शाह के नक्सल मुक्त छत्तीसगढ़ पर पलीता लगा रहा रणछोर “मुनिम” शेखचिल्ली को जीवनदान देने की कोशिश करने वाला अफसर बगुला भगत “मुनिम” का बना गॉडफादर मौखिक आदेश लेकर मुख्यालय में समय काट रहे अधिकारी एक ट्वीट से फिर चर्चा में .

शाह के नक्सल मुक्त छत्तीसगढ़ पर पलीता लगा रहा रणछोर “मुनिम” , शेखचिल्ली को जीवनदान देने की कोशिश करने वाला अफसर बगुला भगत “मुनिम” का बना गॉडफादर , मौखिक आदेश लेकर मुख्यालय में समय काट रहे अधिकारी एक ट्वीट से फिर चर्चा में .

एक तरफ देश के गृहमंत्री अमित शाह 2026 तक छत्तीसगढ़ को नक्सल मुक्त करने के लिए कटिबद्ध नजर आ रहे हैं वहीं नक्सल प्रभावित बस्तर में पदस्थ एक पुलिस अफसर रणछोर दास बनकर एक मौखिक आदेश के नाम पर राजधानी में समय काट रहा है . सूत्रों के मुताबिक पिछले सरकार में सुपर सीएम के “मुनिम” के नाम से कुख्यात यह अफसर शेखचिल्ली के साथ चार साल प्रशासनिक आतंक मचा रखा था . शेखचिल्ली को जीवनदान देने की कोशिश में एड़ी चोटी का जोर लगाने वाला अफसर बगुला भगत इस “मुनिम” का गॉडफादर बन गया है और उसके पुनर्वास के लिए जी-तोड़ कोशिश में लगा हुआ है . पेशे से चार्टर एकाउंटेंट इस अधिकारी की प्रतिभा का तत्कालीन सरकार ने भरपूर उपयोग किया  लोगो की काली कमाई को कहा कैसे उपयोग करना है इस अधिकारी से बेहतर कोई नही जानता इसी जुगत में वर्तमान सरकार में बैठे कुछ जिम्मेदार अखिल भारतीय सेवा के अधिकारी भी इनकी सेवाओ के लिए तत्पर नजर आते दिखलाई पड़ रहे है .

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह छत्तीसगढ़ को नक्सल मुक्त करने 2026 का डेटलाइन तय कर फोकस कर रहे हैं वहीं इसकी जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां करती नजर आती है . नक्सल मुक्त राज्य का सपना देखने वाले अमित शाह के लिए नक्सलियो से ज्यादा बड़ी चुनौती उनके ही पुलिस अफसर है . जो पदस्थापना के बाद भी राजधानी में बैठे मौज कर रहे है . सवाल यह भी उठता है कि बस्तर का जगरगुंडा इलाका कभी जिलों का जंक्शन था और जहाँ कभी बड़े-बड़े बाजार लगते थे अब वहाँ नक्सलियों का राज है.

अमित शाह के सपनो को धरासाई करते अधिकारी : –

दुर्दांत माओवादी हिड़मा के इलाके जगरगुंडा में जब शासन ने कैम्प खोला तब शास- प्रशासन ने अपनी पीठ खूब थपथपाई और वाहवाही लूटी थी . मगर आज जगरगुंडा के हालात और बिगड़ते जा रहे है कारण यह कि ऐसे संवेदनशील इलाके में जवानों की सुध लेने वाला कोई नही है . बता दें कि इस इलाके में जिस एसडीओपी की नियुक्ति की गई थी उन पर दुष्कर्म का मामला दर्ज होने के बाद से वह फरार है वहीं एडिशनल एसपी जिनकी पोस्टिंग जगरगुंडा सुकमा कैम्प में है वह आज तक वहां जाने की जहमत नही उठा रहा है . जगरगुंडा में जवान बिना अधिकारी और बिना मॉनिटरिंग के अपने हालातों से जूझ रहे है . सूत्र बताते है कि यह अधिकारी खुद ही इतने दहशत में है कि आपातकाल में अगर कोई जवान इनसे संपर्क करना चाहे तो यह उनका फोन तक नही उठाते न मिलने जाते है . अधिकारियों का यह रैवया बताने के लिए पर्याप्त है कि आखिर केंद्रीय गृह मंत्री के सपने के लिए पुलिस महकमा कितने प्रतिबद्ध है .

