठाओ अब बिचारा कनिष्ठ अधिकारी करता भी तो क्या चीजो को बदलना भी जरूरी था वह अधिकारी अंदर ही अंदर अपनी वेदनाओं को झेलता रहा लेकिन कहते है न अंदर की पीड़ा खुलकर आ ही जाती है सो उस कनिष्ठ अधिकारी ने अंदर की पीड़ा आमजन में उड़ेल दी उड़ेले भी क्यो न जबरन में उस अधिकारी को लाखों का दच्चा लग गया . हालांकि वास्तु दोष अब भी ठीक नही हुआ चूंकि कर्म की सजा इंसान यही भोगता है चीजे बदलने से सबकुछ ठीक नही हो जाता है .
मंत्रियों के रिश्तेदार छान रहे मलाई : –
कहते है न घर मे एक आदमी संभल जाए तो पूरा कुनबा तर जाता है इसी तर्ज पर कुछ मंत्री अपना कुनबा तारने में लगे हुए है एक ही अधिकारी को पहले जेठ फिर देवर फिर पति सब फोन करके अपना काम कराते है अब भला वो अधिकारी भी क्या करे किसकी सुने मंत्री की सुने की जेठ की या फिर देवर या पति कि अधिकारी बड़ी पसोपेश की स्थिति में है आखिर किसको हां करे या किसको नही अब जब पानी सर से ऊपर जाने लगा तो अधिकारी ने भी त्राहिमाम कर दिया अब भला यह बात छुपने वाली तो है नही तो मच गया हल्ला यहाँ से लेकर दिल्ली तक
एक मंत्री तो ऐसे है जो कह रहे हमारा कोई रिश्तेदार नही है जो लेनदेंन करना हो हमसे करो और नही करोगे तो सारे प्राइवेट अस्पतालों में छापा मार देंगे हालांकि मेडिकल लाइन के लोगो ने कोरोना के समय जमकर माल भी तो कमाया है यह आपदा में अवसर वाली कमाई कही न कही तो निकलनी थी सो निकल रही अब भोगों इसमें मंत्री जी भला कैसे गलत हो गए ?
यह कही अनकही बातों का फीड यहाँ से लेकर दिल्ली तक पहुँच रहा है अभी लोकसभा चुनाव है तो सभी चुप्पी साधे इस मंजर को निहार रहे है अब जो होना है वह लोकसभा के बाद ही होगा तब तक अपने हिसाब से देख लो
वो कहावत है न राम नाम की लूट है लूट सके तो लूट अंत काल पछतायेगा जब प्राण जाएगा छूट