रायपुर। नवरात्र की शुरुआत पर हस्त और चित्रा नक्षत्र, इंद्र योग और शिववास योग का संयोग बन रहा है। भगवान शिव कैलाश पर्वत पर मां गौरी के साथ विराजमान रहेंगे। इन शुभ संयोगों में देवी पूजन करने से अक्षय फल की प्राति होगी। अश्विन माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि 2 अक्टूबर की रात्रि 12.18 प्रारंभ होकर 3 अक्टूबर की रात्रि 2.58 बजे तक रहेगी। चूंकि उदयाकाल यानी सूर्योदय पर पडऩे वाली तिथि को महत्व दिया जाता है, इसलिए 3 अक्टूबर को सुबह से घट स्थापना कर सकेंगे। इस वर्ष भी बिना वृद्धि किए जोत पंजीयन की राशि 700 से 751 रुपये ही रखी गई है। मंदिरों में जोत प्रज्वलित कराने रजिस्ट्रेशन किया जा रहा है।
महामाया मंदिर के पुजारी पं.मनोज शुक्ला ने बताया कि 3 अक्टूबर से नवरात्र का शुभारंभ हो रहा है। घट स्थापना मुहूर्त सुबह 6.15 से 7.22 बजे तक रहेगा। अभिजीत मुहूर्त सुबह 11.46 से 12.33 बजे तक रहेगा। पूरे नौ दिनों की नवरात्र का समापन नवमीं तिथि, 11 अक्टूबर को कन्या पूजन, भंडारा प्रसादी के साथ होगा। अगले दिन 12 अक्टूबर को दशहरा पर्व मनाया जाएगा। 3 अक्टूबर मां शैलपुत्री पूजन, 4 अक्टूबर मां ब्रह्मचारिणी पूजन, 5 अक्टूबर मां चंद्रघंटा पूजन, 6 अक्टूबर मां कूष्मांडा पूजन, 7 अक्टूबर मां स्कंदमाता पूजन, 8 अक्टूबर मां कात्यायनी पूजन, 9 अक्टूबर मां कालरात्रि पूजन, 10 अक्टूबर मां सिद्धिदात्री पूजन, 11 अक्टूबर मां महागौरी पूजन और 12 अक्टूबर विजयदशमी दशहरा मनाया जाएगा।
इंद्र और शिववास योग में शारदीय नवरात्र 3 अक्टूबर से, घट स्थापना सुबह 6.15 से 7.22 बजे तक
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