मौखिक आदेश लेकर राजधानी में बैठे है अधिकारी

जगरगुंडा नक्सली कैम्प में जब से एक अधिकारी का एडिशनल एस.पी की पदस्थापना हुई है तब से लेकर आज तक वह अपनी सकल दिखाने भी नही गए है . उड़ती खबरे है कि यह अफसर अपने वरिष्ठ अधिकारियों और नेताओं को नववर्ष में “एप्पल” बांटकर बड़े चैन सुकून से मुख्यालय में डटे रहने में कामयाब हो गए है. यही नहीं शासन के नुमाइंदों के पांव पकड़कर कमाई वाली जगह पाने की जुगत में लगा हुआ है .

कल तक जहाँ बड़ा बाजार लगता था आज खून से रंगा है पूरा इलाका : –

बस्तर संभाग के सुकमा जिले में पड़ने वाला जगरगुंडा जो आज दुर्दांत माओवादियों की गिरफ्त में आ चुका है जिसके लिए ऐसे रणछोर अधिकारी जिम्मेदार है . जगरगुंडा का यह इलाका कुछ साल पहले तक दंतेवाड़ा जिले का उप तहसील था मगर नक्सली घटनाएं बढ़ने पर तत्कालीन भाजपा सरकार ने प्रशासनिक कसावट के लिए दंतेवाड़ा का विभाजन कर सुकमा जिला बनाया . इसके बाद जगरगुंडा सुकमा जिले का हिस्सा हो गया जगरगंडा की भौगोलिक स्थिति ऐसी है कि कई जिलों के लिए यहां से होकर रास्ता गुजरता है . खासकर दंतेवाड़ा , सुकमा और बीजापुर का यह जंक्शन प्वाइंट है .

1995 से पहले यह कई गावों के लोगों के लिए बड़ा बाजार था . मगर नक्सलियों ने जगरगुंडा के कनेक्टिविटी को देखते यहां की सारी सड़कों को काट दिया या फिर बारुदी सुरंगों से उड़ा दिया . जगरगुंडा , एराबोर , ताड़मेटला , चिंतलनार को नक्सलियों ने अपना सुरिक्षत ठिकाना बना लिया . 2015 तक जगरगुंडा जाना इतना जोखिम भरा काम हो गया था कि फोर्स को हेलिकाप्टर से भेजा जाता था जवानों के लिए राशन के लिए फोर्स का काफिला तैयार कर तीन महीने का रसद एक साथ भेजा जाता था . क्योंकि रास्ते में नक्सलियों ने बारुदी सुरंगे बिछा दी थी .

ट्वीट का माहेश्वरी आखिर है कौंन : –

कांग्रेस के एक बड़े नेता और आरटीआई एक्टिविस्ट कुणाल शुक्ला की दो ट्वीट इन दिनों खूब वायरल हो रही है.

पहले ट्वीट पढिये

ट्वीट के बाद से ही यह इतना वाइरल हुआ है कि लोग जानने के लिए उत्सुक है कि आखिर कौन है यह माहेश्वरी जबकि सियासी लोग भलीभांति इस बात को समझ रहे है . यह वही महोदय है जिनकी पोस्टिंग बस्तर इलाके में है जो मौखिक आदेश लेकर रायपुर में बैठकर वरिष्ठ अधिकारी और मंत्रियों को “माल” पहुँचा रहे है अब इस अधिकारी ने पिछली सरकार में इतना काला धन जुटा लिया है कि सबको खुशामद कर ही सकता है. ऐसे “मुनिम” अधिकारी की भला बस्तर में क्या जरूरत है .

यह अधिकारी तो इतना बड़बोला है अब यह कहता फिर रहा है कि उनकी पोस्टिंग का ऑर्डर डायरेक्ट दिल्ली से आने वाला है.

एक एडिशनल एसपी रैंक का अधिकारी दिल्ली तक ही धमकी देता है तो भला यहाँ बैठे लोग कर भी क्या कर सकते है जिसके पास पॉवर हो पैसा हो पहुँच हो वह कुछ भी कर सकता है .
अब भले ही राज्य नक्सल मुक्त हो या न हो लेकिन इस अधिकारी की पोस्टिंग का इंतजार सभी बेसब्री से कर रहे है .

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