राष्ट्रीय जगत विजन की संपादक विजया पाठक ने IPS आरिफ शेख पर लगाये कई गंभीर आरोप , मुख्यमंत्री से 256 पन्नो के दस्तावेजी प्रमाण देकर की बर्खास्तगी की मांग :-

राष्ट्रीय जगत विजन की संपादक विजया पाठक ने IPS आरिफ शेख पर लगाये कई गंभीर आरोप , मुख्यमंत्री से 256 पन्नो के दस्तावेजी प्रमाण देकर की बर्खास्तगी की मांग :-

रायपुर : – भा.पु.से. 2005 बैच के आरिफ हुसैन शेख यह नाम और इनके कारनामे प्रदेश ही नही देश मे भी काफी शुमार रहा है यह शुमार्गी इतनी ज्यादा थी कि भाजपा के 104 पन्नो के आरोप पत्र में पहले पन्ने में आरिफ शेख को स्थान मिला यह शायद इतिहास में पहली बार हुआ होगा कि किसी राजनीतिक दल ने खुलकर किसी आईपीएस को इस तरह बेनकाब किया होगा इस आरोप पत्र के सामने आने के बाद पूरी भा.पु.से. आज कटघरे में है .

आखिर नौकरशाह कैसे इतना बड़ा तानाशाह बन गया जिसने प्रदेश भर में बड़े बड़े घोटालों में लिप्त होकर भ्रष्टाचार को अंजाम दिया जिसमे शराब घोटाला , कोयला घोटाला , महादेव गेमिंग एप्प के जरिये युवाओं के भविष्य को सट्टे जुए में ढकेलने का घिनोना कृत्य किया जिसकी परिणीति यह हुई कि महज पांच साल की भूपेश सरकार से प्रदेश की जनता त्रस्त हो गई और भाजपा को एक बड़ा जनाधार देकर सत्ता की चाभी भाजपा के हाथों सौप दी .

सत्ता सियासत बदली तो एक उम्मीद जगी की अब इन भ्रष्ट अफसर जो तत्कालीन सरकार में बेलगाम हो गए थे उनपर लगाम लगाई जाए और कटघरे में खड़ी पूरी भा.पु.से. को इस कलंक से मुक्ति दिलाने की कवायद शुरू करे ताकि आईपीएस जैसा पद चंद अफसरों की वजह से अपने काल कलंक से मुक्त हो और इस पद के लिए आमजन का भरोषा भी कायम हो

राष्ट्रीय जगत विजन कि संपादक विजया पाठक ने मुख्यमंत्री को लिखा पत्र IPS आरिफ पर लगाये कई गंभीर आरोप : –

राष्ट्रीय जगत विजन कि संपादक और समाजसेविका विजया पाठक ने मुख्यमंत्री विष्णु देव साय को पत्र लिखकर बिंदुवार तथ्यों और दस्तावेज के साथ IPS आरिफ शेख की बर्खास्तगी की मांग की है .

विजया पाठक ने अपने पत्र के जरिये आरिफ शेख पर करोड़ो के लेंन देंन करके 133 गंभीर मामलों को नस्तीबद्ध करने का बड़ा आरोप लगाया है .
इन नस्तीबद्ध मामलों में कई मामले तो ऐसे है जिसमे केंद्रीय जाँच एजेंसियां जैसे ईडी , आयकर विभाग जांच कर रही है साथ ही कई मामले ऐसे है जो न्यायालय में विचाराधीन है नियमतः ऐसे मामले जो न्यायालय या केंद्रीय एजेंसियों के जांच का विषय है उन मामलों को नस्ती नही किया जा सकता है बाउजूद इसके आरिफ ने सारे नियम कायदों को ताक में रखकर पद और शासन तंत्र का दुरुपयोग करते हुए 133 मामलों को नस्तीबद्ध कर दिया .

अब आप सोच रहे होंगे आखिर किसकी सह और किसके आदेश से यह 133 मामले नस्तीबद्ध हुए तो आपको आरिफ शेख और यश टुटेजा के चैट्स पर जाना होगा जिसमें यश टूटेजा जो नान घोटाले के आरोपी अनिल टुटेजा का सुपुत्र है और ग़ैरशासकीय व्यक्ति है उसके कहने पर ही आरिफ ने पूरी कानून व्यवस्था को यश टूटेजा के कदमो में डालकर रख दिया आरिफ गृह विभाग की तमाम गोपनीय जानकारियां यश टुटेजा से साझा करते थे फिर यश उन्हें आदेश देता की किस मामले में क्या कार्रवाही करनी है बिना यश की इजाजत के पुलिस महकमे का एक पत्ता भी नही डोलता था . जिसकी क्रमवार खबर जनसंवाद में प्रकाशित की जा चुकी है

