सत्ता को साधने “शेख” बाबा और मंदिर के सामने नतमस्तक

सत्ता को साधने “शेख” बाबा और मंदिर के सामने नतमस्तक
रायपुर : – पद और पावर का दुरुपयोग करने वाले आईपीएस बुरे दिनों के अंदेशा से झटपटा रहे है भाजपा के सरकार में पैठ बनाने साधु-संत के माध्यम से रास्ते तलाशने में लगे हुए है . तत्कालीन कांग्रेस सरकार में सत्ता की गोद में बैठे जीन अफसरों ने सरकारी संस्थाओं को कठपुतलियों की तरह उपयोग किया वहीअब संघ संगठन के दरवाजे में मत्था टेकते हुए नजर आ रहे है . पांच साल शेखी बघारने वाले शेख साहब को आखिर किसका डर सताने लगा है जो साधु-संत मंदिरों में दण्डवत हो रहे है और इस परिक्रमा के दौरान उनके चेहरे पर बुरे दिनों की प्रतिबिंब साफ झलक रहा है . सालभर पहले प्रदेश में बयार बदली और भाजपा सत्ता में लौटी। कल तक जो अफसर सत्ता और पावर के नशे में मदमस्त होकर खुलेआम भ्रष्टाचार नियम कानून को धता बताते हुए ऐसे-ऐसे कारनामे किए की उनके पाप का घड़ा छलकने लगा अब उसी का प्रायश्चित करने शेख साहब बाबाओं , मंदिर , संघ , संघठन के आगे नतमस्तक होकर पाप धोने की कोशिश में लगे हुए है.
प्रशासनिक गलियारो में तस्वीर की चर्चा : –
भाजपा सत्ता में आने के बाद प्रशासनिक गलियारों में इन दिनों एक तस्वीर चर्चा में है . सोशल मीडिया में वायरल एक तस्वीर देखकर लग रहा है कि सनातन और हिन्दू धर्म मे शेख साहब की आस्था उमड़ रही है . क्या यह सच मे आस्था का ही प्रतीक है या संघ संघठन की आड़ में लोगो को गुमराह करने की साजिश रची जा रही है . हालांकि संघ और संगठन भी इनके कारनामों से अवगत हैं देखना यह है कि पूर्ववर्ती सरकार में सत्ता की चाटुकारिता में लीन यह आईपीएस क्या भाजपा में भी अपनी जगह बना पाएंगे या बेनकाब होंगे.
ये कहा आ गए हम : –
कहते है इंसान को अपने पाप की सजा यही भोगना पड़ता है इस बात को शेख साहब भले न जानते हो चूंकि कई किताबें अलग दांवे करती है मगर अकाट्य सत्य यही है . यह तस्वीर हमे सोशल मीडिया से प्राप्त हुई कारण तो नही पता मगर यह बदले सुर सब कुछ बयां कर रहे है . हो सकता है इस परिक्रमा से कुछ दाग धूल भी जाएंगे मगर आंतरिक दाग कहा धुलेगा . इस फ़ोटो को देखकर 1981 में आई सिलसिला मूवी का मुखड़ा याद आता है “ये कहा आ गए हम”
वक़्त का खेल : –
कहते है कि जितना पॉवर इंसान को मिले इंसान को उतना ही विनम्र हो जाना चाहिए मगर शेख साहब ताकत के नशे में इतने चूर थे कि सत्ता की गोद में बैठे रहने के लिए किसी भी हद तक जाने को तैयार थे . जिस सीनियर अफसर के घर इन्होंने सोना प्लांट की कहानी गढ़ी और उनकी मान-सम्मान, प्रतिष्ठा ,नौकरी तक को दांव में लगाने से पीछे न हटने वाले नौकरशाह शेख आज वक़्त बदलते ही अपना रुख भी बदलते हुए नजर आ रहे है . ये वक़्त का खेल है शेख साहब पॉवर सत्ता सब धरी की धरी रह जाती है जब मार समय की पड़ती है .
हालांकि यह प्रयास ढाक के तीन पात जैसा ही है जो चेहरा बन चुका है उस पर जितना ही परसोना चढ़ा लीजियेगा दाग नजर आ ही जाएंगे . देखिए कही बाबाओ और मंदिर की चौखट से कुछ पुण्य मिल जाए वर्तमान शायद सुधर जाए मगर भविष्य वो तो भविष्य की गर्त में है .


