पूर्व मुख्यमंत्री के रिश्तेदार को मिली कवर्धा जिले की कमान , पोस्टिंग के बहाने पूर्व सीएम को साधने की कवायद
कवर्धा : – गृह मंत्री के गृह जिले के लोहारडीह में हुए जघन्य कांड से राज्य के शासन-प्रशासन को हिलाकर रख दिया। एक के बाद एक तीन मौत से पूराप्रदेशस्तब्ध हो गया. ईन मामलों में पुलिस की भूमिका संदेहास्पद रही इससे पूरी पुलिस महकमा कटघरे में नजर आई. इस मामले में कांग्रेस के आक्रमक रूख को देखते हुए गंभीरता को देखते हुए शासन बैकफुट पर जाते हुए रेंगाखार थाने के निरीक्षक , सहायक उप निरीक्षक सहित वहां पदस्थ 23 पुलिसकर्मियों को लाइन भेज दिया .
एसपी कलेक्टर भी नप गए
लोहारडीह में हुए जघन्य कांड के बाद पुलिस हिरासत में युवक की मौत के बाद मामले की तपिश को कम छरने कबीरधाम जिले में अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक के रूप में पदस्थ प्रशिक्षु आईपीएस विकास कुमार को पहले निलंबित किया गया . एएसपी के निलंबन के बाद भी आक्रोश कम नहीं हुआ तो मुख्यमंत्री ने सख्त तेवर दिखाते हुए शुक्रवार को कलेक्टर जन्मजेय महोबे की जगह गोपाल वर्मा को और एसपी अभिषेक पल्लव की जगह राजेश कुमार अग्रवाल को जिले के कमान सौंप दी .
कलेक्टर पोस्टिंग पर उठ रहे सवाल
इस जघन्य के बाद कलेक्टर की पोस्टिंग को लेकर भी अनेक सवाल खड़े हो रहे है। मिली जानकारी अनुसार गोपाल वर्मा जिनकी पदस्थापना की गई है वह पूर्व मुख्यमंत्री के करीबी रिश्तेदार है। उन्हें पूर्ववर्ती सरकार में आईएएस अवार्ड हुआ था। वह पहले जीएसटी विभाग के अफसर भी रह चुके है .
सरकार की क्या है मंशा
राजनीति के जानकार और प्रशासनिक समझ रखने वाले बताते है कि वर्तमान में विपक्ष जिस आक्रामकता से सरकार को घेर रही है उससे वर्तमान सरकार बैकफुट पर नजर आ रही है और कुछ ठोस निर्णय नही ले पा रही है। कहा तो यह भी जा रहा है कि इस पोस्टिंग के बहाने सत्ताधारी दल विपक्ष की आक्रमक तेवर को साधने की जुगत में लग गई है। इसलिए पूर्व मुख्यमंत्री के रिश्तेदार को कवर्धा जिले की कमान सौंप गई है ताकी तपिश को कुछ कम किया जा सके.
इस फैसले के बाद बहुत से सवाल खड़े हो रहे है जिसपर सरकार की जमकर किरकिरी हो रही है सवाल यह उठता है कि क्या सुशासन के मुखिया को इसकी जानकारी नही थी या मुखिया को गुमराह करके पदस्थापना कराई जा रही है ।