IPS आरिफ शेख कांग्रेसी कार्यकर्ता बनकर विपक्ष और पत्रकारों को किया टारगेट : –

आरिफ शेख कहने को तो प्रशासनिक अधिकारी है मगर वह भूपेश सरकार में कांग्रेसी कार्यकर्ता के रूप में कार्य किए जिसका उदाहरण यह है तब विपक्ष में रही भाजपा सरकार या कोई पत्रकार जब सरकार से सवाल पूछता या घोटालों को उजागर करता तो उसपर झूठे मुकदमे कायम कर विपक्ष और पत्रकारों की आवाजों को दबाने का कार्य किया जाता था सुनकर आपको हैरानी होगी कि आरिफ द्वारा कांग्रेसी कार्यकर्ता और प्रशासनिक कुर्सी में बैठकर भाजपा नेता और पत्रकारों पर लगभग 100 से ज्यादा झूठे मुकदमे कायम किये गए .
पीएससी घोटाला तो आपको याद होगा जिसमें युवाओं के भविष्य से खिलवाड़ कर पूरी युवा पीढ़ी को सट्टे जुए में ढकेलने का कुचक्र चलाया गया वही इस गंभीर मामले को भाजपा नेता गौरीशंकर श्रीवास ने जब प्रतिबद्धता के साथ उठाया तब इस आवाज को कुचलने के लिए भाजपा नेता गौरीशंकर श्रीवास पर कई झुठे मुकदमे कायम किये गए .

विपक्ष तो विपक्ष पत्रकार सुरक्षा कानून की बात करने वाली तत्कालीन सरकार ने सुरक्षा तो नही दी मगर सुरक्षा के नाम पर पत्रकारों को भी नही बख्सा बेबाकी से जब पत्रकार सत्ता में बैठे लोगों से सवाल पूछता या भ्रष्ट काले कारनामो और घोटालों को उजागर करता तब उस पत्रकार पर भी तमाम झुठे बेबुनियाद मुकदमे दर्ज किये जाते और चंद चाटुकारों को सिपहसलाहकार बनाया गया था . पत्रकार सुनील नामदेव हो या घुरवा के माटी के लिए लिखने वाले नीलेश शर्मा इन पत्रकारों की आवाज दबाने के लिए तरह तरह के हतकंडे अपनाए गए और झूठे मुकदमे दर्ज कर इन्हें जेल की सलाखों के पीछे ढकेल दिया गया जितना दंश भूपेश सरकार में पत्रकारों ने झेला शायद यह अपने इतिहास काल मे दर्ज होगा कि कैसे सत्ता और सरकार की नुमाइंदगी करने वाले पत्रकारों की आवाज दबाने के लिए तमाम हतकंडे अपनाए और इतिहास इस बात का भी साक्षी रहेगा कि इतने दमन और दंश के बाद भी पत्रकार अपने नैतिक कर्तव्यों से नही हटे और यह अडिगता और निर्भीकता का ही परिणाम रहा है कि कांग्रेस को सरकार सत्ता से बेदखल होकर चुकाना पडा

उल्लेखनीय है कि नौकरशाह जब तानाशाह बनकर बेलगाम हो जाए तब जरूरी हो जाता है कि इस बेलगाम घोड़े पर लगाम लगाई जाए मगर लगाम लगाने व्यवस्था ही जब खुद घोटालों में लिप्त हो जाये तो सारी उम्मीद बेबुनियाद नजर आती है तत्कालीन भूपेश सरकार महज पांच साल ही सत्ता में थी मगर इन पांच सालों में ऐसे ऐसे घोटाले किये गए और भ्रष्टाचार का एक नया अध्याय गढ़ा गया जिससे जनता के जनाधार ने नकार दिया और विपक्ष में बैठा दिया .
सत्ता परिवर्तन के बाद अब यह जरूरी और उम्मीद है कि अब इन बेलगाम अफसरो कार्रवाही की जाएगी और जिस तरह से पीएससी घोटाले में CBI जांच की जा रही है उसी तर्ज पर इन भ्रष्ट अफसर और इनके घोटालों की भी CBI जांच की जानी चाहिए निश्चित ही जाँच और कार्रवाही होने से भा.पु.से. जो गौरवशाली पद है वह अपनी काल कलंक से मुक्त हो पाएगी और प्रदेश की जनता भी जिस उम्मीद और विश्वास से भाजपा को इतना बड़ा जनादेश देकर सत्ता दी है उस जनता का भी सरकार पर भरोषा कायम हो पायेगा .

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